हमले को भांप गुर्गे भी हो गए थे तैयार, पार्किंग काउंटर में बैठे नीरज पर घात लगाकर चलाई गोलियां
जमशेदपुर :
टाटानगर रेलवे स्टेशन में जिस तरह शुक्रवार की शाम वर्चस्व की लड़ाई में ताबतोड़ गोलियां चली, उससे एक बड़ा दाग रेलवे स्टेशन पर लगने से बच गया. जब अपराधियों ने यहां तांडव मचाया उस वक्त यशवंतपुर एक्सप्रेस, साउथ बिहार समेत कई महत्वपूर्ण ट्रेनों की भीड़ थी. वीआईपी लेन पर यात्रियों की भरमार थी. यह तो संजोग था कि अपराधियों की गोलियां किसी बेकसूर यात्री को नहीं लगी. बहरहाल, सीरियर क्राइम के मास्टरमाइंड पंकज दूबे के चचेरे भाई नीरज दूबे साकची में निरंजन हत्याकांड को लेकर चर्चा में आया था. पिछले कुछ दिनों में स्टेशन में संचालित हर धंधे में अपनी पैठ जमाना चाह रहा था. स्टेशन पार्किंग के बाद नाईट-आऊट बैंक्वेट हॉल के बाद उसकी नजर कई सफेदपोश धंधे में थी. सूत्रों की मानें तो केक, कोल्ड्रींक्स की सप्लाई पर भी जबरन नीरज दूबे ने हाथ पसार लिया था. अब वह पानी के धंधे पर कब्जा करना चाहता था. फलस्वरूप तीन दिन पूर्व संतोष सिंह पर उसने हमला किया.
नीरज दूबे पर कातिलाना हमला करने वाले अपराधी छह की संख्या में थे. बताया जाता है कि नीरज दूबे की आरपीएफ के इंचार्ज से अच्छी छनती थी. वह अक्सर घंटों उनके केबिन में बैठता था. शुक्रवार को भी घटना से ठीक पांच मिनट पहले आरपीएफ पोस्ट से साढ़े सात बजे के करीब बाहर निकला था. नीरज के साथ मानगो का आरिफ खान, अमन मिश्रा व अन्य रहते थे. पोस्ट के बाहर ही उन्होंने अपराधियों की गतिविधि को भांप लिया था. चाय पीने के बाद सभी उन्हें खोजने लगे. अपराधियों के नहीं दिखने पर नीरज दूबे अपने गुर्गों के साथ पार्किंग के बीच वाले काउंटर में बैठ गया. तभी एक हमलावर को देखा गया. तब तक वहां भगदड़ मच गई और टेंपो में छिपकर घात लगाए बैठे अन्य हमलावरों ने चार राउंड गोलियां चलाई. जिसमें दो नीरज दूबे को लगी. नीरज दूबे जमीन पर चित हो गया. जिसे आनन फानन पार्किंग कर्मचारी उसकी बोलेरो में टीएमएच ले गए. अगर नीरज दूबे को गोली नहीं लगती तो शायद हमलावर उसके गुर्गों के हत्थे चढ़ जाते और नजारा कुछ और ही रहता.
पानी के धंधे पर बहुत की है नजर
बताया जाता है कि स्टेशन में रेल नीर का पानी बड़े पैमाने पर उतरता है. हर एक दिन में एक-दो ट्रक की खपत है. वह धंधा संतोष सिंह उर्फ फकीरा चलाता है. उससे अच्छी खासी आमदनी होती है. उसी धंधे पर नीरज दूबे के अलावा कई लोगों की नजर है. अपराधी गणेश सिंह भी रेलवे स्लैब लोडिंग-अनलोडिंग का कार्य देखता है. उसकी भी नजर धंधे पर थी. शुक्रवार की घटना में आदित्यपुर के राजा, गाढ़ाबासा के विकास का नाम सामने आ रहा है. वह संतोष के करीबी हैं. संतोष अपने धंधे को बचाने के लिए घटना को अंजाम दे सकता है. इसकी भी चर्चा स्टेशन पर हो रही है.
आरपीएफ की सुरक्षा व्यवस्था की खुली पोल
देर शाम स्टेशन पर घटी फायरिंग की घटना ने एक बार फिर आरपीएफ व जीआरपी की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है. जिस आराम से अपराधी शान से गोलियां तड़तड़ाने के बाद इन व आउट गेट से चलते बने. ऐसे में सवाल उठता है कि इतने बड़े स्टेशन क्षेत्र में आरपीएफ का क्या कोई जवान ड्यूटी पर नहीं था.
स्टेशन क्षेत्र में आरपीएफ ने किया फ्लैग मार्च
रेलवे स्टेशन पार्किंग में घटी फायरिंग की घटना के बाद आरपीएफ ने शनिवार की सुबह फ्लैग मार्च किया. इस घटना की गूंज आरपीएफ जोनल मुख्यालय से लेकर रेलवे बोर्ड तक हुई है. बताया जाता है कि खड़गपुर आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट आलोक कुमार शुक्रवार देर रात ही टाटानगर पहुंच गए थे. चक्रधरपुर मंडल मुख्यालय का प्रभार अभी उन्हीं के पास है.
सुर्खियों में रही है टाटानगर रेलवे पार्किंग
टाटानगर की रेलवे पार्किंग अपराधी गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में रही है. जब उपेंद्र सिंह (अभी मृत) पार्किंग का संचालन कर रहे थे तो यहां गोलियां चली थी, घटना में टेंपो चालक जितेंद्र की मौत हो गई थी. उसके बाद कई बड़े लोगों से पार्किंग में मारपीट हुई. पार्किंग पर गैंगस्टर अखिलेश सिंह की भी नजर रही है. चार माह पूर्व यहां एक युवक की हत्या हो गई थी. उसमें यह बात सामने आई थी कि युवक ने खुद ही शीशे में हाथ मारा था. हालाकि वह मामला पुलिस की फाइलों में दब गया है.
नीरज दूबे के ममेरे भाई के बयान पर मामला दर्ज
स्टेशन पार्किंग में घटित फायरिंग की घटना में नीरज दूबे के ममेरे भाई अमन तिवारी के बयान पर रेल थाना टाटानगर में जान मारने की नियत से हमला करने का मामला दर्ज कराया गया है. मामले में मुख्य आरोपी विशाल, आशुतोष, राजा पगला समेत पांच नामजद हैं, जबकि अज्ञात को भी मामले में रखा गया है. अमन तिवारी ने बताया कि पिछले दिनों पानी के धंधे को लेकर नीरज दूबे के साथ संतोष कुमार सिंह की कुछ अनबन हुई थी. उसी को लेकर नीरज दूबे की हत्या की कोशिश की गई.
रेलवे की लापरवाही, कागजों पर कहीं भी नहीं है नाम
रेलवे में बढ़े बढ़े काम होते हैं. इस पर बड़े आसामी ही वर्चस्व बनाते हैं. फायदे के लिए रेलवे जिसे भी काम देता है उसका चरित्र प्रमाण पत्र नहीं लिया जाता. ऐसे में बड़ी घटना होने पर पुलिस को जांच में बड़ी समस्या उत्पन्न होती है. अब नीरज दूबे की ही बात करें तो पार्किंग व नाईट आऊट होटल का संचालन केयरटेकर के रूप में कर रहा है, लेकिन कागजों पर कोई और मालिक है. रेलवे वाणिज्य विभाग को इस ओर कड़े नियम बनाने की जरूरत है.