कमेटी मेंबरों को याद दिलाया कि दस साल का भी हुआ था वेज समझौता
बोले कि आरबीबी के जमाने में कहा गया कि एरियर किस चिड़िया का नाम
दावा कि टाटा स्टील में दो नई कंपनी का बनाने का समझौता रवि ने किया
कहा कि पहले बदले से कमेटी मेंबरों पर एक्शन होता था, वे नहीं करते
न जाने किसे चेतावनी दे डाली कि उन्हें छेड़ा गया तो छोड़ेंगे भी नहीं
चरणजीत सिंह.
टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू चौधरी आम तौर पर शांत स्वभाव के हैं। यूनियन के पूर्व अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय की तरह हमेशा मुस्कुराहट। ट्रेड अप्रेंटिस के प्रशिक्षु लगातार उन्हें घेर रहे हैं तो ट्रेंड अप्रेंटिस की परीक्षा भी इस साल नहीं निकली है। वेज रिवीजन पर एनएस ग्रेड के कमेटी मेंबरों का अलग दबाव है। सारे कमेटी मेंबरों ने अपनी चार्टर आफ डिमांड थमा दिया है। क्लब हाउस का विवाद अलग है। ऐसे अनेक कारण हैं जो टुन्नू चौधरी का तनाव बढ़ा रहे हैं।
शायद यही वजह है कि धनतेरस को हुई टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग में टुन्नू चौधरी ने अपना आपा खो दिया। उन्होंने कहा कि वे कोशिश करेंगे कि बढ़िया वेज रिवीजन हो। सबकी सलाह लेकर यूनियन की ओर से प्रबंधन को चार्टर आफ डिमांड दिया जाएगा। प्रबंधन की ओर से जो चार्टर आफ डिमांड दिया जाएगा, उसे भी कमेटी मीटिंग में रखा जाएगा।
ये भी पढ़ें : Wage Revision In Tata Steel – Part – 2 : जात पात पर फिर जीत जाएंगे तो भी जरूर लगेगी एनएस कर्मचारियों की आह
आफिस बेयरर अजय चौधरी ने यह सुझाव दिया है जो स्वागत योग्य है। वेज रिवीजन की वार्ता के दौरान जब भी महत्वपूर्ण मसले आएंगे, उससे हाउस को न सिर्फ अवगत कराया जाएगा अपितु सबसे परामर्श लेकर वार्ता को आगे बढ़ाया जाएगा। धैर्य रखें। कमेटी मीटिंग में न जाने टुन्नू चौधरी ने किसको इशारे में चेतावनी भी दे डाली कि उन्हें छेड़ा न जाय। यदि छेड़ा गया तो वे नहीं छोड़ेंगे।
ये भी पढ़ें : tata steel Jamshedpur : भारतीय जन महासभा ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मनाई
जो लोग उनके पुराने साथी हैं, वे स्वभाव अच्छी तरह जानते हैं। पुराने यूनियन लीडर आरसी झा ने कमेटी मेंबरों पर लगातार एक्शन का मसला उठाया था। जवाब में टुन्नू चौधरी ने कहा कि लोग गलत आचरण करते हैं, सही तरीके से नहीं रहते। जब कार्रवाई होती है तो यूनियन को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। यह बात सही है कि पहले यूनियन में बदले की भावना से कार्रवाई होती थी। वे ऐसा नहीं करते।

धनतेरस के दिन धन की अभिलाषा में कमेटी मेंबरों ने वेज रिवीजन पर खूब बोला। एनएस से चुने गए प्रदीप दुबे ने टुन्नू को उनका पुराना वक्तत्व भी सुनाया। टुन्नू चौधरी का जवाब था कि इतिहास रहा है कि वेज रिवीजन में देरी होती है। उनके पहले के सभी वेज रिवीजन को देख लीजिए। जहां तक अवधि की बात है तो इसी यूनियन ने दस साल का भी वेज रिवीजन किया है। आरबीबी सिंह के जमाने में कहा गया था कि एरियर किस चिड़िया का नाम है। जहां तक प्रस्तावित वेज रिवीजन की बात है तो सबका सुझाव लेकर सही दिशा में बातचीत की जाएगी। कमेटी मेंबर शिवेश वर्मा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वे जिस वक्त के डीए का प्रति प्वाइंट वैल्यू बता रहे थे, उस समय बेसिक कम था। तब डीए अधिक इसलिए दिया गया ताकि वेतनमान को सही रखा जा सके।
ये भी पढ़ें : Tata Steel : जिसने सोते हुए पकड़ा था, उनसे उलझ गया सीआरएम का कर्मचारी
कभी डिप्टी प्रेसिडेंट के पद पर टुन्नू चौधरी को हराने वाले कोक प्लांट के कमेटी मेंबर अरविंद पांडेय ने कमेटी मीटिंग में दो बातों का उठाया था। उनका पहला मुद्दा कारखाना में दो कंपनी के गठन से जुड़ा था, तो दूसरा यूनिफार्म ग्रेड स्ट्रक्चर से। अरविंद चाहते थे कि दोनों समझौता की प्रति कमेटी मेंबरों को भी दिखाई जानी चाहिए। टुन्नू चौधरी का जवाब था कि ऐसा नहीं हो सकता। यदि अरविंद पांडेय चाहे तो उनके कार्यालय में आए। प्रबंधन और यूनियन के हस्ताक्षरयुक्त समझौता की प्रति उनके सामने रख दी जाएगी, जितना चाहे उतना पढ़ सकते हैं।
ये भी पढ़ें : Tata Steel : सीनियर एसोसिएट्स के मामले में सीआरएम के कमेटी मेंबरों ने दिखाई एका
टुन्नू चौधरी ने टाटा स्टील के भीतर दो कंपनी के गठन का ठिकरा पूर्ववर्ती यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद के माथे मोड़ दिया। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में दो कंपनी के गठन का समझौता नहीं हुआ था। उनके पहले यह समझौता हो चुका था। उनके कार्यकाल में सिर्फ इसका अनुपालन किया गया है। अपनी बात को वजनदार बनाने के मकसद से समझाने के अंदाज में उन्होंने कहा कि रघुनाथ पांडेय के कार्यकाल में कर्मचारियों का न्यू सिरीज ग्रेड बनाया गया था।
ये भी पढ़ें : Tata Steel Exlusive : टाटा वर्कर्स यूनियन में भीतर ही भीतर शैलेश सिंह के उत्तराधिकारी की तलाश
इसका डिप्लायमेंट पीएन सिंह के कार्यकाल में हुआ था। दो कंपनी के गठन का मसला भी कुछ ऐसा ही है। वेज रिवीजन पर गड़ा मुर्दा उखाड़ने वाले प्रदीप दुबे को संबोधित करते हुए टुन्नू बोले कि उनके विभाग में भी दर्जन भर कर्मचारी सब्सिडियरी कंपनी के थे। यूनियन का चुनाव जीतने पर उन्हें वो तोहफे में मिले थे। ट्रेड अप्रेंटिस के प्रशिक्षुओं की टाटा स्टील में बहाली का मसला गरम है। इस मुद्दे पर टुन्नू चौधरी ने कहा कि यूनियन महामंत्री सतीश सिंह और डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार सिंह गवाह है। इस मसले पर टाटा स्टील प्रबंधन से उनकी बात हुई थी।
ये भी पढ़ें : Tata Steel : एग्रिको क्लब हाउस में टेंट का सामान अंदर या बाहर करने का नजराना दो हजार रूपये
अब प्रबंधन की नीति बदल गई है तो हम लोग क्या करें। कमेटी मीटिंग में शहनवाज आलम, राजीव चौधरी एवं अमोद दुबे को छोड़ सभी आफिस बेयरर ने विचार रखे। यूनियन उपाध्यक्ष नितेश राज के बोलने की बारी आई तो उन्होंने माहौल गरम किया। आफिस बेयरर्स मीटिंग की बात उठाई तो किसी भी समझौता से पहले आफिस बेयरर्स से चर्चा करने का सुझाव दिया। संजय सिंह और अजय चौधरी के तेवर भी पलटवार वाले रहे।
वेज रिवीजन पर अध्यक्ष अकेले बात करे तो भी सतीश रजामंद
टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू के कुछ करीबी लोगों की टीका टिप्पणी पर महामंत्री सतीश सिंह बेहद नाराज हैं। कमेटी मीटिंग में उन्होंने अपनी भावना का खुलकर इजहार किया। उन्होंने कहा कि खुद को यूनियन अध्यक्ष के करीबी बताने वाले कुछ लोग उनके बारे में दुष्प्रचार करने का प्रयास करते रहे हैं। कई तरह की बातें उन्हें सुनने को मिली है। पिछले वेज रिवीजन का भी दोषी ठहराते हैं। यह सर्वविदित है कि टाटा वर्कर्स यूनियन में अध्यक्ष सर्वोपरि है।
ये भी पढ़ें : Tata Steel Club House : यहां सिर्फ नकद नारायण
यूनियन अध्यक्ष कंपनी प्रबंधन से अकेले वार्ता कर बेहतर वेज रिवीजन कराते हैं तो वे इसके लिए रजामंद हैं। वे 2006 से यूनियन में पद पर हैं। आरबीबी सिंह, रघुनाथ पांडेय, पीएन सिंह और आर रवि प्रसाद से भरपूर स्नेह प्राप्त हुआ। ज्ञान मिला। टाटा स्टील के कर्मचारी, कमेटी मेंबर और आफिस बेयरर ने बहुत प्यार और सम्मान दिया है। अब वापस करने की बारी है। बेहतर वेज रिवीजन के लिए जो कुछ हो सकता है, वो सब कुछ करने को वे तैयार हैं।
सतीश सिंह ने कहा कि चार साल पहले उन्होंने टुन्नू चौधरी को यूनियन अध्यक्ष बनाने के लिए भरपूर समर्थन दिया। तीन साल तक उन्हें हरसंभव सहयोग दिया। उन्होंने जो कुछ करना चाहा, सबमें साथ दिया। उन्होंने निर्विरोध अध्यक्ष चुनने में भी अहम भूमिका का निर्वहन किया। कुछ वक्ताओं ने कहा कि टुन्नू चौधरी निर्विरोध पहले अध्यक्ष हैं। कृप्या भूल सुधार कर लें। 2006 में रघुनाथ पांडेय न सिर्फ निर्विरोध अध्यक्ष बने थे, अपितु उनकी पूरी टीम निर्विरोध चुनी गई थी। ऐसा पहले भी यूनियन में होता रहा है।
रघुनाथ के वक्त वेज समझौताे पर खूब मगज लगाए थे शैलेश
यूनियन के डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार सिंह की मानें तो रघुनाथ पांडेय के कार्यकाल में वेज समझौता पर उन्होंने खूब दिमाग लगाया था। उनके समय रात भर कागज पर लिखते पढ़ते थे। सब मालूम है कि ग्रेड पर क्या बात करनी है। उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि यूनियन में अध्यक्ष सर्वोपरि है। बेहतर वेज रिवीजन कराने में हम लोग उन्हें सहयोग करेंगे। वेज पर सिर्फ शीर्ष तीन को जवाबदेह नहीं माना जा सकता, सभी आफिस बेयरर्स जिम्मेदार हैं।