फतेह लाइव, रिपोर्टर.

चाकुलिया स्थित ओल्ड एरोड्रम कैम्पस में ध्यान फाउण्डेशन के समीप गुरूवार को बहरागोड़ा विधायक समीर महंती पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी एवं न्यूरो सर्जन डॉ संजय कूमार ने संयुक्त रूप से प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित करने और मानव जीवन को सशक्त बनाने की ओर कदम बढ़ाते हुए PureSum के नए प्लांट का विधिवत रूप से फीता काट कर उद्घाटन किया. इस मौके पर puresum के सीईओ अरविन्द त्रिपाठी, एन एन पांडेय , डॉक्टर चंदेश्वर खां, नृपेंद्र त्रिपाठी, संजय सिंह, शशि सिंह, अक्षय श्रीवास्तव, जिला उद्यमी अधिकारी मंजू मिंज, अजिमा लकड़ा सहित अन्य गण मान्य लोग उपस्थित रहे.

उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान मंच को संबोधित करते हुए विधायक समीर महंती ने कहा कि प्योरसम इंडिया संस्था किसानों के हित के लिए कार्य करती है. प्योरसम संस्था झारखंड के सीमांत और आदिवासी किसानों को सशक्त बनाते हुए गोबर को जैविक खाद में बदल कर ग्रामीण क्षेत्र की कृषि में क्रांति लाने का कार्य करेगी. वहीं पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने भी समारोह को संबोधित किया और किसानों के लिए इस संस्थान को वरदान बताया.

उन्होंने अपने स्तर से हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया. गौरतलब हो कि अपने विस्तार के हिस्से के रूप में, PureSum ने झारखंड के चाकुलिया में एक नई CFOM उत्पादन सुविधा की नींव रखी है. यह प्लांट रणनीतिक रूप से 20,000 मवेशियों के लिए एक आश्रय के साथ एकीकृत है, जो एक बंद लूप सिस्टम बनाता है. जहाँ गाय के गोबर को प्रीमियम जैविक खाद में परिवर्तित किया जाता है.

100 टन प्रति माह की लक्षित उत्पादन क्षमता के साथ, यह सुविधा स्थानीय समुदायों के लिए स्थिर रोजगार और कौशल विकास के अवसर प्रदान करेगी, जिससे PureSum के ग्रामीण सशक्तिकरण के मिशन को और मजबूती मिलेगी. PureSum एक अग्रणी सामाजिक उद्यम, झारखंड भर में सीमांत और आदिवासी किसानों को सशक्त बनाते हुए गाय के गोबर को उच्च मूल्य वाले जैविक उत्पादों में बदलकर ग्रामीण कृषि में क्रांति ला रहा है. प्राकृतिक खेती, नवीन जैव उत्पादों और किसान शिक्षा को एकीकृत करके, PureSum एक आत्मनिर्भर कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दे रहा है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ाता है. फसल की पैदावार में सुधार करता है और सिंथेटिक/रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करता है.

PureSum बायोप्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और सीईओ अरविंद त्रिपाठी के नेतृत्व में संगठन ने LCB फर्टिलाइजर्स के साथ फसल-विशिष्ट किण्वित जैविक उर्वरक (CFOM) पेश करने के लिए साझेदारी की है – पुनर्योजी खेती में एक सफलता. वहीं CFOM नृपेंद्र त्रिपाठी और CMO संजय सिंह तथा COO के रूप में अक्षय श्रीवास्तव – CEO LCB फ़र्टिलाइज़र्स ज्ञान और नवाचार के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना इनका मुख्य उद्देश्य है. PureSum सिर्फ़ बायोप्रोडक्ट्स का निर्माता नहीं है – यह ग्रामीण भारत में बदलाव के लिए उत्प्रेरक है. कंपनी सक्रिय रूप से सीमांत, छोटे और आदिवासी किसानों को स्थायी खेती की तकनीकों में प्रशिक्षित और शिक्षित करती है. उन्हें प्राकृतिक और रसायन मुक्त खेती में बदलाव के लिए कौशल और संसाधनों से लैस करती है.

ऑन-ग्राउंड प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और AI-संचालित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से, किसान मिट्टी के पुनर्जनन, जैविक इनपुट और जलवायु-लचीली कृषि में सर्वोत्तम प्रथाओं तक पहुँच प्राप्त करते हैं. CFOM को अपनाकर और प्रकृति की अपनी जैविक प्रक्रियाओं का उपयोग करना सीखकर, किसान इनपुट लागत को काफी कम कर सकते हैं, उत्पादकता बढ़ा सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं – जिससे दीर्घकालिक आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता प्राप्त होती है. यह पहल सीधे ग्रामीण आत्मनिर्भरता का समर्थन करती है, यह सुनिश्चित करती है कि छोटे किसान सिर्फ़ कृषि इनपुट के उपभोक्ता ही नहीं हैं, बल्कि एक ऐसी सर्कुलर अर्थव्यवस्था में सक्रिय भागीदार है जो उनकी आजीविका और पर्यावरण दोनों को लाभ पहुँचाती है.

स्केलिंग इम्पैक्ट : झारखंड के चाकुलिया में एक नई सुविधा , एक हरित, आत्मनिर्भर भविष्य के लिए एक विजन है और PureSum प्रौद्योगिकी-संचालित, किसान-केंद्रित समाधानों के माध्यम से ग्रामीण कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है. वैज्ञानिक नवाचार और पारंपरिक ज्ञान के बीच की खाई को पाटकर, कंपनी भारत में टिकाऊ खेती के भविष्य को नया आकार दे रही है. यह पहल सिर्फ़ एक व्यवसाय से कहीं ज़्यादा है – यह आत्मनिर्भर कृषि समुदायों, स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और एक लचीली कृषि अर्थव्यवस्था की ओर एक आंदोलन है. वहीं न्यूरो सर्जन डॉ संजय ने कहा कि ऐतिहासिक स्थान से एक ऐतिहासिक कार्य की शुरुआत हो रही है. यह प्रयास सार्थक तभी होगा जब क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ आसानी से मिल सके. तकनीक के फायदे बनाते हुए बताया कि कृषि के क्षेत्र में भी विकसित तकनीक से विकसित खेती की जा सके. कृषि में रासायनिक खाद का इस्तेमाल एक गहरी साजिश है , जिसमें भारत के लोग फंस चुके हैं. यदि हम मिट्टी और बीज को विकसित कर दें तो कम पानी में भी बेहतर कृषि कार्य हो सकते है. चाकुलिया से फसल और नसल को बचाने की शुरुआत हुई है. इस प्योरसम इंडिया फाउंडेशन आगे तक ले जाएगी. वहीं
सीईओ अरविंद त्रिपाठी ने कहा कि यह एक सामाजिक संस्था है जहां एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ बायो प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है. कार्यक्रम का संचालन भाजपा नेता शशि मिश्रा ने किया था.

Share.
© 2025 (ਫਤਿਹ ਲਾਈਵ) FatehLive.com. Designed by Forever Infotech.
Exit mobile version