फतेह लाइव, रिपोर्टर.






































सिखों के महान गुरुओं के लिए जीवन कुर्बान कर देने वाले का पंथ ऋणी है. उक्त विचार गुरु घर के कीर्तनीए भाई जसपाल सिंह छाबड़ा ने कीर्तन के दौरान रखे. वे बुधवार को जुगसलाई गौरीशंकर गुरुद्वारा में आयोजित विशेष महान कीर्तन दरबार में संगत को गुरु जस और सिख इतिहास श्रवण करा रहे थे. बीर खालसा दल के बैनर तले गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से यह आयोजन किया गया था.
उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी का धड़ लेकर अपने घर में अंतिम संस्कार करने वाले लखी शाह वंजारा, गुरु गोविंद सिंह की रक्षा करने के लिए पूरा परिवार की कुर्बानी देने वाले पीर बुद्धू शाह, माता गुजरी जी एवं दोनों छोटे साहबज़ादे भाई जोरावर सिंह एवं भाई फतेह सिंह को जेल में दूध पिलाने वाले मोतीराम मेहरा एवं अंतिम संस्कार के लिए कई हजार सोने की मोहर देकर तीन गज जमीन लेने वाले दीवान टोडरमल को याद किया गया.
इस कीर्तन दरबार में बताया गया कि गुरु महाराज की अत्यंत कृपा होती है तो इस लोक के साथ परलोक भी सुधर जाते हैं. हमें जो कुछ मिल रहा है, समृद्धि है, प्रेम है, सब कुछ ईश्वर की कृपा से मिल रहा है. परंतु गिने चुने लोग ही होते हैं जो ईश्वर के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देते हैं. उनमें से यह भी है और हमें इनका ऋणी रहना चाहिए. नई पीढ़ी को इतिहास बताया जाना चाहिए.
इस दीवान में साकची गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व प्रधान एवं गुरु नानक सेवा दल के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह मंटू, समाजसेवी एवं बिल्डर सुरेंद्र पाल सिंह टीटू, मोहन सिंह भाटिया, सोनारी गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव एवं सीजीपीएससी के पूर्व महासचिव सुखविंदर सिंह, चरणजीत सिंह को सिरोपा भेंटकर सम्मानित किया गया. इसके आयोजन में प्रधान अमरजीत सिंह गांधी, महासचिव हरदीप सिंह छनिया, पप्पू भाटिया, अवतार सिंह पिंटू आदि की सराहनीय भूमिका रही.
कीर्तन दरबार में स्त्री सत्संग सभा, रणजीत सिंह सेवादल, ने कीर्तन किया और कथावाचक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने गुरवाणी के विचारों से संगत को गुरु घर से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. कीर्तन अरदास के उपरांत गुरु का अटूट लंगर लोगों ने भक्ति भाव के साथ ग्रहण किया.