पिछड़ी जाति की सियासत के अलंबरदार शैलेश पर उठ गया बड़ा सवाल

कर्मचारियों के स्थानांतरण का नियम कायदा बनाने के लिए गंवा दी कुर्सी

मैकेनिकल फील्ड मेंटनेंस के जेडीसी चेयरमैन के पद से शैलेन्द्र ने दिया इस्तीफा

टुन्नू चौधरी ने मसला नहीं सुलझाया, बैकफुट पर आ गया कमेटी मैंबर

चरणजीत सिंह.

टाटा स्टील के मैकेनिकल फील्ड मेंटनेंस के जेडीसी चेयरमैन रहे शैलेन्द्र कुमार अब सिर्फ वहां के कमेटी मैंबर हैं. उनका गुनाह यह है कि उन्होंने फील्ड मेंटनेंस के कर्मचारियों के एक से दूसरे विभाग में स्थानांतरण के लिए नियम कायदा तैयार करने का सुझाव दिया है.

चाहते हैं कि फील्ड मेंटनेंस से जुड़े कर्मचारियों को कारखाना में किसी एक विभाग से दूसरे विभाग में स्थानांतरित किया जाता है तो उसकी पारदर्शी नीति होनी चाहिए, ना कि चेहरा देख कर किसी को इधर से उधर करना चाहिए. कुछ महीने पहले मैकेनिकल फील्ड मेंटनेंस के 40 कर्मचारियों का अचानक तबादला किया गया.

जेडीसी चेयरमैन होने के नाते शैलेन्द्र कुमार ने प्रबंधन के स्तर पर जानने का प्रयास किया कि अचानक इतने लोगों का तबादला किस आधार पर किया गया. कोई ठोस जवाब नहीं मिला. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू के पास गए. कुछ नहीं हुआ. प्रबंधन और यूनियन नेतृत्व पर दबाव बनाने के मकसद से जेडीसी चेयरमैन के पद से त्याग पत्र यूनियन अध्यक्ष को भेज दिया. पहले भी जेडीसी चेयरमैन ऐसा करते रहे है.

कभी इस्तीफा पत्र स्वीकार नहीं किया जाता था. टुन्नू ने शैलेन्द्र का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. उनकी जगह राकेश रंजन को जेडीसी चेयरमैन की पदवी मिल गई है. अब फील्ड मैकेनिकल मेंटनेंस के कर्मचारी खुसफुसा रहे है कि जिस तरह टुन्नू चौधरी ने तत्कालीन यूनियन अध्यक्ष पीएन सिंह की एक्टिंग की थी, कुछ उसी राह पर राकेश रंजन भी है.

दरअसल, तीन माह पहले अचानक तीन दर्जन से अधिक कर्मचारियों के तबादले का ऑफिस ऑर्डर निकाला गया. कर्मचारियों ने जेडीसी चेयरमैन के नाते शैलेन्द्र कुमार से संपर्क किया. तबादले का आधार क्या है? कर्मचारियों में यह जानने की उत्सुकता दिखीं. शैलेन्द्र कुमार ने विभागीय एचआर से लेकर चीफ राजेश कुमार से संपर्क किया. कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने टाटा वर्कर्स यूनियन की राह धरी.

यूनियन अध्यक्ष टुन्नू चौधरी को पत्र दिया. उस वक्त डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार बीमार थे. उनको छोड़ यूनियन के सभी ऑफिस बेयरर्स को किसी न किसी तरीके से व्यथा सुनाई. यह नक्कारखाने में तूती साबित हुआ क्योंकि यूनियन अध्यक्ष इस मसले को तवज्जो देने के मूड में नहीं दिखे. आखिकार शैलेन्द्र कुमार ने जेडीसी चेयरमैन के पद से इस्तीफा पत्र भेज दिया.

शैलेन्द्र कुमार को लगा था कि अब उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे को प्रबंधन और यूनियन गंभीरता से लेगी. डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार भी स्वस्थ होकर यूनियन कार्यालय आ गए थे. धारणा थी कि पिछड़े वर्ग की राजनीति के कारण भी शैलेन्द्र की जायज बात को सुना जाएगा. कारण कि टुन्नू और शैलेश के बीच रिश्ते में आपसी समझ भी है. हुआ इसके ठीक विपरीत. शैलेन्द्र का पदच्युत होना पड़ा.

हालांकि, टाटा वर्कर्स यूनियन के बड़ी संख्या में कमेटी मैंबर इससे बेहद नाराज है. यूनियन के कमेटी मेंबरों का वाट्सअप समूह है. शैलेन्द्र के पक्ष में आवाज लगातार उठ ही नहीं रही है अपितु यूनियन नेतृत्व को आईना दिखाने से भी लोग पीछे नहीं हट रहे हैं. खैर, शैलेन्द्र कुमार मूलतः गयाजी के है जो श्राद्ध कर्म के लिए मशहूर है. कुछ लोग ताना कस रहे है कि शैलेन्द्र की सियासत का श्राद्ध हो गया. दूसरा पहलू है कि शैलेन्द्र के साथियों की टोली भी तेजी से बढ़ रही है जो यूनियन की पूरी सियासत को एक नई दिशा देने को तैयार दिख रही है.

टाटा स्टील के भीतर ग्लोबल विभाग है मैकेनिकल फील्ड मेंटनेंस

मैकेनिकल फील्ड मेंटनेंस एक ग्लोबल विभाग है. इसमें तकरीबन साढ़े तीन सौ कर्मचारी है. मैकेनिकल मेंटनेंस का काम हरेक विभागों में होते रहता है. इसलिए कर्मचारियों का छोटा छोटा समूह कारखाना के तकरीबन सभी विभागों में प्रतिनियुक्त है. मैकेनिकल फील्ड मेंटनेंस में टाटा वर्कर्स यूनियन का ग्लोबल चुनाव होता है. बीते चुनाव में सभी कर्मचारियों ने मिल कर चार कमेटी मेंबरों को चुना है. शैलेन्द्र के साथ राजेश रंजन, राजेश कुमार और आशीष प्रधान भी कमेटी मैंबर हैं.

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