जमशेदपुर।

मणिपुर की घटना में देश और विदेश के लोगों को चिंतित कर दिया। सभी समाज और लोकतांत्रिक देश ऐसा कैसे हो गया। मणिपुर की घटना से दुनिया को पता चला कि डबल इंजन की सरकार हर मामले में फेल है। मणिपुर में जो कुछ हुआ वह काफी निंदनीय और चिंतनीय है। वहां राज्य सरकार के संरक्षण में इस तरह की घटना हुई। मोदी सरकार की पोल खुल गई। पता चला कि मोदी सरकार आदिवासी विरोधी है।

आदिवासी समाज के साथ जो कुछ हुआ वह दुनिया को चिंता में डाल दिया। अधिवक्ता और राजद नेता सुधीर कुमार पप्पू ने एक बयान जारी कर उक्त बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 90 दिनों तक मणिपुर की घटना को नजर अंदाज करते रहे और मुंह नहीं खोला। जब सुप्रीम कोर्ट ने पहल की तो प्रधानमंत्री का एक बयान आया।

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अभी तक मणिपुर के मुख्यमंत्री पर कोई कार्रवाई प्रधानमंत्री ने नहीं की है, जबकि देशभर से मांग उठ रही है कि वहां के मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। अभी भी प्रधानमंत्री मोदी इतनी बड़ी घटना को लीपापोती करने में लगे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी महिलाओं के साथ जिस प्रकार वहां के लोगों ने नंगा कर जुलूस निकाला और उनके साथ दुष्कर्म किया कई महिलाओं की और आदिवासी युवकों की हत्या कर दी गई। स्थानीय पुलिस बवाल काटने वालों के साथ थी। वहां के मुख्यमंत्री ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

जब सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया तो प्रधानमंत्री ने सीबीआई जांच की घोषणा की जो खानापूर्ति साबित होगा। मणिपुर में करीब 150 आदिवासियों की हत्या कर दी गई। सैकड़ों घर जला दिए गए। राहत कैंप में 50,000 से अधिक लोग रहते हैं। जान बचाने के लिए आदिवासी समाज के लोग जंगल में जाकर छुप गए हैं।

उन्होंने कहा कि चिंता इस बात की है कि झारखंड में भी भाजपा के आदिवासी नेता मणिपुर की घटना पर मौन है और निंदा करने से भी परहेज कर रहे हैं। उनकी मांग है कि जल्द से जल्द मणिपुर सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए और मामले की जांच संसदीय कमेटी से करवाई जाए।

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