- मुजफ्फरपुर में फिर हारा ‘हिंदुस्तान’, कॉपी राइटर को देने होंगे 24 लाख
- प्रभात खबर के कुणाल को मिल चुके हैं वेतन में 24 और पीएफ में 10 लाख
- जमशेदपुर में दो ने दर्ज करायी शिकायत, आधा दर्जन और तैयारी में जुटे
- आगे की कानूनी लड़ाई मिलकर लड़ने के लिए कमेटी बनाने की तैयारी
फतेह लाइव रिपोर्टर
मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड के अनुसार हिंदुस्तान के पूर्व कॉपी राइटर संतोष कुमार को 23.82 लाख रुपये मिलेंगे. जून 2020 से उक्त राशि पर 8% ब्याज भी देना होगा. लेबर कोर्ट मुजफ्फरपुर से 23 फरवरी 2024 को पारित यह अवार्ड ने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया व वेतन पाने की इच्छा रखने और कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे लोगों के लिए आस जगाने वाली खबर है. मुजफ्फरपुर लेबर कोर्ट में मजीठिया वेतनमान से संबंधित यह चौथा अवार्ड है. जबकि हिंदुस्तान अखबार के खिलाफ यहां यह दूसरा अवार्ड बताया जा रहा. संतोष कुमार ने वर्ष 2020 में मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड के तहत अपनी नियोक्ता कंपनी एचटीएमएल के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी. कंपनी के तमाम दावों को खारिज करते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है.
इससे पहले प्रभात खबर के कुणाल ने 57 माह की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड (प्रभात खबर) प्रबंधन से मजीठिया का केस जीता था. प्रभात खबर प्रबंधन के तमाम दांव-पेंच के बावजूद आखिरकर 30 अगस्त 2022 को कोर्ट के आदेश पर पहली बार किसी अखबार का अकाउंट अटैच कर राशि की वसूली की गयी. इस तरह कुणाल को अब तक कुछ 34 लाख रुपयों की राशि मजीठिया वेज बोर्ड के गाइड लाइन पर बकाया वेतन और पीएफ के मद में मिल चुकी है. प्रभात खबर प्रबंधन को मजीठिया के रूप में पहला झटका कुणाल ने दिया.
अगर संजय मिश्रा ने मानसिक उत्पीड़न की हद पार करते हुए उनके सामने जटिल परिस्थितियां नहीं पैदा की होती तो शायद उन्हें यह सोचने तक का अवसर नहीं मिल पाता की लड़ाई इतनी लाभप्रद होने वाली है. संजय जी के कृत्य से किसे कितना फायदा होगा यह तो समय बतायेगा लेकिन यह तो तय हो गया कि प्रभात खबर प्रबंधन के सामने ऐसे लोग हमेशा परेशानी खड़ी करते रहेंगे. हम लड़ेंगे, देर से ही सही, मुकाम तक पहुंचेंगे भी. लड़ाई लंबी है लेकिन अंतिम नहीं …
वैसे तो मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर देश भर में पत्रकार आंदेालित है और मीडिया हाउस के खिलाफ मोर्चा खोलकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे लेकिन जमशेदपुर प्रभात खबर में चार से अधिक लोग मजीठिया की दौड़ में शामिल होने को तैयार है. दो ने कानूनी रूप से प्रबंधन के सामने डिमांड रख दी है जबकि दो अन्य इसके लिए कागजात तैयार करने में जुटे हैं. हालांकि मजीठिया पाने के लिए पहल करने वाले सभी लोग इसके लिए ‘संजय मिश्रा’ का आभार जता रहे.
फतेह लाइव से बातचीत में इन लोगों का कहना है कि अगर संपादक संजय मिश्रा ने मानसिक उत्पीड़न की हद पार करते हुए उनके सामने जटिल परिस्थितियां नहीं पैदा की होती तो शायद उन्हें यह सोचने तक का अवसर नहीं मिल पाता की लड़ाई इतनी लाभप्रद होने वाली है. इससे किसे कितना फायदा होगा यह तो समय बतायेगा लेकिन यह तो तय हो गया कि प्रभात खबर प्रबंधन के सामने उनका दावा नयी चुनौती बनकर सामने आया है. उनकी लड़ाई लंबी है लेकिन अंतिम नहीं. अभी कई साजिशों से पर्दा उठाया जाना बाकी है.
ऐसा नहीं है कि मजीठिया के क्रांतिवीर में कोई नाम पहली बार शहर में शामिल हो रहा है. इससे पहले प्रभात खबर प्रबंधन की प्रताड़ना के शिकार चीफ रिपोर्टर ने लड़ाई लड़ी और अपना खोया सम्मान वापस पाने में सफल भी रहे. हालांकि उन्होंने बाद में मजीठिया का दावा छोड़ दिया और प्रभात खबर के साथ अपनी पारी निरंतर कर ली.
ऐसा नहीं है कि मजीठिया के क्रांतिवीर में कोई नाम पहली बार शहर में शामिल हो रहा है. इससे पहले प्रभात खबर प्रबंधन की प्रताड़ना के शिकार बने चीफ रिपोर्टर ने लड़ाई लड़ी और अपना खोया सम्मान वापस पाने में सफल भी रहे. हालांकि उन्होंने बाद में मजीठिया का दावा छोड़ दिया और प्रभात खबर के साथ अपनी पारी निरंतर कर ली. इसके बाद संपादक संजय मिश्रा के उत्पीड़न के शिकार बने अजय सिंह ने प्रभात खबर प्रबंधन के खिलाफ अपनी शिकायत श्रमायुक्त के यहां दर्ज कराने हुए मजीठिया पाने का दावा किया. इसकी सुनवाई चल रही है जबकि उनके साथ ही तथाकथित फर्जीवाड़े व उत्पीड़न का शिकार बने प्रमोद कुमार ने भी मजीठिया वेज के अनुसार बकाया वेतनमान पाने के लिए दावा कर दिया है. इसके अलावा दो अन्य लोग भी मजीठिया पाने की दौड़ में कागजात तैयार करने में जुटे हैं. शहर के मीडियाकर्मियों में इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि कहीं संजय मिश्रा प्रभात खबर के लिए जमशदेपुर में भष्मासुर तो नहीं साबित होगें ?
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प्रभात खबर से शुरू हुई यह लड़ाई अखबार छोड़ चुके उन लोगों में भी आशा का संचार कर रही जो अब तक बकाया वेतन पाने की आस छोड़ चुके थे. ऐसे लोग संभावना तलाश रहे कि अगर नवंबर 2011 में मजीठिया वेज बोर्ड लागू है और उन्होंने किसी संस्थान में 2015 या उसके बाद तक नौकरी की है तो वह मजीठिया वेज के अनुसार बकाया वेतन व अन्य भत्ता लेने के लिए अधीकृत है अथवा नहीं. ऐसे कई ने श्रमायुक्त कार्यालय से संपर्क कर कानूनी राय ले रहे और प्रबंधन को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहे. इसके लिए बकायदा एक कमेटी बनाने की तैयारी चल रही है ताकि कानूनी लड़ाई मिलकर एक साथ लड़ी जा सके. इसके लिए मजीठिया के क्रांतिकारी मुजफ्फरपुर के कुणाल, शशिकांत के अलावा मजीठिया की निर्णायक लड़ाई लड़ रहे देवघर प्रभात खबर के पत्रकारों से भी संपर्क किया जा रहा है, जिनका मामला फिलहाल झारखंड हाईकोर्ट में निर्णायक स्थिति में है.
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क्या है मजीठिया बोर्ड?
केंद्र सरकार ने 2007 में छठे वेतन बोर्ड के रूप में न्यायाधीश कुरुप की अध्यक्षता में दो वेतन बोर्डों (मजीठिया) का गठन किया. एक श्रमजीवी पत्रकार तथा दूसरा गैर-पत्रकार समाचार पत्र कर्मचारियों के लिए. लेकिन कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस के. नारायण कुरुप ने 31 जुलाई 2008 को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 4 मार्च 2009 को जस्टिस जी. आर. मजीठिया कमेटी के अध्यक्ष बने. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 31 दिसंबर 2010 को सरकार को सौंपी.
इस कमेटी ने पत्रकारों के वेतन को लेकर मापदंड निर्धारित किए. तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार ने साल 2011 में कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए इसे लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी. इसके खिलाफ अखबार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. कोर्ट ने फरवरी 2014 में कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का आदेश दिया.
आदेश के बावजूद संस्थानों ने इसे लागू नहीं किया, जिसके खिलाफ विभिन्न अखबारों और समाचार एजेंसियों में काम करने वाले कर्मचारियों ने कर्मचारी अवमानना की याचिका दायर की. कुल 83 याचिकाएं आईं, जिनमें करीब 10 हजार कर्मचारी शामिल थे. हालांकि जून 2017 में कोर्ट ने अखबार संस्थानों को अवमानना का दोषी नहीं माना. कोर्ट ने सभी प्रिंट मीडिया समूहों को मजीठिया वेतन बोर्ड की सभी सिफारिशें लागू करने का निर्देश दिया. जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मीडिया समूह, वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करते हुए नियमित और संविदा कर्मियों के बीच कोई अंतर नहीं करेंगे.
मजीठिया को लेकर कोई भी सुझाव व जानकारी शशिकान्त सिंह, पत्रकार, मजीठिया क्रांतिकारी और उपाध्यक्ष न्यूज़ पेपर एम्प्लॉयज यूनियन ऑफ इंडिया (एन इ यू) से 9322411335 से प्राप्त की जा सकती है.
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