• वैज्ञानिक तरीकों से खेती कर किसानों को समृद्ध बनाने का संकल्प

फतेह लाइव, रिपोर्टर

खूंटी में सांसद कालीचरण मुंडा के आवासीय परिसर स्थित सभागार में काला नमक धान की खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जिले के छह प्रखंडों के 200 महिला-पुरूष किसानों ने हिस्सा लिया. प्रशिक्षण के दौरान सांसद कालीचरण मुंडा ने प्रत्येक किसान को एक-एक किलो काला नमक धान के बीज वितरित किए. इस अवसर पर झारखंड प्रदेश किसान कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष कुमार ने भी आयोजन की व्यवस्था की. कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंकज ने किसानों को वैज्ञानिक खेती के तरीकों और काला नमक धान की खेती के महत्व पर विस्तार से प्रशिक्षण दिया. इस मौके पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और जिले के अधिकारी भी मौजूद थे. सांसद कालीचरण मुंडा ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि खूंटी के अधिकांश लोग खेती पर निर्भर हैं और उन्हें पेट पोसने के लिए वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना होगा, ताकि समृद्धि बढ़ सके.

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कालीचरण मुंडा ने युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि झारखंड में पर्याप्त जमीन होने के बावजूद सही जानकारी के अभाव में युवा बड़े शहरों की ओर रोजगार के लिए जाते हैं. वहीं, खूंटी जिले में कृषि उत्पादों की मंडी न होने पर उन्होंने चिंता जताई. उन्होंने बताया कि पड़ोसी जिले रांची के मांडर, बेड़ो और चान्हो में सब्जी मंडी होने के कारण वहां का उत्पादन बेहतर विपणन पा रहा है, जबकि खूंटी के उत्पादकों को मजबूरन अन्य जिलों में अपनी सब्जियां भेजनी पड़ती हैं. झारखंड किसान कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष कुमार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और पारंपरिक खेती के खतरों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि तापमान वृद्धि के कारण नई बीमारियां उत्पन्न होंगी और उत्पादन घटेगा, इसलिए वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना अनिवार्य हो गया है.

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सुभाष कुमार ने गाजर घास की समस्या पर भी चिंता जताई, जो झारखंड के 35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में तेजी से फैल रही है. उन्होंने बताया कि गाजर घास का एक पौधा हजारों नए पौधे पैदा करता है, जिससे खेती प्रभावित हो रही है. वहीं, काला नमक चावल की खेती को लेकर भी जानकारी दी गई, जिसे गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने उपवास को तोड़ने के लिए खाया था. डॉ. पंकज ने बताया कि काला नमक धान सुगर फ्री होने के साथ-साथ प्रोटीन, जिंक और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. इस धान की वैश्विक मांग बढ़ रही है और इसका उत्पादन सीमित नमी वाले खेतों में आसानी से किया जा सकता है. 120 दिनों में यह धान तैयार हो जाता है, और इसकी बाजार कीमत प्रति किलो लगभग 300 रुपए है, जबकि दुबई जैसे देशों में इसकी कीमत दोगुनी है.

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किसानों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना की और सांसद से रबी की फसल से पहले भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का आग्रह किया. कार्यक्रम में कांग्रेस नेता शशिभुषण राय, प्रदेश महासचिव मो नईमुद्दीन खां, जिलाध्यक्ष रवि मिश्रा, सांसद प्रतिनिधि छोटराय किस्कु, उपपरियोजना निदेशक अमरेश कुमार सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण और बीज वितरण से खेती में आधुनिकता आएगी और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

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