6 लाख के लाभ में बारी मेंशन, आमसभा का खर्च यूनियन से देना चाहते हैं टुन्नू
आमोद का सवाल, बारी मेंशन 1200 का कूपन देने में समर्थ तो यूनियन से खर्च क्यों
चरणजीत सिंह.
टाटा वर्कर्स यूनियन के कोष के दुरुपयोग के सवाल पर यूनियन अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी और कोषाध्यक्ष आमोद दुबे टकराव की ओर बढ़ गए हैं. हालत यह हो गई है कि कई दिनों से दोनों के बीच सिर्फ औपचारिक दुआ सलाम भर है. बारी मेंशन प्राइवेट लिमिटेड की वार्षिक आमसभा के खर्च का भुगतान यूनियन के कोष से करने के मसले पर दोनों के बीच खींचतान बढ़ी है. यूनियन अध्यक्ष टुन्नू चौधरी चाहते हैं कि बारी मेंशन की आमसभा में नाश्ता और चाय के लगभग 10 हजार रुपए के खर्च का भुगतान यूनियन के कोष से किया जाय. आमोद दुबे ने इससे संबंधित विपत्र पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया है. टुन्नू ने नाराजगी का भी इजहार किया, मगर आमोद दुबे ने उसे अनसुना कर दिया. अब आमसभा के आयोजन के खर्च का भुगतान बारी मेंशन के कोष से ही किया जा सकेगा.
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बारी मेंशन प्राइवेट लिमिटेड का संचालन टाटा वर्कर्स यूनियन करती रही है. यूनियन अध्यक्ष ही बारी मेंशन प्राइवेट लिमिटेड के सर्वेसर्वा की भूमिका में होते है. बिष्टुपुर लाइट सिग्नल के पास बारी मेंशन है जो इस कंपनी की संपत्ति है. बारी मेंशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी लंबे समय तक नुकसान में रही है, अब लाभ में है. उसके कोष में लाभ के छह लाख रुपए पड़े हैं. बीते दिनों माइकल जॉन ऑडिटोरियम में इसकी वार्षिक आमसभा हुई तो चार सौ से अधिक शेयर धारकों को लाभांश के नाम पर 12/12 सौ रुपए का नकद गिफ्ट कूपन दिया गया. बारी मेंशन के नए सिरे से निर्माण और मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया है. अनुमान है कि इसमें एक करोड़ रुपए खर्च होंगे.
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अब आते हैं विवाद के मसले की ओर. बारी मेंशन की वार्षिक आमसभा माइकल जॉन ऑडिटोरियम में हुई. इसका किराया 40 हजार है. यह राशि माफ कर दी गई. वार्षिक आमसभा में लगभग 9 हजार रुपए का नाश्ता पैकेट आया, जबकि लगभग 12 सौ रुपए की चाय पी गई. टुन्नू चाहते हैं कि यूनियन पूर्व की भांति यह खर्च वहन करे. आमोद दुबे का तर्क है कि जब बारी मेंशन खस्ताहाल में था तो सहयोग किया गया. जब 1200 रुपए प्रति शेयर धारक कूपन देने में बारी मेंशन समर्थ हो चुका है तो चाय नाश्ता का खर्च टाटा स्टील के कर्मचारियों के चंदे की राशि से क्यों किया जाना चाहिए. कायदे से तो बारी मेंशन को माइकल जॉन सभागार के उपयोग के लिए भी कुछ राशि अवश्य देनी चाहिए. खैर, टाटा वर्कर्स यूनियन के भीतर टुन्नू चौधरी के विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं. यूनियन चुनाव में महज एक-सवा साल शेष है. वेज रिवीजन पर वार्ता की सुगबुगाहट तक नहीं है. सत्ता पक्ष के भीतर से ही विपक्ष तैयार होने की इसे शुरुआत के तौर पर माना जा रहा है.
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