• डीआरएम व आला अफसरों के आते ही दुकानों को बंद कर दिया जाता है, दूसरे ही दिन फिर सब कुछ पहले जैसा 

Charanjeet Singh/ फतेह लाइव की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट

दक्षिण पूर्व रेलवे के सीकेपी डिवीजन के अधीन भारतीय रेलवे को अलग पहचान देने वाला टाटानगर रेलवे स्टेशन के आसपास रेलवे अधिनियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ती देखी जा सकती है. एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्टेशनों को सजाने-संवारने में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर टाटानगर में खुलेआम अवैध वसूली का खेल चल रहा. इसके लिए सभी मानक दरकिनार कर दिये गये है.

वह सब ऐसे जगह चल रहा है जहां 400 करोड़ों खर्च करने की योजना पर काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. जिसके कारण राष्ट्रपति के गांव तक विस्तारीकरण की योजना चल रही है और रेल मंत्री खुद टाटानगर पर अपने कदम रख चुके हैं. वहां के स्थानीय रेलवे अधिकारियों की नाक के नीचे स्टेशन के आसपास नियमों के विरुद्ध अवैध कार्य संचालित हो रहे हैं.

डीआरएम के आने पर बंद करवा दी जाती है दुकानें

टाटानगर में एरिया मैनेजर, स्टेशन डायरेक्टर, दो-दो वाणिज्य निरीक्षक, आरपीएफ सहायक कमांडेंट, थाना प्रभारी ना जाने कितने गेजेटेड अधिकारी सुपरवाइजर हैं. बावजूद उसके इन अवैध गतिविधियों पर किसी का ध्यान नहीं जाता.

आपको बता दें की स्टेशन आउट गेट के पास यात्रियों की सुविधा के लिए चाईबासा बस स्टैंड के पास ओन कैब की व्यवस्था शुरु की गई थी. यहां के अतिक्रमण को भी खाली कराना एक मुख्य उद्देश्य था. इस नई व्यवस्था की शुरुआत डिवीजन के आला अधिकारी ने की, लेकिन वहां नियमों को ताक पर रखकर ओन कैब के एरिया में अवैध रूप से दुकाने सजा दी गई हैं. यह अव्यवस्था का आखिर जिम्मेवार कौन है?

डीआरएम के आने पर बंद दुकानें

डीआरएम सर भी दस दिनों में यहां आते रहते हैं, लेकिन उनकी आंखों में भी पट्टी बांधने का काम स्थानीय स्तर पर किया जाता है. इन दुकानों के अवैध रूप से सजने से अपराधिक गतिविधियां इलाके में बढ़ गई है. अब सवाल उठता है की आखिर किसके इशारे पर नियमों और टेंडर प्रक्रिया के विरुद्ध यहां दुकाने सजाई जा रही हैं. इसके अलावा बेतरतिब ऑटो पार्किंग, सड़क किनारे शौच की गंदगी आदि कई ऐसे कारण हैं जो टाटानगर स्टेशन की सुंदरता पर चांद में दाग साबित हो रहे हैं.

विश्वनीय सूत्र बताते हैं की ये सब गोरखधंधों के पीछे बड़ी कमाई खाकी से लेकर रेल के कई स्थानीय अधिकारियों को पहुंच रही है, जिस कारण दिल्ली में बैठे रेल मंत्री के सपनों पर पानी फेरने का काम किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर इन गेट में भी अब ऐसा ही नजारा देखने लायक बनने लगा है. आखिर यहां भी क्यों अवैध रूप से अतिक्रमण फल फूल रहा है. इसके पीछे कौन जिम्मेवार है अगर उच्च स्तरीय जांच होगी तो कई की संदेहासपद भूमिका साफ हो जाएगी. कुल मिलाकर अगर सटीक और साफ शब्दों में कहा जाये तो अवैध वसूली पर रोक लगाने के लिए कौन जिम्मेवार सामने आएगा यह देखने वाली बात होगी.

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