- मिशन 17 सूत्री मांगों को लेकर मशाल रैली व विरोध प्रदर्शन, मजदूरों की ताकत से सरकार पर दबाव बनाने का संकल्प
फतेह लाइव, रिपोर्टर
जमशेदपुर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में राकेश्वर पाण्डेय की अध्यक्षता में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र संघों के प्रवक्ताओं ने आगामी 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल की रूपरेखा साझा की. उन्होंने बताया कि 8 जुलाई को शाम 6:30 बजे आमबगान मैदान से मशाल रैली निकाली जाएगी, जो बिरसा चौक, साकची तक जाएगी. 9 जुलाई को विभिन्न कार्यस्थलों पर कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे, साथ ही सुबह 11:30 बजे आमबगान मैदान से एक विशाल विरोध रैली निकाली जाएगी, जो बिरसा चौक, साकची पहुंचकर धरना-प्रदर्शन में तब्दील होगी. इसमें शामिल प्रवक्ताओं में इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पाण्डेय, विश्वजीत देव, अंबुज ठाकुर, बिनोद राय, विजय खान, संजीव श्रीवास्तव, परबिदर सिंह सोहल, मनोज कुमार सिंह, ददन सिंह, साईं राजू, अमृत कुमार झा, सूर्य भूषण शर्मा, विनय साहू, संग्राम किशोर दास सहित अनेक केंद्रीय ट्रेड यूनियन प्रतिनिधि मौजूद थे.
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मशाल रैली से हड़ताल को मिलेगा व्यापक जन समर्थन
प्रवक्ताओं ने बताया कि 17 सूत्री मांगों का उद्देश्य श्रमिकों की स्थिति सुधारना और उनके हक सुनिश्चित करना है. इनमें चार श्रम संहिताओं को तत्काल वापस लेने, असंगठित और ठेका श्रमिकों की न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये तय करने, आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने जैसे अहम बिंदु शामिल हैं. संघों का दावा है कि ये चार संहिताएं मजदूरों को गुलाम बनाती हैं, उन्हें स्थाई रोजगार से वंचित रखती हैं और इसके खिलाफ देशभर में एक एकजुट संघर्ष की जरूरत है.
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17 सूत्री मांगों में न्यूनतम वेतन, पेंशन, सामाजिक सुरक्षा शामिल
प्रेस कांफ्रेंस में बताए गए अन्य प्रमुख मांगों में असंगठित व कृषि श्रमिकों के लिए ₹9,000 मासिक न्यूनतम पेंशन, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, बोनस और पेंशन में सुधार, ग़ैर-पंजीकृत श्रमिकों को पोर्टेबिलिटी के साथ सामाजिक सुरक्षा देना, बीमा और मातृत्व लाभ सुनिश्चित करना भी शामिल है. इसके अतिरिक्त, बिजली निजीकरण, ई-श्रम पोर्टल, MSP (C2+50%), इन्फ्रास्ट्रक्चर नौकरी गारंटी, शिक्षा-स्वास्थ्य-रिहायशी सुविधाओं को मुफ्त करना, कॉर्पोरेट टैक्स दर में वृद्धि, अत्यधिक अमीरों पर कर और बोल्शेविक नीतियों को लेकर भी जोरदार मांग खासकर शामिल हैं.
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मांगों में बिजली कटौती, निजीकरण पर आपत्ति और सार्वजनिक नीतियों में बदलाव की अपील
प्रतिवादियों ने संविधान के मौलिक मूल्यों—जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघीय ढांचे, कानून के समक्ष समानता—पर किए जा रहे हमलों पर रोक लगाने की मांग की. उनका कहना था कि जब तक ये मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन स्थिर ही रहेगा. संघों ने दृढ़ संकल्पंचा जताते हुए कहा कि 9 जुलाई की हड़ताल के भाव विस्तार से चर्चित 17 सूत्री मांगे ही इसका आधार होंगी, और इसके लिए उन्होंने मजदूरों तथा समाज के अन्य वर्गों को जोड़ने की रणनीति बनाई है.
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संविधान पर हमले के विरोध में ट्रेड यूनियनों ने ली एकजुटता की प्रतिज्ञा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित सभी प्रवक्ताओं ने कहा कि यह हड़ताल केवल मजदूरों की नहीं होगी, बल्कि समग्र समाज और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए एक आम संघर्ष बन कर उभरेगी. उन्होंने सभी बिरादरी संगठनों, वंचित वर्गों, कामगारों, किसानों और शिक्षित वर्ग को आंदोलन में आने का आह्वान किया. राकेश्वर पाण्डेय ने आह्वान किया कि 8 और 9 जुलाई मजदूरों की ताकत और समाज के समर्थन से बनाएं और इसे सफल बनाकर सरकार पर मजबूती से दबाव बनाएं.