जमशेदपुर।

ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन के पूर्वी भारत अध्यक्ष सतनाम सिंह गंभीर ने प्रेस को जारी बयान में कहा की केंद्र सरकार ने आदिवासियों और सिखों के यूसीसी और आनंद विवाह अधिनियम के मुद्दे पर सलाह देने के लिए कैबिनेट मंत्रियों की समिति का गठन किया है.

इस समिति के गठन के फैसले से पता चलता है कि सरकार सिख समुदाय की चिंताओं से अनजान नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि न केवल सिखों का आनंद विवाह अधिनियम अलग है, बल्कि सिख हर मामले में अलग हैं और उनका एक अलग अस्तित्व है. सिख समुदाय की परंपराएं, समारोह, त्यौहार, परंपराएं आदि सभी अलग-अलग हैं. इसलिए, यूसीसी पर सिखों का विरोध एक अलग आनंद विवाह अधिनियम तक सीमित नहीं है. समग्र रूप से सिखों की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति है. ऐसे में सतनाम सिंह गंभीर ने कहा की भारत सरकार इस प्रस्तावित बिल से आदिवासियों को बाहर रखने पर विचार कर रही है. इसी प्रकार सिख समुदाय को भी इस बिल से बाहर रखा जाना चाहिए, क्योंकि सिखों की हर दृष्टि से अपनी अलग पहचान है.

सतनाम सिंह गंभीर ने कहा की दूसरा तथ्य यह है कि सिखों के संबंध में कोई भी निर्णय लेने से पहले, केंद्र सरकार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जो सिखों की संसद है, और प्रतिनिधि राजनीतिक वर्ग शिरोमणि अकाली दल और श्री अकाल तख़्त को समर्पित अन्य प्रमुख नेताओं से परामर्श करना चाहिए. क्योंकि सिखों के परामर्श और अनुमोदन के बिना लिया गया कोई भी निर्णय न तो नैतिक रूप से सही होगा और न ही सिख समुदाय इसे स्वीकार करेगा.

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