फतेह लाइव, रिपोर्टर
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक 3 साल की मासूम बच्ची की कार में दम घुटने से मौत हो गई. बच्ची को उसका पड़ोसी कार में घुमाने ले गया था. इसके बाद वह बच्ची को कार में लॉक करके दोस्तों के साथ शराब पीने चला गया. मासूम बच्ची 4 घंटे तक कार में बंद रही, जिससे उसकी मौत हो गई. कुछ दिन पहले ऐसी ही एक घटना गुजरात के अमरेली जिले में हुई थी, जहां कार में दम घुटने से एक ही परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई थी. चारों बच्चे कार में खेल रहे थे. इस दौरान कार का गेट लॉक हो गया. भीतर दम घुटने से बच्चों की मौत हो गई. इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं. अक्सर पेरेंट्स बच्चों को कार में छोड़कर बाहर शॉपिंग करने चले जाते हैं. या बच्चे खुद अकेले होने पर कार में खुद को लॉक कर लेते हैं. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पेरेंट्स को बहुत सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है. इसलिए कार में बच्चों की सेफ्टी को लेकर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए. साथ ही जानेंगे कि ट्रैवलिंग के दौरान कार में बच्चों को कैसे सेफ रखें?, अगर बच्चा कार में लॉक हो जाए तो क्या करें?
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कार के अंदर ज्यादा समय तक लॉक रहने पर क्यों होती है बच्चों की मौत
बंद कार में ज्यादा समय तक बंद रहने पर एयरफ्लो बंद हो जाता है, जिससे कार के भीतर ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है. धीरे–धीरे कार में कार्बन डाईऑक्साइड का लेवल बढ़ने लगता है और ऑक्सीजन का लेवल कम होने लगता है. एक पॉइंट के बाद सांस लेना नामुमकिन हो जाता है और अंदर मौजूद व्यक्ति का दम घुटने लगता है. साथ ही गर्मी की वजह से कार के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड गैस का लेवल भी बढ़ता है. इससे भी भीतर दम घुटने लगता है. इसके अलावा अगर कार धूप में खड़ी है और उसका एसी बंद है तो कुछ ही देर में अंदर का तापमान बाहर के मुकाबले करीब दोगुना हो सकता है. ऐसे में ओवरहीटिंग की वजह से भी दम घुट सकता है. कुल मिलाकर बंद गाड़ी के अंदर ज्यादा देर तक सांस ले पाना मुमकिन नहीं है. अगर कोई लंबे समय तक ऐसी स्थिति में फंस जाए तो सांस न ले पाने की वजह से उसकी मृत्यु हो सकती है.
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कार में बच्चों के साथ ट्रैवल करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
कार में बच्चों की मौत या गंभीर दुर्घटनाओं की एक बड़ी वजह पेरेंट्स की लापरवाही है. अक्सर पेरेंट्स बच्चों को कार में अकेला छोड़कर शॉपिंग करने चले जाते हैं. बच्चा कई घंटे तक अकेला कार में बंद रहता है. ऐसे में कोई हादसा हो सकता है. इसलिए बच्चों के साथ ट्रैवलिंग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. ऐसी स्थिति में जाने की क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.
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क्या करें –
- हमेशा ऐसी गाड़ी लें, जिसमें चाइल्ड सेफ्टी फीचर्स हों. बच्चों को कार के बटनों से दूर रहने की हिदायत दें. 13 साल के कम उम्र के बच्चों को हमेशा पीछे की सीट पर बिठाएं.
- छोटे बच्चों के लिए सीटबेल्ट अलग से इंस्टॉल कराएं. छोटे बच्चों के लिए कार में चाइल्ड सीट भी अलग से इंस्टॉल करवाएं. कार पर बेबी ऑन बोर्ड का स्टिकर जरूर लगाएं.
- कार चलाने से पहले यह जरूर चेक करें कि बच्चे की सीटबेल्ट ठीके से बंधी है या नहीं. बच्चे की लंबाई 135 सेंटीमीटर से ज्यादा है, तभी वह नॉर्मल सीटबेल्ट लगा सकता है.
- बच्चों को कार सेफ्टी के बारे में एजूकेट करें. बच्चों को कभी भी गाड़ी में अकेले न घुसने दें. बच्चे को गाड़ी में अकेला छोड़कर शॉपिंग करने न जाएं. किसी भी हालत में बच्चों को गाड़ी में अकेला कभी न छोड़ें. फिर भी अगर बच्चा कार में बंद हो जाए तो ये काम करें.
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क्या न करें –
- छोटे बच्चों को कभी भी कार की फ्रंट सीट पर न बिठाएं. कभी भी दो बच्चों को एक ही सीटबेल्ट में कवर न करें. कार की सनरूफ ओपेन करके बच्चों का सिर बाहर न निकालें.
- बच्चों को एक मिनट के लिए भी गाड़ी में अकेला न छोड़ें. गाड़ी चलाते समय बच्चे को ड्रिंक्स-स्नैक्स वगैरह खाने-पीने न दें. ड्राइविंग के समय बच्चों को खिड़की से बाहर हाथ या सिर न निकालने दें.
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अगर बच्चा कार में लॉक हो जाए तो तुरंत करें ये काम
सबसे पहले तो किसी भी तरीके से कार का दरवाजा खोलना जरूरी है. अगर घर आसपास है तो तुरंत स्पेयर चाभी का इस्तेमाल करें. अगर आसपास कोई कार सर्विसिंग सेंटर है तो तुरंत उसकी सेवाएं लें. इमरजेंसी की स्थिति में कार का शीशा तोड़ने की कोशिश करें. कार में जिस तरफ बच्चा बैठ है, उसके दूसरे साइड का ही शीशा तोड़ें. इस बीच अगर कार तेज धूप में खड़ी है तो कोशिश करें कि कार की बॉडी ज्यादा गर्म न होने पाए. कार के शीशे और बॉडी पर पानी डालकर अंदर के तापमान को नॉर्मल करने की कोशिश करें. बाहर आने के बाद बच्चे का शरीर का तापमान और हार्ट रेट चेक करें. अगर बच्चा असहज महसूस कर रहा है तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.