बनाया इतिहास, मजहबी बिरादरी के पांच गुरुद्वारा कमेटियां बनीं प्रस्तावक, बाद में सभी 31 गुरुद्वारा और तीन धार्मिक संस्थाओं ने उठा दिया हाथ

फतेह लाइव, रिपोर्टर. 

कोल्हान के सिखों का नेतृत्व करने वाली सिरमौर संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) के प्रधान भगवान सिंह को रविवार को अगले तीन सालों के लिए निर्विरोध प्रधान संगत ने चुन लिया. यह पहला समय था जहां भगवान सिंह के कार्यकाल को देखकर कोल्हान के 31 गुरुद्वारों और तीन धार्मिक संस्थाओं ने अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक विजयी किया. प्रधान चुने जाने के बाद भगवान सिंह पूरी टीम के साथ साकची गुरुद्वारा पहुंचे और माथा टेका. इसके बाद फोटो सेशन की शुरुआत हुई.

इससे पूर्व धर्म प्रचार कमेटी अकाली दल के प्रधान सुखदेव सिंह ने अरदास की, जिसके बाद सीजीपीसी की आमसभा की कार्रवाई शुरू की गई. महासचिव अमरजीत सिंह और ऑडिटर दलविंदर सिंह ने पिछले तीन साल का कार्यकाल रखा, जिसपर सभी ने भरोसा जताया. फिर आमसभा की अध्यक्षता करते हुए सरदार शैलेन्द्र सिंह चुनावी प्रक्रिया के एजेंडे को आगे बढ़ाया. वैसे तो भगवान सिंह के समर्थन में सभी गुरुद्वारा कमेटियों और धार्मिक संस्थाओं ने समर्थन दे दिया था, लेकिन उसे सामने ना लाकर सीजीपीसी के संविधान के तहत भगवान सिंह के लिए पांच गुरुद्वारा के प्रस्तावक मांगे गए. सिख समाज में अपने कार्यकाल में कार्यों को लेकर लोकप्रिय हुए भगवान सिंह के लिए और सिख समाज में एका लाने के उद्देश्य से जो प्रस्तावक सामने आये वह सभी मजहबी बिरादरी के गुरुद्वारा आये. इनमें टिनप्लेट के प्रधान, नामदाबस्ती, बिरसानगर, बारीडीह और टुईलाडुंगरी की कमेटियां शामिल रहीं. 

इनके नाम आने के साथ ही भगवान सिंह के समर्थन में बोले सोनिहाल के जयकारे हॉउस में गूंजने लगे. इसके बाद भी सरदार शैलेन्द्र सिंह ने दूसरा नाम भी सामने लाने की अपील की, लेकिन मौजूदा प्रतिनिधियों ने भगवान सिंह को अभूतपूर्व समर्थन दे दिया. फिर सभी का हाथ उठाकर भी समर्थन मांगा गया, जिसमें एक भी हाथ नीचे नहीं रहा. इसके बाद अरदास हुई. अंत में महासचिव गुरचरण सिंह बिल्ला ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इसके साथ ही यह साफ हो गया कि सिख राजनीति से अब विपक्ष का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया है.

अब संगत में यह चर्चा हो रही है कि आने वाले समय में भी भगवान सिंह सबको साथ लेकर समाज की उन्नति के लिए और भी बेहतर कार्य करेंगे. बहरहाल, भगवान सिंह के अलावा सरदार शैलेन्द्र सिंह तीन बार निर्विरोध प्रधान बने थे. इंद्रजीत सिंह का दूसरा कार्यकाल भी निर्विरोध वाला था. उस वक्त सिख राजनीति के चाणक्य नाम से मशहूर सरदार शैलेन्द्र सिंह इंद्रजीत सिंह के साथ थे. मालूम हो कि गत दिनों दो-दो जागृति यात्रा के आगमन और फिर विभिन्न गुरुद्वारों में हुए शहीदी समागम एक तरफ से भगवान सिंह को दोबारा प्रधान बनाये जाने के लिए एक गुपचुप कैंपनिंग थी? यह भी बता दें कि 1943 में सीजीपीसी की स्थापना हुई थी.

आज की आमसभा की विस्तृत खबर जल्द.

 

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