मुखे की लगातार बढ़ने लगी सक्रियता, अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ज्योति सिंह मठारू भी रहे मौजूद

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

पिछले दिनों पुलवामा में शहीद हुए झारखंड के हजारीबाग के सिख वीर सपूत करमजीत सिंह बक्शी की अंतिम अरदास सोमवार को हुई थी. इस दुःखद परिस्थिति में वीर सपूत कैप्टेन बक्शी को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी. सिख समाज भी पीछे नहीं रहा. झारखंड सिख समन्वय समिति के प्रतिनिधियों ने भी अंतिम अरदास में हाजरियां भरी.

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इनमें समिति के संरक्षक गुरमुख सिंह मुखे, प्रधान तारा सिंह, वरीय उपाध्यक्ष दलजीत सिंह दल्ली, उपाध्यक्ष त्रिलोक सिंह शामिल थे. वहीं झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष ज्योति सिंह मठारू भी पहुंचे थे. सभी ने मिलकर कैप्टन बक्शी को श्रद्धांजलि प्रकट की.

मौके पर मुखे ने कहा कि सिख शहीदों की कौम है. धन्य है वह मां जिनकी कोख से कैप्टेन करमजीत सिंह बक्शी ने जन्म लिया. सिख समाज को परिवार पर गर्व है. जब घटना के बाद बक्शी का शव तिरंगे में लिपटे गृह क्षेत्र आया था, तब उनकी मां ने बेटे की कुर्बानी पर हिम्मत नहीं हारी और बोले सोनिहाल के सिखी जयकारे लगाते हुए खुद को संभाला और देशवासियों को यह याद दिलाया कि सिख शहीदी देने में सबसे आगे हैं. मुगलों और अंग्रेजों का शासन कल हो, सिख शहादत देते आए हैं.

मुखे ने झारखंड खासकर हजारीबाग की सिख संगत से यह अपील की, कि इसी तरह वह कैप्टन बक्शी के परिवार के साथ भविष्य में भी कंधा से कंधा मिलाकर खड़े रहें, तांकी परिवार और उनकी मां को दुख सहने की शक्ति मिलती रहे.

अंत में मुखे ने फिर उनकी मां को नमन किया एवं उनसे मिलकर उनको सांत्वना प्रदान की. मालूम हो कि मुखे लगातार सामाजिक कार्यों में सक्रिय दिख रहे हैं.

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