फतेह लाइव, रिपोर्टर.

जमशेदपुर के मानगो नगर निगम में 1.33 करोड़ की राशि का भुगतान बिना काम पूर्ण किये होने के चर्चित मामले में जिला कांग्रेस आरटीआई विभाग के चेयरमैन सह आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश कुमार ने सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जन सूचना पदाधिकारी सह विशेष पदाधिकारी मानगो नगर निगम से सूचना मांगी थी. उन्होंने 26 अक्टूबर को इस घोटाले के लिए आरटीआई का प्रयोग किया था, तांकि जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग रोका जा सके और भारत और राज्य सरकार के राजस्व को नुकसान होने से बचाया जा सके.

कमलेश कुमार, आरटीआई कार्यकर्ता

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लेकिन करीब डेढ़ माह बाद भी मानगो नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है. इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता कमलेश कुमार ने अब स्मार पत्र दाखिल किया है. अब भी जवाब नहीं मिलने पर वे मामले में जहां प्रथम अपील करेंगे. वहीं, अधिकारियों की शिकायत नगर विकास एवं आवास विभाग के मुख्य सचिव के साथ-साथ डीसी को भी करेंगे. कमलेश कुमार ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना नहीं देना कहीं न कहीं भ्रष्टाचार उजागर होने का आरोपितों का डर सता रहा है, इसलिए वह सूचना नहीं दे रहे हैं. उन्होंने डीसी को मामले में गंभीरता से जांच करवाने की मांग की है. वहीं, दूसरी ओर इन योजनाओं पर जो पेवर ब्लॉक खरीदे गए हैं. उसका जीएसटी पेपर और कहां से खरीदे गए हैं. इसका डिटेल लेने के बाद ही मानगो नगर निगम से ठेकेदार का सेल्फ अटेस्टेड करवा के ही बिल छोड़ा जाता है. इसमें भी जांच होने से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. मामले में जीएसटी का भी मामला बनता है. 

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सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत ये मांगी थी सूचना

  1. मानगो नगर निगम क्षेत्र में 15 वें वित्त आयोग से निकाली गई विभिन्न चार योजनाओं का करीब 1.33 करोड़ से ज्यादा का कार्य पूर्ण किये बगैर संवेदक (ठेकेदार) को राशि का भुगतान कर दिया गया है. इसमें दो योजना ऐसी हैं, जिसमें कार्य शुरू नहीं हुआ है. उक्त योजनाओं का कार्य निर्माण हेतु संबंधित संवेदक से किये गये निर्माण कार्य हेतु निर्गत कार्य आदेश या समझौता पत्र की छाया प्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाये तथा कार्य स्थल से संबंधित भूमि का क्षेत्रफल चौहदी/कार्यस्थल का नाम के साथ निर्माण कार्य से संबंधित नक्शा की छाया प्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय.
  2. इस योजना के कार्य निष्पादन हेतु समझौते पत्र में कितने दिनों के अन्दर में निर्माण कार्य सम्पन्न किया जाना था और कब यह निर्माण कार्य सम्पन्न हो चूका है तथा उसका देखरेख करने वाले मानगो नगर निगम के कौन-कौन पदधारक द्वारा निगरानी की गई है तथा निगरानी के उपरान्त संवेदक को राशि भुगतान करने का अनुशंसा की है. उक्त अनुशंसा पत्र की छाया प्रति सहित अनुशंसा करने वाले का नाम/पदनाम/वेतनमान की सूचना तथा उनका पदस्थापन की तिथि से संबंधित अधिसूचना की छाया प्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय.
  3. इस कार्य योजना में कितने श्रेणी के श्रमिकों से कार्य लिया गया है तथा कब से कब तक कार्यरत थे. उनका विवरणी तथा विधि अनुसार पोषित किये जाने वाले पंजियों की छाया प्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय.
  4. मानगो नगर निगम में कितने प्रकार का कार्य निष्पादन प्रत्येक वर्ष किया जाता है, उसके लिये प्राप्त राशि का आवंटन पत्र की छाया प्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय तथा कितने राशि किस-किस मद में किस-किस विभाग से या विधायक/सांसद फंड से प्राप्त हुई है. उसका विवरणी अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय.
  5. मानगो नगर निगम में पदस्थापित पदाधिकारी एवं क्लर्क / सहायक या अन्य कर्मचारी सहित अभियंता एवं ट्रेड टैक्स वसुली पदाधिकारी के रूप में कितने लोग नगर निगम में पदस्थापित हैं, वे सभी का नाम/पदनाम/ पदस्थापन की तिथि / मोबाईल नंबर सहित सम्पूर्ण विवरणी की छाया प्रति अभिप्रमाणित उपलब्ध कराया जाय. यह सूचना मांगे जाने का उद्देश्य मानगो नगर निगम के कार्यालय में पदस्थापित पदाधिकारी सहित अन्य लोकसेवकों के सांठ-गांठ से संवेदक को मोहरा बनाकर लोकतंत्र की राशि जो केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा आवंटित होती है, जिसका फर्जी एवं अवैधानिक प्रक्रिया के तहत योजना बनाकर उक्त राशि का निकासी आवश्यक खर्च से ज्यादा राशि का निकासी करती है तथा उक्त राशि का बंदर बांट किया जाता है, जो भ्रष्टाचार के प्रतीक है, जिस पर पारदर्शिता लाये जाने हेतु यह सूचना अति आवश्यक है. कमलेश कुमार ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना नहीं देना कहीं न कहीं भ्रष्टाचार उजागर होने का आरोपितों का डर सता रहा है, इसलिए वह सूचना नहीं दे रहे हैं. उन्होंने डीसी को मामले में गंभीरता से जांच करवाने की मांग की है.

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फतेह लाइव की खबर पर डीसी ने बैठाई है जांच, 38 दिन बाद भी खुलेआम घूम रहे आरोपित

मानगो नगर निगम में 15वें वित्त आयोग की राशि से निकाली गई विभिन्न तीन योजनाओं के लिए 1.33 करोड़ रुपये का टेंडर हुआ था. उक्त योजना का काम पूर्ण नहीं हुआ और राशि की निकासी मानगो नगर निगम के डीएमसी, एई, जेई और ठेकेदार ने सांठगांठ से कर ली. 22 अक्टूबर को झारखंड में पहली बार हुए इस अनोखे घोटाले का पर्दाफाश फतेह लाइव ने प्रकाशित किया था. उसके बाद डीसी अनन्य मित्तल ने एडीसी भागीरथी प्रसाद, जिला पार्षद के जिला अभियंता नकुल ठाकुर को जांच अधिकारी बनाते हुए तीन दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था. आज बुधवार 4 दिसंबर को जांच टीम के बने करीब एक माह आठ दिन (38 दिन) हो गए हैं. अब तक इसकी जांच शुरु नहीं की गई है. नतीजा यह हो रहा है कि बेखौफ होकर यह अजीबो गरीब घोटाला करके झारखंड सरकार की नाक नीचे करने वाले जिम्मेदारों को जांच प्रभावित करने का पूरा मौका मिला है, हालांकि नये और पुराने काम का आंकलन करना और जीपीएस कैमरे से उक्त वक्त खींची गई तस्वीरों को देखने के बाद आरोपितों का कहीं से भी बच निकलना मुश्किल है. बशर्ते निष्पक्ष जांच हो? उधर, मामले में दोषी जेई, एई की जांच करने के लिए जिला पार्षद से अभियंता को लगाया गया है. ऐसे में चर्चा यह भी है कि इंजीनियर-इंजीनियर का बुरा नहीं चाहेगा और जांच में सहयोग ही करेगा. 

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जनहित याचिका भी हो रही दायर

इस सनसनीखेज घोटाले के मामले में जनहित याचिका दायर करने की भी तैयारी हो चुकी है. मामले में जिले के वरीय अधिकारियों समेत मानगो नगर निगम के जिम्मेदार पदधारियों के साथ ठेकेदार को घसीटा जायेगा, जिससे कि झारखंड राज्य में लूट खसोट करने वालों के मन में भय व्यप्त हो.

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