फतेह लाइव, रिपोर्टर.
क़ौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता सरदार कुलबिंदर सिंह ने सीजीपीसी के तथाकथित प्रधान सरदार भगवान सिंह पर आरोप लगाया कि वह सिख सिद्धांत को चोट पहुंचा रहे हैं. यदि सच्चे मन और पूरी ईमानदारी से सिख सिद्धांत के प्रति प्रेम, लगन और समर्पण होता तो बिरादरी की पहचान रखने वाली सामाजिक संस्था के ट्रस्टी को सम्मानित कभी नहीं करते? भगवान सिंह को चाटुकार, जी हजूरी करने वाले तथा सहमति जताने वाले पसंद हैं. उन्हें सिख सिद्धांत और रहित मर्यादा से प्रेम होता तो खुद भी गंदा आरोप लगने पर इस्तीफा दे देते? उन्हें तो पद पर बने रहना है, जिससे कौम के लोगों पर हुकुम चला सकें और शासन प्रशासन को प्रभावित कर वारा न्यारा कर सकें?
कुलबिंदर सिंह के अनुसार उन्हें सनातनी कह बैठक से बाहर किया गया था, किन्तु वैसे लोगों को पद पर काबिज रखा है, जो सार्वजनिक रूप से सिख सिद्धांत और रहित मर्यादा के विपरीत सार्वजनिक रूप से उत्सव मनाते हैं और वे कई बार शामिल देखे गए हैं, क्या उन्हें नहीं लगता कि धार्मिक पद पर रहने के कारण उन्हें परहेज करना चाहिए, भले ही कितना करीबी हो? क्या शामिल होकर पंथिक मर्यादा को चोट पहुंचाने का हक है? भगवान सिंह बताएं कि क्या सिख गुरुओं ने बिरादरीवाद या पाखंड को स्वीकार किया था?