फतेह लाइव, रिपोर्टर.

धर्मांतरण के मुद्दे की अपने स्तर से जांच करने के लिए शहर के विविध संगठन का एक प्रतिनिधि मंडल सुंदरनगर स्थित समेकित जन विकास केंद्र पहुंचा।

प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंचा तो देखा, “चुप्पी तोड़ो” विषय पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला में शामिल किशोर किशोरियां ड्राइंग के माध्यम से बाल मजदूर एवं बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई पर अपने मनोभाव को रख रहे थे।

बच्चियों ने बताया कार्यशाला में धर्म आधारित कोई बात नहीं सिखाई जाती और यहां केवल कौशल विकास और व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया जाता है। अंदर के डर को मारकर चुप्पी तोड़ने तथा गलत का डटकर विरोध करने, सामूहिक एकता और टीम भावना की प्रेरणा ऑडियो विजुअल जैसे माध्यमों से दी जाती है। पहले भी वह इस तरह के कार्यशाला में यहां शामिल रहे हैं।

किशोरियों के अनुसार कार्यशाला से अपने लक्ष्य की पहचान तथा इस दिशा में आगे बढ़ने तथा डर के दायरे से बाहर निकलने का आत्मबल मिला है। जनजाति वर्ग के किशोर ने कहा कि उसके हाथ में रक्षा सूत्र मौली बंधी हुई है और उसे अपनी सभ्यता समाज और संस्कृति पर गर्व है। टाटानगर स्टेशन में जो माहौल बनाया गया, वह नहीं होना चाहिए। दुखद है कि धर्मांतरण का आरोप लगाने वाले हमारी बातों को सुनने को राजी नहीं थे। यहां हम कुछ नया सीखने आए हैं, जिससे व्यक्तित्व बौद्धिक विकास हो, पहले डर लगा था परंतु अब इस पर विजय पा लिया है। आने वाले समय में जब भी कार्यशाला हुई, बुलाया जाएगा तो जरूर शामिल होंगे।

लेकिन तब अपने साथ अपना आधार, पहचान पत्र, माता-पिता की अनुमति का पत्र एवं कार्यक्रम संबंधी अन्य ठोस जानकारी रखेंगे। जिससे पुलिस एवं अन्य जांच एजेंसी को काम करने में तथा सच्चाई की तह में जाने में आसानी हो।

प्रतिनिधिमंडल को वहां के प्रभारी फादर वीरेंद्र टेटे द्वारा सहयोग कियागया और किशोर किशोरियों से खुलकर बात करने का अवसर दिया गया। फादर के अनुसार भारत सरकार के कौशल विकास मंत्रालय के प्रावधान के अनुसार यहां विविध कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं।

इस प्रतिनिधि मंडल के अनुसार जिला उपायुक्त महोदय को इसका संज्ञान लेकर सक्षम पदाधिकारी से जांच करवाना चाहिए, जिससे आने वाले समय में टाटानगर स्टेशन जैसी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। जिस तरह से जनजाति किशोर किशोरियों का भयादोहन किया गया है उनके खिलाफ सुसंगत कानूनी धाराओं के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

इस प्रतिनिधिमंडल में यूनाइटेड फोरम फॉर पीस एंड जस्टिस से सबन बारला, क़ौमी सिख मोर्चा से अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह, भारतीय ओबीसी विचार मंच से जितेन्द्र यादव, डॉ आंबेडकर एसटी, एससी, ओबीसी माइनॉरिटी वेलफेयर समिति से रविंदर प्रसाद, सुरेश प्रसाद, गणेश राम, राज कुमार दास आदि शामिल थे।

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