फ़तेह लाइव, रिपोर्ट
झारखंड अलग राज्य बने हुए आज पूरे 25 साल हो गए हैं. बावजूद फर्जीवाड़े और घालमेल का सिलसिला कम नहीं हुआ है. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड के माटियाबांध पंचायत में तो वहां के सरकारी अधिकारियों ने आंख बंदकर 106 वैसे बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बना दिया है जो गांव में रहते ही नहीं हैं. सभी बच्चे मुसलिम परिवार से हैं. जांच में पाया गया कि माटियाबांध के पूरे पंचायत में एक भी मुस्लिम परिवार के लोग नहीं रहते हैं. ऐसे में 106 बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र कैसे बना दिया गया है. इस फर्जीवाड़े का खुलासा तो हो गया है, लेकिन समाचार लिखे जाने तक किसी भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है. अबतक मामले की जांच ही चल रही है.
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पंचायत सचिव लंबे समय से हैं बीमार
मटियाबांध के पंचायत सचिव सुनिल महतो की बात करें तो वे लंबे समय से बीमार चल रहे हैं. जन्म प्रमाण पत्र में उनका ही हस्ताक्षर शामिल है. जांच में पता चला कि सभी हस्ताक्षर फर्जी हैं. इसके बाद डीसी के आदेश पर सभी जन्म प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया गया है.
एक भी दस्तावेज जमा नहीं किया. जन्म प्रमाण पत्र को बनाते समय एक भी दस्तावेज जमा नहीं किया गया था. अब तो पूरे मामले को बांग्लादेशी घुसपैठिए के नजरिए से भी देखा जा रहा है. जानकारों का कहना है कि इस तरह का कारनामा या तो विभागीय अधिकारियों की सांठ-गांठ से किया गया है या तो सिस्टम को हैक कर दिया गया है.
तीन माह में बन गया 1100 प्रमाण पत्र
मटियाबांध पंचायत में जब मुस्लिमों के जन्म प्रमाण पत्र का मामला सामने आया तब विभाग की ओर से पिछले तीन माह का डाटा खंगालने का काम किया जा रहा है. इस बीच 1100 प्रमाण पत्र बनाने का काम किया गया है.
आखिर कैसे खुला मामला
पूरा मामला तब खुला जब जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग शहर के अलग-अलग स्कूलों में दाखिला के लिए किया गया. इस बीच शंका होने पर डीएसई ने इसकी जांच का जिम्मा चाकुलिया बीडीओ आरती मुंडा को सौंपा. बीडीओ ने जब जांच की तो पाया कि किसी तरह का दस्तावेज ही जमा नहीं किया गया है. इसके बाद पंचायत सचिव को 9 अप्रैल को ही शो-कॉज किया गया था, लेकिन उसने जवाब नहीं दिया. अब देखना है कि आगे चलकर यह मामला क्या रूप लेता है और किस तरह का नतिजा सामने आता है.