साकची में जिच जारी, आज नामांकन करने की अंतिम तारीख

बिष्टुपुर जी टाउन गुरुद्वारा में प्रक्रिया शुरू, लेकिन रूकावटें रहेंगी

बहुत महीनों बाद गर्म हुआ टुईलाडुंगरी का विवाद

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

जमशेदपुर के तीन प्रमुख गुरुद्वारों में इन दिनों प्रधानगी पाने की होड़ मची हुई है. साकची गुरुद्वारा के साथ-साथ बिष्टुपुर जी टाउन और टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा में यह मामला शुरू होने के साथ ही सिख राजनीति और सुर्खियों में बनेगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. इन तीनों मामलों में सीजीपीसी पर सबकी निगाहें बनी हुई हैं. सीजीपीसी की भूमिका अब तक कहां क्या चल रही है. उनसे क्या उम्मीदें हैं. (नीचे पढ़ें विस्तार से)

साकची गुरुद्वारा

बुधवार को यहां जारी प्रक्रिया में निशान सिंह ने दमखम के साथ नामांकन दाखिल किया. इससे पूर्व विपक्ष के विरोध को देखते हुए एसडीओ शताब्दी मजूमदार के यहां एक बैठक हुई. इसमें सीजीपीसी प्रधान भगवान सिंह, महासचिव अमरजीत सिंह, विपक्ष से उम्मीदवार हरविंदर सिंह मंटू और समर्थक एवं कार्यकारी टीम से निशान सिंह, चुनाव संयोजक सतिन्दर सिंह रोमी शामिल हुए. यहां तीनों पक्ष की बैठक में जो प्रशासनिक निर्णय निकला, उसकी आधिकारिक पुष्टि देर रात तक नहीं हो सकी, किन्तु देर शाम निशान सिंह के नामांकन दाखिल करने की खबर ने यह दिखाया है कि चुनाव प्रक्रिया संविधान के अनुरूप चल रही है. वहीं, विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर अभी भी तीखे तेवर अपनाये हुए है.

विपक्ष चुनाव संयोजक रोमी के रहते हुए चुनाव नहीं लड़ने का दावा कर रहा है. वहीं, इस मामले को लेकर सीजीपीसी के महासचिव को फोन लगाया गया, उनका फोन स्विच ऑफ़ मिला, सो उनकी बात नहीं रखी जा सकी. कुल मिलाकर यहां नामांकन दाखिल करने का समय गुरुवार शाम पांच से छह बजे तक है. बुधवार को साढ़े 7 बजे विपक्ष के दो उम्मीदवारों ने नामांकन किया था. बेसमय गुरुवार को चुनाव कमेटी इसकी इजाजत देती है या नहीं यह वक्त बताएगा. बहरहाल, मामले में प्रशासन केवल विधी व्यवस्था पर नजर रखेगा, चुनाव कराने की जिम्मेदारी खुद अपने माथे में नहीं लेगा, यह तय है. जैसा अब तक होता आया है. वहीं सीजीपीसी यहां हस्तक्षेप करने के लिए प्रयासरत है. दो प्रतिनिधि नियुक्त किये जा चुके हैं, लेकिन उन्होंने अभी मोर्चा नहीं संभाला है. गुरुवार को उनका दावा है कि प्रशासन इस बाबत नोटिफिकेशन निकाल देगी.

बिष्टुपुर गुरुद्वारा में कौन बनेगा प्रधान

इधर, बिष्टुपुर जी टाउन गुरुद्वारा में भी गुरुवार को चुनाव प्रक्रिया की घोषणा सीजीपीसी ने कर दी है. घोषणा के मुताबिक सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से चेयरमैन सरदार शैलेंद्र सिंह, महासचिव अमरजीत सिंह, सुखविंदर सिंह राजू, दलजीत सिंह और सुरजीत सिंह के साथ पांच मेंबरी का गठन किया गया है.

सभी पक्ष से यह चुनाव कराने में सहयोग की अपील प्रधान भगवान सिंह की ओर से जारी एक पत्र में की गई है. सीजीपीसी के कहने पर अब तक कार्यकारी प्रधान के रूप में यहां प्रकाश सिंह काम देख रहे हैं. उनके कार्यकाल की सराहना संगत के बीच पुरजोर हो रही है. सीजीपीसी की टीम यहां बिना विवाद के कुछ हल निकाल पाती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी, क्यूंकि विपक्ष के लोग देनदार हैं. साथ ही यहां के मामलों में केस मुकदमे भी चल रहे हैं. सीजीपीसी पर दोनों पक्षों को भरोसा है. वैसे यह विवाद एसजीपीसी तक गूंज चुका है.

टुईलाडुंगरी गुरुद्वारा

यहां पिछले कुछ दिन पहले चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई है. लेकिन आज 28 मई की दोपहर एक हंगामा हो गया, जो तीन दिन पहले भी हुआ था. जानकारी के अनुसार गुरुद्वारा के ट्रस्टी सरदार रंजीत सिंह ने नोटिस बोर्ड पर वोटर लिस्ट लगाई और संगत ने विरोध करना शुरू कर दिया. आरोप है कि टुईलाडुंगरी में जितने वोटर हैं उससे अधिक हावड़ा ब्रिज कालीमाटी के जोड़ दिये गए हैं.

साथ ही ट्रस्टी रंजीत सिंह का भगना इस चुनाव में उम्मीदवार है, ऐसे में उन्हें इस प्रक्रिया से दूर किया जाये. बता दें कि चार अन्य ट्रस्टी अब दुनिया छोड़ चुके हैं. सबसे दिलचस्प बात पिछले समय के विवाद में सीजीपीसी के पूर्व महासचिव जसवंत सिंह भोमा और जसवीर सिंह पदरी जो एक दूसरे के धुर विरोधी थे, आज के विरोध प्रदर्शन में दोनों एक साथ दिख रहे हैं, जो इस चुनावी माहौल को आने वाले दिनों में दिलचस्प बनाने वाले हैं. खैर, सीजीपीसी द्वारा गठित पांच सदस्यीय टीम को यहां से पिछले दिनों सत्कार के साथ विदाई दी जा चुकी है, अब बिना विवाद यहां चुनाव संपन्न हो जाये, इस पर भी संगत की निगाहें बनी हुई है, खासकर सीजीपीसी पर.

चुनाव प्रक्रिया का विरोध करने में ये थे शामिल, जमकर हुई नारेबाजी

उम्मीदवार रंजीत सिंह, अकाली दल के सदस्य व उनके सहयोगी मुख्य रूप से जसवंत सिंह भोमा, दिलबाग सिंह पिंटू, पूर्व प्रधान सविंदर सिंह, मास्टर तरसेम सिंह, दर्शन सिंह, रंजीत सिंह, जगतार सिंह, जसबीर सिंह पदरी व अन्य 25 लोगों ने ट्रस्टी के खिलाफ नारेबाजी की, क्योंकि लिस्ट में साकची के वोटर टुइलाडूंगरी से ज्यादा हैं.

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