फतेह लाइव, रिपोर्टर.
कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने साकची गुरुद्वारा कमेटी चुनाव प्रकरण पर सेंट्रल गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान भगवान सिंह पर हमला करते हुए कहा कि वे संविधान संविधान की दुहाई देते हैं, लेकिन खुद उसका पालन सच्चे मन से नहीं करते हैं. यदि खुद पालन करते तो मानगो गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान पद में पिछले 8 साल से कैसे बने हुए हैं? इन्हें कोई पूछने वाला नहीं है? क्या सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के संविधान में लिखा था कि खुलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन लोकसभा प्रत्याशी समीर मोहंती के लिए चुनाव प्रचार करें, प्रत्याशी के हक में केंद्रीय कमेटी के सभागार में बैठक बुलाए.
मानगो में आमसभा में जो कुछ उनके समर्थकों ने किया था पूरी संगत ने देखा था? भगवान सिंह दूसरों के बारे में बोलते हैं कि शानदार इमारत बनाने से कोई लोकप्रिय नहीं होता? यही वाक्यांश उन पर पूर्ण रूप से लागू होता है. संगत के पैसे से गुरु तेग बहादुर यादगारी सभागार बन रहा है और उनके अंध भक्त कहते हैं कि यह सब भगवान सिंह की देन है? हां भगवान सिंह की यही देन है कि सीतारामडेरा, बारीडीह, टूइलाडूंगरी, कीताडीह, सोनारी में विवाद पैदा करने के बाद साकची में संगत के बीच फूट डाल रहे हैं. अपने आप को कोल्हान के संस्था का प्रधान बताते हैं, लेकिन अभिभावक के तौर पर उनकी भूमिका कभी कहीं नहीं दिखाई दी.
हमेशा एक पक्षीय उनका फैसला रहा है? फिर प्रधान भगवान सिंह यह याद करें कि हरमिंदर सिंह मिंदी ने चुनाव बॉयकॉट किया था और कैसे वोटिंग का ड्रामा कर खुद को प्रधान घोषित करवा लिया था. कुलविंदर सिंह के अनुसार यह मेरा दुर्भाग्य है कि मैं उनके उस गलत काम में साझेदार रहा, कुदरत ने इंसाफ किया और बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन भगवान सिंह अकेले में सोचें कि कुदरत उनके साथ कैसा इंसाफ करेगी?