फतेह लाइव, रिपोर्टर.
इस्पात नगरी के सिख व्यवसायी एवं शहीद बाबा दीप सिंह गुरुद्वारा कमेटी सीतारामडेरा के वरीय सलाहकार रहे सरदार चरणजीत सिंह सबलोक (चन्नी) ने इसे दुर्भाग्य जनक बताया कि सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था होने के बावजूद सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से बयान जारी होता है कि जो बीजेपी को वोट देगा वह सिख नहीं है. क्या इतने बुरे दिन आ गए हैं कि अब सिख होने के लिए सीजीपीसी से प्रमाण पत्र चाहिए. सीजीपीसी के कुछ लोग घिनोनी और स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं. क्या ये सिख उन लोगों के साथ बैठकर भोजन करेगा, जिनके पूर्वजों ने सिख गुरुओं को शहीद किया और सिखों का नामो निशान मिटाने को कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
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गुरुद्वारों की कमेटी में हो रही गुटबाजी को खत्म करें
सीजीपीसी क्या 1984 भूल गई है. जो भुलक्कड़ है इतिहास पढ़ लें, क्या उनके ऐलान से कांग्रेस को फायदा नहीं होगा? 1984 की कांग्रेस से बीजेपी लाख गुणा अच्छी है, जो किसान आंदोलन में जुल्म की बात कर रहे हैं वह बताएं, कौन पदाधिकारी और रिश्तेदार इस आंदोलन में शहीद हुआ है. चरणजीत सिंह चन्नी ने धार्मिक नेताओं को सलाह दी है कि वह गुरुद्वारों की कमेटी में पद के लिए हो रही मारामारी गुटबाजी को खत्म करें. सीजीपीसी मुख्यालय में मारपीट हुई, जो सिख इतिहास का सबसे बदनुमा दाग है. आपस में कैसे भाईचारा बढ़े, सामाजिक एकता हो, शिक्षा और रोजगार में कैसे तरक्की करें. इस पर ध्यान देने की बजाय अपने धंधा और रुतबा के लिए खास राजनीतिक दल की दलाली नहीं करनी चाहिए.