फतेह लाइव, रिपोर्टर.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, सेंट्रल सिख नौजवान सभा के चेयरमैन दमनप्रीत सिंह ने महिलाओं की शक्ति, सम्मान और उनके अधिकारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज से लगभग 500 साल पहले, सिख धर्म के गुरु साहिबानों ने महिलाओं को वह सम्मान और अधिकार दिए थे जिनकी आज की दुनिया बात करती है.

गुरु नानक देव जी ने सबसे पहले महिलाओं के महत्व और उनकी बराबरी की बात करते हुए कहा था,
“सो क्यों मंदा आखिए जित जन्मे राजान”, जिसका अर्थ है, “उस नारी को क्यों नीचा दिखाया जाए जिससे राजाओं का जन्म होता है.”

सिख धर्म ने महिलाओं को हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर अधिकार दिए और उनके साथ किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त किया. गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों में हमेशा महिलाओं का सम्मान करने और उन्हें पुरुषों के बराबर अधिकार देने पर ज़ोर दिया. इसके बाद सिख गुरुओं ने भी इस विचारधारा को आगे बढ़ाया.

सिख धर्म में महिलाओं का सशक्तिकरण:

गुरु अमर दास जी ने लंगर और अन्य धार्मिक कार्यों में महिलाओं को पुरुषों के बराबर स्थान दिया, साथ ही महिला भ्रूण हत्या और पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई.
गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने महिलाओं को युद्ध कला सिखाई और उन्हें योद्धा बनने का अधिकार दिया. माता साहिब कौर और माता गुजरी जी जैसी महान सिख महिलाओं ने न केवल सिख इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश की.

आज जब पूरी दुनिया महिलाओं के अधिकारों और उनकी समानता की बात कर रही है, सिख धर्म ने सदियों पहले ही इन सिद्धांतों को स्थापित कर दिया था.

दमनप्रीत सिंह ने कहा,

“हमारे सिख गुरु साहिबानों ने जो सिखाए थे, वही आज के समाज को आगे बढ़ने की दिशा दिखाते हैं. महिलाओं को समानता और सम्मान देना केवल आज का विषय नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा रहा है. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, हम उन सभी महिलाओं को सलाम करते हैं जो समाज के हर क्षेत्र में अपने योगदान से हमें प्रेरित करती हैं.”

सेंट्रल सिख नौजवान सभा महिलाओं के सम्मान और समान अधिकारों के लिए निरंतर प्रयास करती रहेगी और गुरु साहिबानों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज को जागरूक करती रहेगी.

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