- पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता के बयान से भड़क गए जिप सदस्य
फतेह लाइव, रिपोर्टर
गिरिडीह में बुधवार को पांच महीने बाद जिला परिषद की बैठक का आयोजन हुआ, लेकिन यह बैठक विवाद और हंगामे के बिना पूरी नहीं हुई. बैठक के दौरान पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता ने जिप सदस्यों से तीखा जवाब दिया और कहा कि वे किसी की बात नहीं सुनेंगे. इस बयान से सदस्यों में नाराजगी फैल गई और बैठक में जोरदार बहस शुरू हो गई. जिप अध्यक्ष मुनिया देवी, डीडीसी स्मृति कुमारी, जिप उपाध्यक्ष छोटे लाल यादव, झामुमो नेता महलाल सोरेन, झामुमो नेत्री प्रमिला मेहरा समेत कई जिप सदस्य बैठक में मौजूद थे. यह बैठक हेमंत सरकार 2.0 के कार्यकाल में काफी देर से हुई, जिसमें विभागीय समीक्षा की गई.
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जिप सदस्यों की मांगों और कार्यपालक अभियंता के विरोध में हंगामा
जिप सदस्यों ने कहा कि पूर्व डीसी के निर्देशानुसार हर पंचायत में पांच चापानल लगाए जाने थे, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ. उन्होंने इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब मांगा, लेकिन कार्यपालक अभियंता के कड़े रवैये ने बैठक को तनावपूर्ण बना दिया. अभियंता ने सदस्यों की बातों को ठुकराते हुए कहा कि उनके किसी सुझाव या निर्देश को नहीं माना जाएगा. इससे सभी सदस्यों में नाराजगी भड़क उठी और हंगामा शुरू हो गया. हंगामे के बीच बैठक बंद कमरे में चली गई. जिप सदस्य पदाधिकारियों से जानकारी लेने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन विवाद जारी रहा.
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जल और स्वच्छता पर गिरिडीह में बढ़ते सवाल
पत्रकारों से बातचीत में जिला परिषद अध्यक्ष मुनिया देवी ने कहा कि अब सरकार भाजपा की नहीं है, इसलिए अधिकारी जिप सदस्यों की बात सुनने को तैयार नहीं हैं. वे बताती हैं कि जिप सदस्य पदाधिकारियों के पास नाक रगड़ कर भी जाते हैं, लेकिन कोई भी उनकी सुनवाई नहीं करता. उन्होंने कहा कि सभी को एक-दूसरे की मर्यादा का सम्मान करना चाहिए और गलत व्यवहार से बचना चाहिए. मुनिया देवी ने साफ कहा कि अगर सरकार उनकी होती तो इस तरह की परिस्थिति कभी नहीं बनती. यह बयान क्षेत्रीय प्रशासन में विद्यमान तनाव और असंतोष को उजागर करता है.