जमशेदपुर।

बारीडीह गुरुद्वारा साहिब में गुरुवार को श्री गुरु हरगोविंदजी का 429 वां प्रकाश पर्व श्रद्धा एवं परंपरागत तरीके से मनाया गया. इस मौके पर भाई मनप्रीत सिंह के जत्थे ने कीर्तन गायन किया और महासचिव सुखविंदर सिंह ने ऐतिहासिक घटनाक्रम का जिक्र किया. गुरु के वजीर ग्रंथी बाबा निरंजन सिंह ने समस्त जीवों के कल्याण की अरदास की.

गुरु हरगोविंद जी के प्रकाश पर्व पर परंपरागत तरीके से मिस्सी रोटी प्याज लस्सी का लंगर तैयार किया गया, जिसे श्रद्धा के श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया.

गुरु हरगोविंद जी की मां माता गंगा अपने पति एवं पांचवें गुरु अर्जुन देव जी की सलाह पर बाबा बुड्ढा जी के पास औलाद का दान लेने पहुंची थी. पहली बार राजसी ठाठ बाट से वह दासियों सेवकों के साथ पहुंची तो आशीर्वाद नहीं मिला.

फिर गुरु अर्जन देव जी की सलाह पर उन्होंने अपने हाथों से चक्की में चना और गेहूं का मिश्रित आटा पीसा, उसकी रोटी बनाई, लस्सी- मक्खन भी तैयार किया. इसके साथ ही वह प्याज लेकर नंगे पांव 8 मील पैदल चलकर बाबा बुड्ढा जी के पास पहुंची, तो वहां उन्हें औलाद का आशीर्वाद मिला और बाबा बुड्ढा जी ने प्याज को अपनी मुट्ठी से तोड़ा और कहा कि वह दुश्मनों को इस तरह से तोड़ेगा.

गुरु हरगोविंदजी जब गुरु बने तो उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब तैयार किया. उन्होंने मीरी और पीरी तलवार धारण की और सेना तैयार की. गुरु अर्जन देव जी के अनुसार नम्रता याचना सच्चाई सादगी से ही प्रभु की कृपा प्राप्त होती है.

इस मौके पर सरदार सतविंदर सिंह को चेयरमैन करतार सिंह ने संगत की ओर से सिरोपा भेंट किया. इसे सफल बनाने में प्रधान कुलविंदर सिंह, डेप्युटी प्रेसिडेंट ज्ञानी कुलदीप सिंह खुशीपुर, महासचिव सुखविंदर सिंह, कैसियर बलविंदर सिंह, जसवंत सिंह, विक्रम सिंह, रोबिन सिंह, जसपाल सिंह, काके सिंह, प्रितपाल सिंह, रक्षपाल सिंह, बीबी देवा कौर, बीबी बलविंदर कौर, बीबी निर्मल कौर, बीबी मनजीत कौर, बीबी सतनाम कौर आदि की सराहनीय भूमिका रही.

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