एसपी का बंगला दिखाकर वसूले थे लाखों रूपए

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

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आज जमशेदपुर में साकची के मुर्गी लाईन में एक शराब दुकान पर पत्रकार पिटाई की चर्चा दिन भर‌ होती रही और कुछ पत्रकारों ने घटनास्थल पर पहुंच कर सोशल मीडिया पर मामला भी लहरा दिया. इस बात की जानकारी होने पर जब पता लगाया गया तो आश्चर्यजनक कहानी सामने आई.

एक तत्कालीन एसएसपी के समय समय सन्नी सरदार, राकेश कोहली, रवि पांडेय और श्रवण कुमार छोटू नामक मुखबिर हुआ करते थे. काम था अवैध धंधों में संलिप्त पुलिस और धंधेबाजों की सूचना मिलने पर ऊपर तक खबर कर देना. ये काम इतना तेजी से होने लगा कि इस खबरिया सिस्टम से मोटी कमाई होने लगी.

नतीजा कभी कोहली जेल‌ गया कभी छोटू तो कभी रवि पांडेय और सन्नी सरदार की तो हत्या ही हो गई. हालांकि इस हत्या के बाद कुछ दिन मुखबिर शांत भी रहे.

समय के साथ एसपी बदले तो फिर मुखबिर कभी डीएसपी तो कभी इंस्पेक्टर के लिए लाइजनिंग भी करना शुरू कर दिए. यह जानकारी अभी के कुछ थानेदार और डीएसपी को भी है, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं है कारण कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इनके संरक्षक हैं.

खैर इनके जेल जाने का इतिहास हम आपको थाना कांड संख्या के साथ बताएंगे, फिलहाल ये बड़ा सवाल है कि आखिर ऐसे जेल खटुए लोग पत्रकारिता में कैसे आ रहें हैं.

डीएसपी हेडक्वार्टर बीरेंद्र राम ने एसपी के नाम पर पैसा वसूलने वाले राकेश कोहली को सिदगोड़ा और सीसीआर डीएसपी अनिमेष गुप्ता ने बिष्टुपुर थाने से श्रवण कुमार छोटू को जेल भिजवाया था. इतना ही नहीं रवि पांडेय ने जब एक व्यवसायी को एसएसपी अनूप बिरथरे का बंगला दिखाकर कहा कि सब कुछ बता दिया है साहब को, आप बस पैसा दिजीए. तब उस व्यवसायी ने लाखों रुपए रवि पांडेय और उसके सहयोगी को दिए थे.

जब काम नहीं हुआ तो व्यापारी एसपी के पास पहुंच गया और फिर एसपी ने जाल बिछाकर रवि पांडेय को जेल भिजवाया. कुछ महीनों पहले रवि पांडेय एक पत्रकार के संपर्क में आया, फिर उसने कमाई का रास्ता दिखाया तो आईडी कार्ड मिल गया. फिर क्या अब वह पत्रकार बन गया है और नियत वही है. अवैध धंधों से वसूली.

ठगी में माहिर हैं ये सारे खबरी

सूत्रों की मानें तो कभी गोलमुरी के चर्चित सट्टा कारोबारी बख्सी तो कभी बिष्टुपुर के इरफान के अड्डे पर इनकी पिटाई थानेदार ही करवाते आएं हैं. कारण कि जैसे ही कोई नया थानेदार और डीएसपी आता है. ये लोग खुद को लाइजनिंग सिस्टम में जुड़ा आदमी बताकर लाफा-सोटिंग करने पहुंच जाते हैं. अब चूंकि बदनामी ज्यादा हो गई है और एक संरक्षण भी चाहिए, जिससे कम से कम पिटाई और जेल‌ से बचा जा सके, तो मीडिया सबसे सुरक्षित स्थान है. आखिर पत्रकारों के चरित्र प्रमाण पत्र क्यों नहीं बनते आखिर क्यों हर आदमी युट्यूब और पोर्टल चालू कर रहा है रोक क्यों नहीं है? कैसे कोई भी गाड़ी में प्रेस और आईडी कार्ड लिए पत्रकार बना फिर रहा है?

बहरहाल, इस खबर को प्रकाशित करने का उद्देश्य पत्रकार जगत और जिला प्रशासन को जागरूक करने का है, तांकी पत्रकारिता पर लोगों का विश्वास बना रहे.

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