फतेह लाइव, रिपोर्टर.

धनबाद स्थित बी०आई०टी० सिन्दरी के असैनिक अभियंत्रण विभाग में झारखंड विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद, रांची द्वारा प्रायोजित पाँच दिवसीय कार्यशाला “रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का अनुसंधान में अनुप्रयोग” का समापन 13 दिसंबर को हुआ। इस कार्यशाला के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बी०आई०टी० मेसरा के प्रो० (डॉ०) ए० पी० कृष्णा एवं झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० (डॉ०) डी० के० सिंह उपस्थित रहे।

कार्यशाला के संयोजक और विभागाध्यक्ष डॉ० जीतू कुजूर ने सत्र की शुरुआत करते हुए मुख्य अतिथि का स्वागत किया और कार्यशाला के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला शोधार्थियों और छात्रों के लिए नवीनतम तकनीकों को समझने और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों को सीखने का एक बेहतरीन अवसर साबित हुई है।

बी०आई०टी० सिन्द्री की सहायक प्राध्यापक और कार्यशाला की समन्वयक डॉ० कोमल कुमारी ने कार्यशाला के विभिन्न सत्रों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसमें मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजिंग, हाइपरस्पेक्ट इसके अलावा, जल संसाधन प्रबंधन के लिए जीआईएस और रिमोट सेंसिंग के व्यावहारिक उपयोग पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों को इन अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए सक्षम बनाएगी, जिससे वे अपने शोध और व्यावसायिक कार्य में नए दृष्टिकोण ला सकेंगे।

समापन समारोह में संस्थान के निदेशक और कार्यशाला के संरक्षक प्रो० (डॉ०) पंकज राय ने इस कार्यशाला को असैनिक अभियंत्रण विभाग की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और आयोजन समिति के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और शोध कार्यों को नई दिशा प्रदान करती हैं।

इसके अलावा झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति और कार्यशाला के मुख्य संरक्षक प्रो० (डॉ०) डी० के० सिंह ने ऑनलाइन माध्यम से समारोह में शामिल होकर छात्रों का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने कार्यशाला को संस्थान के विकास में एक मील का पत्थर बताते हुए इसके बहुआयामी लाभों पर चर्चा की। उन्होंने रिमोट सेंसिंग और जी० आई० एस० के वर्तमान में चल रहे सभी क्षेत्रों में तकनीकी उपयोगिता की चर्चा भी की और मल्टीडिस्सिप्लीनरी कार्यों की महत्ता पर ज़ोर डाला। डॉ० सिंह ने बी० आई० टी० सिन्द्री में असैनिक अभियंत्रण विभाग में निरंतर चल रहे तकनीकी गतिविधियों की सराहना करते हुए संस्थान के निदेशक और असैनिक अभियंत्रण विभाग के विभागाध्यक्ष को इसका विशेष धन्यवाद दिया।

मुख्य अतिथि प्रो० (डॉ०) कृष्णा ने अपने संबोधन में छात्रों और शोधार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह कार्यशाला तकनीकी कौशल और अनुसंधान कार्य में सुधार लाने के लिए एक आदर्श मंच साबित हुई है। उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों के महत्व को बताया और प्रतिभागियों तथा संयोजकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीकों के प्रभावी उपयोग पर बल दिया, जो वर्तमान समय में पर्यावरण निगरानी, शहरी नियोजन, और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

कार्यशाला के समापन सत्र में प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सभी प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रमाण पत्र दिए गए। साथ ही, प्रतिभागियों से फीडबैक लिया गया, जिसमें उन्होंने कार्यशाला की सराहना करते हुए इसे अपने ज्ञान और कौशल के विकास के लिए बेहद लाभकारी बताया।

अंत में कार्यशाला का धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक डॉ० कोमल कुमारी ने किया, जिन्होंने मुख्य अतिथि, निदेशक, विशिष्ट अतिथियों, प्रायोजक (JCSTI राँची) और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। डॉ० कुमारी ने कार्यशाला के समन्वयक प्रो० इक़बाल शेख को उनके कुशल एवं सक्रिय सहभागिता के लिए विशेष धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने वर्तमान में जी० ई० सी० पलामू में पदस्थापित प्रो० निपेन कुमार दास को कार्यशाला का प्रारूप तैयार करने में किए गये प्रयासों के लिए भी धन्यवाद दिया। उन्होंने इस कार्यशाला को प्रतिभागियों के लिए एक बहुमूल्य अनुभव बताया और इसे शोध कार्य और व्यावसायिक कौशल को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होने का विश्वास व्यक्त किया।

इस पाँच दिवसीय कार्यशाला में बी०आई०टी० सिन्द्री के शिक्षक, शोधार्थी, और अन्य संस्थानों के प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में प्रो० (डॉ०) उदय कुमार सिंह, प्रो० प्रफुल्ल कुमार शर्मा, डॉ० माया राजनारायण रे, डॉ० ब्रह्मदेव यादव, डॉ० निशिकांत किस्कु, प्रो० सरोज मीणा एवं प्रो० प्रशान्त रंजन मालवीय का विशेष योगदान रहा।

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