RANCHI. झारखंड में एक आदमखोर तेंदुए को बेहोश करने या पिंजड़े में कैद करने की कोशिशें असफल रहने के बाद राज्य का वन विभाग उसे देखते ही गोली मारने के आदेश जारी करने पर विचार कर रहा है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। हैदराबाद निवासी प्रसिद्ध शिकारी नवाब सफत अली खान को तेंदुए को पकड़ने में मदद के लिए यहां बुलाया गया है। यह तेंदुआ दिसंबर महीने से अब तक झारखंड के पलामू संभाग में कथित रूप से चार बच्चों की जान ले चुका है। चारों बच्चे छह से 12 साल के बीच के थे जिनमें तीन गढ़वा से और एक लातेहार जिले से था।
आदमखोर तेंदुए को बेहोश करने या पिंजड़े में कैद करने की कोशिशें असफल
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) शशिकर सामंता ने मीडिया को बताया कि निगरानी समिति ने तेंदुए को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी करने की सिफारिश की है। हालांकि इस बारे में अब तक कोई फैसला नहीं किया गया है। हम और विशेषज्ञों से सलाह मांग रहे हैं। राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन सामंता ने कहा कि आदेश के संबंध में फैसला एक या दो दिन में लिया जाएगा। तेंदुए को पकड़ने के लिए 64 वर्षीय खान 5 जनवरी से झारखंड के गढ़वा जिले में डेरा डाले हुए हैं जहां कथित तौर पर जानवर ने तीन बच्चों को मार दिया था।
खान ने बताया कि तेंदुए को 5 जनवरी और 10 जनवरी को देखा गया था। इससे पहले 4 जनवरी तक 50 से अधिक ट्रैप कैमरों और एक ड्रोन से भी उसका पता नहीं चला था। उन्होंने मीडिया से कहा कि तेंदुए ने गढ़वा के तिरतेडी गांव में गुरुवार सुबह एक सूअर को मार दिया जिसे पिंजड़े के बाहर खड़ा किया गया था लेकिन उसने सूअर को खाया नहीं। वह पिंजड़े में भी नहीं घुसा। उसके पैरों के निशान मिले हैं। झारखंड समेत नौ राज्यों के वन्यजीव सलाहकार खान का कहना है कि तेंदुए आमतौर पर दिन में जंगल के घनी छाया वाले इलाकों में सोते हैं और रात को शिकार के लिए निकलते हैं। इसलिए दिन में तेंदुए का पता लगाना मुश्किल है हालांकि हमें उसके सोने की जगह का पता चल गया है। इस तेंदुए ने जिले के तीन प्रखंडों रामकंडा रांका और भंडारिया में 50 से ज्यादा गांवों में आतंक फैला रखा है। वन विभाग ने ग्रामीणों से शाम के बाद घरों से नहीं निकलने को कहा है।