स्वावलंबी कृषि प्रणाली, किसान प्रशिक्षण, आजीविका सुरक्षा, झारखंड कृषि
फतेह लाइव, रिपोर्टर
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पहाड़ी एवं पठारी अनुसंधान केंद्र, रांची द्वारा 25 किसानों का 23 से 25 जनवरी 2025 तक “स्वावलंबी कृषि प्रणाली द्वारा किसानों की आजीविका सुरक्षा” विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र दारिसाई पूर्वी सिंहभूम में प्रारंभ किया गया और एक प्रशिक्षण 25 किसानों का 21 से 23 जनवरी 2025 का समापन किया गया. यह कार्यक्रम आरकेवीवाई परियोजना “किसानों की आजीविका सुरक्षा के लिए कृषि प्रणाली मॉडल को सुदृढ़ करना और इसका प्रसार किसान उत्पादक संगठनों के माध्यम से झारखंड में करना” के तहत प्रायोजित किया गया था. इस कार्यक्रम का उद्घाटन परीक्षण समन्वयक सह प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. वीके यादव, पाठ्यक्रम निदेशक सह वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रीना कुमारी कमल, वैज्ञानिक महेश कुमार धाकड़, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. अमरेश चंद्र पांडे, युवा प्रोफेशनल नवनीत प्रभाकर शुक्ला और पीयूष पुष्कर द्वारा किया गया.
उन्होंने स्वावलंबी कृषि प्रणाली के महत्व और किसानों की आय बढ़ाने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर अन्य कृषि विज्ञान केंद्र दारिसाई के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भी किसानों को संबोधित किया. प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को समन्वित कृषि प्रणाली, जैविक खेती, पशुपालन, मिश्रित खेती और आधुनिक कृषि तकनीकों पर व्याख्यान और प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. किसानों को यह बताया गया कि कैसे समन्वित कृषि मॉडल को अपनाकर वे कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं. इस प्रशिक्षण में ग्रीष्मकालीन फसल बीज, पीएसबी, राइजोबियम, सीवीड एक्सट्रैक्ट, नैनो यूरिया और बिरसा किसान डायरी जैसी सामग्री वाली प्रशिक्षण किट भी वितरित की गई.
समापन सत्र में वैज्ञानिक डॉ. वीके यादव पाठ्यक्रम निदेशक सह वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रीना कुमारी कमल और वैज्ञानिक महेश कुमार धाकड़ द्वारा किसानों से फीडबैक लिया गया और प्रशिक्षण के फायदों को दोहराते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया. प्रशिक्षण ने किसानों को खेती की उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी आय में वृद्धि के लिए नए दृष्टिकोण प्रद