फतेह लाइव, रिपोर्टर
राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत, झारखंड प्रदेश और धनबाद जिले के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार 8 जनवरी को उपायुक्त धनबाद माधवी मिश्रा से मुलाकात कर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा. इसमें देशभर में पत्रकारों पर हो रहे हमले और हत्याओं को रोकने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून को अविलंब लागू करने की मांग की गई. ज्ञापन में कहा गया कि देश के पत्रकार लगातार असुरक्षा महसूस कर रहे हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की सड़क घोटाले की रिपोर्टिंग के बाद जघन्य हत्या इस समस्या का ताजा उदाहरण है. पत्रकारों ने मांग की है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ठोस कदम उठाए. पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी के लिए कानूनी प्रावधान किया जाए. पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न रोकने के लिए कड़े कानून लागू किए जाएं.
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पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाया जाए. पत्रकारों के लिए सुरक्षा गार्ड और उपकरण जैसे सुरक्षा उपाय उपलब्ध कराए जाएं. शिकायतों के समाधान के लिए एक प्रभावी प्रणाली स्थापित की जाए. सरकारी स्तर पर पत्रकारों को प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान किया जाए. सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित कर पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं. थाना स्तर पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. पत्रकारों को स्वास्थ्य सेवा, बीमा, रेल पास, पेंशन और आवास जैसी सुविधाएं दी जाएं. प्रेस कार्ड धारकों (चाहे वे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या वेब पोर्टल से जुड़े हों) को उपरोक्त सभी सुविधाएं और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. पत्रकारों ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को इसे प्राथमिकता सूची में शामिल करना चाहिए, क्योंकि देश का चौथा स्तंभ आज असुरक्षित और असहाय महसूस कर रहा है.
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इस मौके पर झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सह प्रभारी छत्तीसगढ़ मो. जहीरूद्दीन खान, धनबाद जिला अध्यक्ष शिव शंकर यादव, कानूनी सलाहकार दलीप सिंह राजपाल, अंजन कुमार सिंहा, प्रदीप कुमार सिंह, लखन विश्वकर्मा, शिशिर कुमार मिश्रा, मनोहर लाल सोनी, अशोक कुमार पांडेय, उज्जवल कुमार बॉस, उमेश कुमार, सुनील कुमार सिंह, सूरज दास, विजय शर्मा, योगेंद्र कुमार, प्रवीण सिंह, सिंदरी प्रखंड अध्यक्ष विजय कुमार ठाकुर, मनोज कुमार, गुलाम मुस्तफा अंसारी और मो. शाकिर सहित बड़ी संख्या में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकार भी उपस्थित थे. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अगर सरकार जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है.