फतेह लाइव, रिपोर्टर.

लोकतंत्र के पर्व में मताधिकार का फैसला स्वयं खुद के पसंद और विचारों से जुड़ा होता है और सीजीपीसी के प्रधान का किसी पार्टी से सहमत होना ये उनका अपना अधिकार है एवं उनके पदाधिकारियों का विचार किसी पार्टी से है तो कोई बुराई नहीं है. ऐसा पहले भी कई प्रधान चुनाव के समय अपने विचारों से सहमत पार्टी का चुनाव प्रचार करते रहें, ऐसे में सीजीपीसी के प्रधान के बारे में गलत बोलने वाला सिख हो ही नहीं सकता. चुनाव अपनी जगह और पंथ से जुड़े निर्णय के समय सभी पदाधिकारी जो किसी भी पार्टी से जुड़े हो वो सब एक हैं और वो तथा कथित सिख जो किसी पार्टी विशेष से जुड़े हुए हैं वो तब कहां थे जब पंजाब के सिख किसानों और मजदूर दमनकारी नीतियों से लड़ कर 700 से ज्यादा किसान शहीद हो रहे थे?

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