टुन्नू चौधरी के बेहद करीबी अमरनाथ यहां तक बोल गए कि दो बॉडीगार्ड से चमकाने का मौका फिर नहीं मिलेगा

आरोप लगाया कि ऑफिस बेयरर्स न यूनियन कार्यालय आते हैं न कारखाना में, कुछ दूसरे कार्यों में व्यस्त

बेधड़क बोले कि संविधान संशोधन वास्तव में प्रबंधन का तोहफा, सिर्फ सामने से दिख रही टाटा वर्कर्स यूनियन

यूनियन के इस कार्यकाल में इंडस्ट्रियल हारमोनी कायम नहीं की गई बल्कि उसका हारमोनियम बजा दिया गया

महिला कर्मचारियों से कहा जा रहा है कि घर में नौकर रखे, इतना वेतन नहीं दिया जाता कि नौकर रख सके

टुन्नू के पुराने वफादार संतोष पांडेय ने दुख जताया कि उनके कार्यकाल में ट्रेड अप्रेंटिस बंद हो गया

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

टाटा स्टील के एलडी वन प्लांट के कमेटी मेंबर अमरनाथ ठाकुर. यूनियन की सियासत में दो दशक गुजार चुके हैं. दबंग स्वभाव की पहचान है. आम तौर पर यूनियन की कमेटी मीटिंग में बोलने की जगह सुनना पसंद करते रहे हैं. पिछले चार साल से टाटा वर्कर्स यूनियन में आम चर्चा है कि वे अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी के बेहद करीबी हैं. पारिवारिक रिश्ता है. आम तौर पर उनके सामने कोई टुन्नू की खुल कर बुराई नहीं करता.

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बीते सोमवार को टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग में अमरनाथ ठाकुर का लंबे समय बाद मुंह खुला तो उनके निशाने पर सीधे टुन्नू चौधरी रहे. बाकी ऑफिस बेयरर्स की खिंचाई करने में भी उन्होंने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. यहां तक बोल गए कि दो बॉडीगार्ड से चमकाने का मौका फिर नहीं मिलेगा. सिर्फ अमरनाथ ठाकुर ही नहीं बल्कि टुन्नू के पुराने वफादार संतोष पांडेय भी खुद को खामोश नहीं रख सके. वे भी बोले कि टुन्नू के कार्यकाल में ट्रेड अप्रेंटिस के जरिए टाटा स्टील में सीधी बहाली ही बंद हो गई. टुन्नू चौधरी को अपने वायदे के मुताबिक 2023 बैच के ट्रेड अप्रेंटिस को टाटा स्टील में सीधे नियुक्त कराना चाहिए.

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टाटा वर्कर्स यूनियन की एक दिसंबर को माइकल जॉन सभागार में हुई कमेटी मीटिंग में अमरनाथ ठाकुर इस कदर साफगोई से अपनी बातें रखेंगे, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. जब वे बोलना शुरू किए तो हर कोई अवाक रह गया. उन्होंने कहा कि 20 फीसद बोनस दिलाने के लॉलीपॉप से कितना दिन गुजारा करना चाहते हैं. एक टेंपररी अलाटमेंट दिला कर हम लोगों से कितना कॉपरेशन की चाहत रखी जा रही है. कमेटी मेंबरों का पैसा कटना ठीक नहीं है. दर्द है. बहुत दर्द है.

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गोपाल बाबू के समय कमेटी मेंबर सुरक्षित थे. अब नहीं. अमरनाथ पूरी रौ में दिखे. बोले कि यूनियन का संविधान संशोधन प्रबंधन का तोहफा है. सिर्फ सामने टाटा वर्कर्स यूनियन दिख रही है. कमेटी मेंबरों को प्रबंधन से फोन कराया गया कि कमेटी मीटिंग में संविधान संशोधन पर मत बोलिए। उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन में 30 फीसद की संख्या को कम या अधिक कर कमेटी मेंबर की सीट तैयार करने का प्रस्ताव गड़बड़ है. उनके विभाग की सीट को ठीक रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि टाटा स्टील और टाटा वर्कर्स यूनियन के बीच हुए 1956 के समझौता का चीरहरण हो रहा है. इंडस्ट्रियल हारमोनी नहीं हो रही बल्कि उसका हारमोनियम बजा रहे हैं.

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अमरनाथ ने मंच पर बैठे ऑफिस बेयरर्स की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वे न यूनियन कार्यालय में बैठते हैं न कारखाना में दिखते है. कुछ तो अलग काम में लगे रहते हैं. सबकी चमड़ी मोटी हो गई है. पतला करने आता है. जब कोई सीढ़ी से गिरता है तो उसकी कमर में बहुत चोट लगती है. आप लोगों को भी चोट लगेगी और तगड़ी लगेगी.

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आर रवि प्रसाद के कार्यकाल में वेज रिवीजन में देर हो रही थी तो विपक्षी नेता के नाते टुन्नू चौधरी बार बार कहते थे कि कर्मचारियों को एलाउंस के एरियर का नुकसान हो रहा है. अमरनाथ ठाकुर ने टुन्नू के सामने वही मसला उठाया. बोले कि वेज समझौता में देर होने से एलाउंस का एरियर नहीं मिलेगा. इसलिए एडहॉक चालू किया जाना चाहिए. डीए की सीलिंग हटा देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि महिला कर्मचारियों से शिफ्ट में काम कराया जा रहा है. मेरी बेटी भी नौकरी कर रही है. महिलाएं किसी तरह की परेशानी बता रही है तो कहा जा रहा है कि घर में मौकर रख लीजिए. उन्हें इतना पैसा नहीं मिल रहा है कि नौकर रखा जा सके. महिलाओं को अलग से एलाउंस भी दिया जाना चाहिए. उनकी समस्याओं पर प्रबंधन से गंभीरता से बात की जानी चाहिए.

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संतोष ने लंबे समय बाद दिखाई खानदानी विरासत

सिन्टर प्लांट के कमेटी मेंबर संतोष पांडेय ने लंबे समय बाद टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग में खानदानी विरासत की झलक दिखाई. उनके पिता दो दशक तक यूनियन के कमेटी मेंबर रहे हैं. संतोष पांडेय को भी यूनियन का लंबा अनुभव है. टुन्नू के बेहद वफादार के तौर पर पहचान है. हां, टुन्नू ने ऑफिस बेयरर के लिए कभी अपनी टीम में जगह नहीं दी. कोई न कोई कारण बता असमर्थता जताई. अब संतोष पांडेय के सब्र का बांध भी टूटने लगा है जिसका संकेत कमेटी मीटिंग में मिला.

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उन्होंने कहा कि यह संविधान संशोधन का समय नहीं है. वेज पर बात होनी चाहिए थी. विलंब हो चुका है. सबको इंतजार है. उन्होंने कहा कि हाउस में मंच के ऊपर और नीचे बैठे अधिकतर लोग टाटा स्टील में ट्रेड अप्रेंटिस के जरिए आए है. वही बंद हो गया. टाटा स्टील में सीधी बहाली का रास्ता ही नहीं रहा. सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि महिला कर्मचारियों के मसले पर यूनियन नेतृत्व खामोश रहा है. उनसे जुड़े मामलों पर संजीदगी दिखाई जानी चाहिए.

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