फतेह लाइव, रिपोर्टर
झारखंड के मत्स्य निदेशालय, रांची और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (CIFRI) बैरकपुर कोलकाता के संयुक्त निदेश के तहत, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ए. के. दास और उनके सहयोगियों ने पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने स्वर्णरेखा नदी के नारेगा, गालूडीह बराज, महुलीशोल (धालभूमगढ़) और जामशोल (बहरागोड़ा) में महाझींगा शिकारमाही करने वाले मछुआरों और नदी घाटों का अध्ययन किया. इस अध्ययन में महाझींगा, मिट्टी और पानी के सैम्पल एकत्र किए गए.
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“झारखंड में मछुआरों के लिए नई उम्मीद: महाझींगा पालन योजना”
संकलित सैम्पल की जांच के आधार पर स्वर्णरेखा नदी में महाझींगा पालन की संभावनाओं पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए झारखंड सरकार के मत्स्य विभाग और CIFRI बैरकपुर कोलकाता मिलकर कार्ययोजना तैयार करेंगे, जिससे नदी में महाझींगा शिकारमाही करने वाले मछुआरों को अधिक मात्रा में महाझींगा उपलब्ध होगा. इससे मछुआरों का जीविकोपार्जन बेहतर होगा और वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगे.