पहले तथाकथित पत्रकार ने लगाई बिरयानी और अब कोर्ट में पेशी के दौरान कैसे सज गई फकीरा की चाय दुकान?

चरणजीत सिंह.

दक्षिण पूर्व रेलवे के टाटानगर रेलवे स्टेशन में इन दिनों जिला प्रशासन को एक दो हाथ होना पड़ रहा है. रेल व्यवस्था चौपट हुई पड़ी है. यह कहना गलत नहीं होगा. पिछले दिनों टाटानगर पार्किंग में रेलवे की नई व्यवस्था को जिला प्रशासन को हाथ बढ़ाना पड़ा था. यह जग जाहिर है.

इन दिनों टाटानगर रेल प्रशासन की नई व्यवस्था फिर जिला प्रशासन को आने वाले दिनों में चुनौती देने वाली है. दरअसल, आरपीएफ पोस्ट के सामने Rpsf की व्यवस्था में कोत है. उन सबकी जिम्मेदारी नियमता टाटा पोस्ट इंचार्ज राकेश मोहन की है. उसके गेट के सामने इन दिनों एक चाय दुकान सज रही है.

सूत्रों के हवाले से खबर प्राप्त हुई है कि यह चाय की स्टाल जेल में बंद संतोष सिंह की है, जिसे पार्किंग में नीरज दूबे पर हुई फायरिंग की साजिश में लंबे समय बाद रेल पुलिस ने जेल भेजा है. पूरे घटनाक्रम का खुलासा फतेह लाइव अगले अंक में करेगा, लेकिन यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि संतोष को जेल के अंदर से बाहर के कौन अफसर स्पोर्ट कर रहे हैं. इससे जिला प्रशासन को आने वाले दिनों में जूझना भी होगा, इससे भी इनकार करना गलत होगा. वैसे सूत्र बताते हैं कि आरपीएफ दो चार दिनों से उस चाय विक्रेता को बुला रही है लेकिन वह दरबार में हाजरी नहीं लगा रहा है. इससे क्या आसार लगाए जा सकते हैं, स्थानीय प्रशासन के लिए यह कहना ठीक नहीं होगा.

आपको बता दें कि नीरज दूबे पर रेल नीर के पानी के धंधे को लेकर गोली चली थी. संतोष फकीरा के जेल जाने के बाद उसका धंधा बंद हो चुका है. नए लोगों ने इसे नियम के मुताबिक अपने कब्जे में कर लिया है. इस वक्त नीरज दूबे बाहर हैं. कन्हैया सिंह भी. दोनों में तालमेल बना हुआ है. जिला प्रशासन के लिए यह चुनौती वाली बात होगी कि कोई अप्रिय घटना नहीं घटे.

खैर बता दें कि इसी जगह पर पहले तथाकथित पत्रकार ने एक दिव्यांग के नाम पर बिरयानी स्टाल लगाई थी. वह कब और कैसे सलट गया यह बाद की बात है. उसका डेरा (महफिल) बर्मामाइंस में बना हुआ है. मक्खी मारने तक की नौबत है, जहां किन्नरों के आशिक भी सहयोगी बने हुए हैं.

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