• सीनियर एनई-एनई कर रहे निठल्ला चिंतन, पेज वन-सिटी निकाल रहे मातहत
  • तीन और लोग तलाश रहे विकल्प, रांची से लेकर जमशेदपुर तक लगा रहे चक्कर

फतेह लाइव रिपोर्टर.

जमशेदपुर प्रभात खबर में संपादकीय के लोगों की मानसिक व सामाजिक पीड़ा की सामने आ रही खबरों के बीच लगातार फतेह लाइव  को विभिन्न माध्यमों से सूचनाएं भेजी जा रही हैं. पता चला है कि यहां मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित हो रहे संपादकीय के लोगों के बीच नाराजगी बढ़ती जा रही है. एक के बाद एक करके पांच लोगों ने अखबार छोड़ देने के बाद अन्य पर काम का दबाव बढ़ गया है. भारी दबाव के बीच यहां से तीन और लोग अखबार छोड़ने की तैयारी में हैं. ये लोग गोपनीय स्तर पर जमशेदपुर अथवा रांची में दूसरे अखबार में जाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं.

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इस बीच अखबार छोड़ने वालों की प्रतिक्रिया सामने आयी है. अखबार छोड़ने वालों का साफ कहना है कि अब जमशेदपुर प्रभात खबर में काम करने का माहौल नहीं रह गया है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने अपनी बात प्रबंधन तक पहुंचाने की कोशिश नहीं कि, लेकिन स्थानीय संपादकीय प्रभारी के प्रभाव और यूनिट हेड के संदिग्ध मौन के कारण कोई परिणाम सामने नहीं आया. प्रभात खबर जमशेदपुर में अब पहले की तरह टीम भावना व उत्साह का माहौल खत्म हो चुका है. कब कौन षड़यंत्र का शिकार बन जाये कोई नहीं जानता? बस नौकरी करनी है तो संपादकीय प्रभारी की हां में हां मिलाओ, उनकी झूठी तारीफों के पुल बांधों, वरना रेलवे ठेकेदार के खिलाफ फर्जी खबर नहीं लिखने की सलाह देने वाले पत्रकार की तरह साजिश का शिकार होने के लिए तैयार रहो ?

ऐसे लोगों का कहना है कि आवश्यकता पड़ी तो यह बात वह हर मंच पर कहने को तैयार हैं और कुछ ने तो प्रबंधन से लिखित शिकायत तक कर रखी है. यहां संपादकीय के लोगों में भी सिस्टम को लेकर धीरे-धीरे आक्रोश पनप रहा है. संपादकीय के लोग शहर में मीडिया कर्मियों के बीच चर्चा कर रहे हैं कि जमशेदपुर में भारी भरकम वेतन पाने वाले सीनियर न्यूज एडिटर और न्यूज एडिटर (एनई) को हर जिम्मेदारियों से मुक्त रखा गया है. इनकी जगह पेज वन की जिम्मेदारी भास्कर से चार साल पहले प्रभात खबर में आये रविकांत सिंह, जबकि सिटी की जिम्मेदारी डेस्क पर काम कर रहे जूनियर सुनील सिंह को सौंप दी गयी है. यह काम यहां पहले एनई अथवा डीएनई स्तर के लोग संभाल रहे थे. 

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पेज वन देख रहे रविकांत सिंह और सिटी देख रहे सुनील सिंह का वेतनमान भी काफी कम है, जबकि काम के साथ हर दिन दोनों को संपादकीय प्रभारी की इच्छा और आकांक्षओं के अतिरिक्त दबाव से भी रू-ब-रू होना पड़ता है. रविकांत सिंह को आश्वासन दिया था कि इंक्रीमेंट का समय उनकी इच्छाओं का ध्यान रखा जायेगा. लेकिन जब इंक्रीमेंट की बारी आयी तो भास्कर से चलता किये जाने के बाद तीन साल तक गुमनामी में रहकर प्रभात खबर में वापस लौटे अपने पूर्व सहयोगी रहे ललित नारायण सिंह पर संपादकीय प्रभारी की मेहरबानी बरसी.

राउरकेला देख रहे ललित नारायण सिंह को पहले तो डीएनई से एनई में पदोन्नत किया गया, फिर इंक्रीमेंट में भी उनका पूरा ध्यान रखा गया. जबकि एनई ललित नारायण सिंह को सीधे तौर पर कोई जिम्मेदारी नहीं दी गयी है. जबकि इनका प्रोमोशन ही एनई में डेस्क इंचार्ज के पद पर हुआ है. इसे लेकर संपादकीय के लोगों में गहरा आक्रोश है, लेकिन संपादकीय प्रभारी के नजदीकी होने के कारण कोई कुछ बोल नहीं पा रहा. अखबार छोड़ने वालों का कहना है कि संपादक के नाम की बार-बार चेतावनी देकर एनई ललित नारायण सभी को प्रताड़ित करते हैं और उनकी बार-बार की जाने वाली छाेटी-छोटी चुगलखोरी और अखबार के प्रति उनका निठल्ला चिंतन प्रभात खबर जमशेदपुर से प्रतिभा पलायन का बड़ा कारण बन रहा है.

कहा जा रहा कि ललित नारायण लगातार संपादकीय प्रभारी को लोगों के कार्य व दूसरी गतिविधियों को लेकर भड़काते रहते हैं. वहीं सेवानिवृत्ति के बाद एक्सटेंशन की दूसरी पारी खेल रहे जयनंदन शर्मा की नजदीकी हमेशा से प्रबंधन से रही है. अखबार से बाहर आये लोगों का कहना है कि उन्हें भी काम की अहम जिम्मेदारियों से पूरी तरह मुक्त रखा गया है. जबकि वह लगातार अस्वस्थ चल रहे हैं और उन्हें बार-बार कार्यालय में ही एक संपादकीय सहयोगी से मसाज कराते देखा जा सकता है.

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वहीं सिटी डेस्क की जिम्मेदारी संभाल रहे सुनील सिंह भी बार-बार मिल रही इस चेतावनी से परेशान व आहत रहते हैं. काफी कम वेतन पर काम कर रहे रिटायमेंट के करीब पहुंच गये सुनील सिंह व उनके सहयोगियों को सार्वजनिक रूप से यह बार-बार कहा जाता है कि अगर वह काम नहीं कर पा रहे तो लिखित रूप में दे दें. उन्हें रांची भेजकर वहां से काम करने वालों को बुलाया जायेगा. डेस्क पर काम कर रहे निचले स्तर के लोगों को बार-बार तबादले और नौकरी से निकालने की अघोषित चेतावनी दी जाती रही है, इससे सभी तनाव में हैं.

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