फतेह लाइव, रिपोर्टर. 

जमशेदपुर से क़ौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह ने रविवार को सीजीपीसी के इतिहास का काला दिन बताया है. जहां ताकत के बल पर भगवान सिंह को निर्विरोध प्रधान चुने जाने की घोषणा की गई. यदि भगवान सिंह के साथ सारी कमेटियां थी तो चुनावी प्रक्रिया से उन्होंने परहेज क्यों किया?

छोटे-छोटे मुद्दे पर सीजीपीसी का न्यूज़ अखबारों को भेजने वाले भगवान सिंह ने आम सभा के बारे में क्यों नहीं संविधान के अनुसार जानकारी दी? क्यों नहीं मतदाता सूची का प्रकाशन और चुनावी कार्यक्रम की घोषणा की?

इतनी क्या हड़बड़ी थी कि एक घंटे के अंदर सब कुछ कर लिया? भगवान सिंह के समर्थक अब समाज को क्या मुंह दिखाएंगे और संविधान की बात करेंगे? विभिन्न गुरुद्वारों में चुनावी प्रक्रिया और संविधान की दुहाई देने वाले समर्थक के मुंह बंद हैं? वास्तव में उनके जमीर मर चुका है और वह भगवान सिंह की जी हजूरी कर रहे हैं?

भगवान सिंह पिछले 9 साल से मानगो के प्रधान बने हुए हैं और समर्थकों का यही रवैया रहा तो आने वाले कई सालों तक सीजीपीसी के प्रधान छल बल के साथ बने रहेंगे? सीजीपीसी के वैसे लोगों को शर्म आनी चाहिए, जिन्होंने यह कहा है कि मजहबी सिखों ने उनके नाम का प्रस्ताव किया है.

सीजीपीसी का काम अब जात-पात करना ही रह गया है. भगवान सिंह में नैतिकता है तो चोर दरवाजे से प्रधान बनने की बजाए खुले रूप से चुनावी प्रक्रिया की घोषणा करें और एक महीने का इंतजार करें, तो दूध का दूध पानी का पानी संगत के बीच हो जाएगा. बाकी वाहेगुरु पर भरोसा है पिछली बार वाहेगुरु ने ही संगत के साथ न्याय किया था और अब संगत को उसी दिन का भगवान सिंह के मामले में भी इंतजार रहेगा?

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