फतेह लाइव, रिपोर्टर. 

जमशेदपुर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि धार्मिक मामले देखने वाली सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भगवान सिंह ने राजनितिक मामलों में हस्तक्षेप किया है. उन्होंने इंडिया गंठबंधन को समर्थन देते हुए झामुमो प्रत्याशी समीर मोहंती को जिताने का खुलकर समर्थन किया है और समाज का भी भरपूर सहयोग देने का आश्वासन दिया है. राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाते हुए वह कई मंच साझा कर चुके हैं और भाजपा के साथ साथ मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं.

लेकिन उनके इस फैसले के बाद सिख समाज में सरगर्मी बढ़ गई है. समाज में इसकी चर्चा जोरों पर हो गई है कि आखिर प्रधान को ऐसा फैसला क्यों लेना पड़ा. अगर उन्हें समर्थन करना ही था तो वह गुपचुप तारीके से भी कर सकते थे, आखिर खुलकर क्यों सामने आये. बहरहाल, उनके इस फैसले की चहूँ ओर निंदा की जा रही है. हर रोज एक प्रतिक्रिया तो आ रही है, जिससे समाज सुर्खियों में बना हुआ है. समाज को भविष्य में होने वाले नुकसान फायदे के आकलन किये जा रहे हैं. खुलकर कहें तो समाज का एक धड़ा बिखर चुका है. आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. इस खेल में एक बड़े सिख नेता की राजनीति पर भी असर पड़ सकता है. देखने वाली बात होगी कि चुनाव के बाद सिख राजनितिक पर क्या मोड़ आएगा. एक चाणक्य की भूमिका निभाने वाले नेता की भी खूब खिंचाई बाजार में चल रही है.

सिखों में दरार पैदा करने का काम न करें सीजीपीसी, सिख स्वतंत्र है अपनी मर्जी से वोट करने को – सतपाल सिंह

सीजीपीसी के झामुमो के पक्ष में बयान के बाद सिखों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सीजीपीसी के प्रधान के बयान के बाद लगातार सिख समुदाय द्वारा आलोचना हो रही है. इसी क्रम में रंगरेटा महासभा का एक धड़े के चेयरमैन सतपाल सिंह सत्ते ने बयान जारी कर कहा की सीजीपीएससी एक धार्मिक संस्था है और एक – एक सिख को अधिकार है कि अपना मत का उपयोग अपनी मनमर्जी से करें, क्योंकि लोकतंत्र में सभी को अधिकार है कि वह मत का उपयोग करें और मत का प्रयोग करने के लिए किसी पर दबाव नहीं बनना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सीजीपीसी से अनुरोध है कि सीजीपीसी एक धार्मिक संस्था है और धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में अपना ध्यान दें. राजनीति के चक्कर में धार्मिक संस्था का सहारा लेकर अपना उल्लू सीधा करने का कार्य सीजीपीसी को नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीजीपीसी कृपया करके सिखों में दरार पैदा करने का काम ना करें, क्योंकि सिख स्वतंत्र है. अपनी मर्जी से किसी को भी वोट डालने के लिए. सीजीपीएससी किसी एक पार्टी का प्रचार प्रसार करने से परहेज करें.

सिंह ने यह भी कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सीजीपीसी जैसी एक धार्मिक संस्था किसी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले उनका प्रचार प्रसार कर रही है और वोट डलवाने के लिए कार्य करने का काम कर रही है. गुरुद्वारे की गिनती करवाते हुए इतने गुरद्वारे, उतने गुरुद्वारे का दावा करने वाली सीजीपीसी को ध्यान में रखना चाहिए कि उनके अपने ही मसले कई गुरुद्वारों में है, जो सुलझ नहीं रहे.

पहले सीजीपीसी को उन मसलों को सुलझाना चाहिए. उसके बाद स्वतंत्र रूप से जिस राजनीतिक दल में जाकर प्रचार प्रसार करना चाहे करे, न कि धार्मिक संस्था का उपयोग करके. सिखों से अनुरोध है कि अपनी मर्जी से जिसे चाहे उसे वोट डालें. सीजीपीसी कोई नई परंपरा की शुरुआत ना करे, जिसकी कीमत आगे पूरी सिख समाज को चुकानी पड़े.

प्रधान का काम लोगों को जोड़ने का ना कि तोड़ने का – जीत सिंह

इस पूरे प्रकरण में एक वरीय सिख जीत सिंह ने फतेह लाइव को ख़ासकर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि सीजीपीसी प्रधान वह कैसे बने उसका आकलन करते हुए भविष्य में समाज में एका करने कि प्रधान की प्राथमिकता होनी चाहिए थी. रोजाना विभिन्न गुरूद्वारे वरण सीजीपीसी में विवाद बढ़ता जा रहा है. पहले उन्हें सुलझाना चाहिए था. सीजीपीसी की आड़ में प्रधान को राजनितिक रोटी नहीं सेकनी चाहिए. बाहर से जो कुछ करना है करें.

पंजाब में किसान नेता किसे समर्थन करना है उसे लेकर कुछ बोल नहीं रहें और यहां किसान मामले को तूल देकर राजनितिक की जा रही है. प्रधान भगवान सिंह को पूरे समाज के अच्छे बुरे का सोचना है, लेकिन वह कुछ दागी लोगों को लेकर चल रहे हैं. उनमें अधिकतर गुरु घर के देनदार हैं. प्रधान समाज पर दूसरी जाति की तरह फ़तुवा नहीं थोप सकता. मताधिकार के मामले में सभी स्वतंत्र हैं. पहले उन्हें अपना परिवार देखना चाहिए उसके बाद राजनीतिक को स्थान देना चाहिए. जीत सिंह ने कहा कि प्रधान की नीति और फैसले का वह पूर्णजोर विरोध करते हैं.

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