फ़तेह लाइव,रिपोर्ट  

कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि वह अपने मंत्रिमंडल से मंत्री हफीजुल हसन अंसारी को बाहर करें। कुलविंदर सिंह के अनुसार कोई संवैधानिक पद में रहकर संविधान की मूल भावना के खिलाफ कैसे बयानबाजी कर सकता है। मंत्री हफीजुल हसन का यह कहना की शरीयत संविधान से ऊपर है, उसे भारत का कोई भी नागरिक स्वीकार नहीं कर सकता है? मुख्यमंत्री जी किसी मुसलमान से पूछिए क्या वह माननीय मंत्री के बयान से इत्तेफाक रखता है, उसका जवाब भी ना में होगा।

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मंत्री ने अपने बयान से झारखंड और झारखंडियों को शर्मशार किया है। हफीजुल हसन अंसारी विधायक और मंत्री पद छोड़कर धार्मिक कार्य संपादित करें तब भी सच्चा मुसलमान उनके बयान को स्वीकार नहीं करेगा। शर्म आती है कि अब मंत्री जी उन धार्मिक बाबा से प्रेरित है जो देश को एक धर्म विशेष राष्ट्र बनाने की वकालत सार्वजनिक रूप से करते हैं? हफीजुल हसन मंत्री पद छोड़ें और वही काम करें, जिसे वह प्राथमिकता देते हैं। कुलविंदर सिंह के अनुसार हफीजुल हसन अंसारी जैसे लोग धर्मनिरपेक्ष दल की ताकत को कमजोर करते हैं, और वास्तव में देश में बहुसंख्यक वाद की भावना को मजबूत करने को तेल, घी, पेट्रोल, खाद दे रहे हैं।

मंत्री पद पर काबिज ऐसे लोगों के उल्टे पुलटे बयान से ही समाज में तनाव, टकराव, नफरत का माहौल बनता है, सामाजिक सद्भाव और ताना-बाना को नुकसान पहुंचता है। हफीजुल हसन अंसारी को इतनी समझ होनी चाहिए कि प्रतिनिधि मूलक लोकतंत्र में वोटो के ध्रुवीकरण और गोलबंदी के लिए जो बयान राजनीतिक विशेष दल के नेता दे सकते हैं वह विधायक मंत्री बनने के बाद किसी भी मूल्य पर स्वीकार्य नहीं हो सकते। विधायक, सांसद, मंत्री में लोकतांत्रिक संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण और लोक लज्जा होनी चाहिए। जो इस समय हफीजुल हसन अंसारी में नहीं है? ऐसे तत्वों का सभ्य समाज में पोषण और संरक्षण नहीं होना चाहिए।

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