- विश्वकवि की रचनाओं और उनके योगदान पर हुई विस्तृत चर्चा
फतेह लाइव रिपोर्टर
सोना देवी विश्वविद्यालय, घाटशिला में 10 मई 2025 को विश्वकवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की 164वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई यह कार्यक्रम बांग्ला, इतिहास और राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त प्रयासों से आयोजित किया गया कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसमें संगीत विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. संगीता चौधरी ने गुरुदेव की रचनाओं को प्रस्तुत किया इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में घाटशिला कॉलेज के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. मित्रेश्वर ने अपने उद्बोधन में कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर मौलिक चेतना के साकार रूप थे, जो बांग्ला संस्कृति और भारतीय समाज के लिए अभिन्न हिस्सा बने उन्होंने यह भी कहा कि टैगोर के जीवन दर्शन और रचनाओं में आनन्द प्राप्ति और ज्ञान के महत्व पर विशेष जोर दिया गया.
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गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के योगदान को याद किया गया
प्रो. मित्रेश्वर ने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी रचनाओं से समाज को एक नई दिशा दिखाई उन्होंने मैथिली भाषा में ‘भानुसिंधे पदावली’ की रचना कर जनमानस से जुड़ने का प्रयास किया टैगोर की कृतियों में न केवल साहित्यिक उत्कृष्टता थी, बल्कि उनमें समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण की दिशा भी स्पष्ट थी इस अवसर पर सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रभाकर सिंह ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें इस महान कवि की जयंती मनाने का अवसर प्राप्त हुआ साथ ही उन्होंने महाराणा प्रताप की जयंती का भी उल्लेख किया और शौर्य दिवस के रूप में इसे मनाने की बात की कुलाधिपति ने देश की सुरक्षा पर भी चर्चा करते हुए कहा कि हमे हर स्तर पर सतर्क रहना चाहिए.
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टैगोर के शिक्षा दृष्टिकोण पर विस्तार से विचार
सोना देवी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. गुलाब सिंह आजाद ने इस अवसर पर गुरुदेव की शिक्षा संबंधी विचारों को साझा किया और कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने हमें विश्वास, विनम्रता और शिक्षा के महत्व के बारे में बहुत कुछ सिखाया है उनके शिक्षा संबंधी दृष्टिकोण आज भी हमारे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं कार्यक्रम में बांग्ला विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सुबोध कुमार सिंह, राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. शिव चंद्र झा, और अन्य विभागों के प्राध्यापक और छात्र उपस्थित थे उन्होंने गुरुदेव के व्यक्तित्व और उनके साहित्यिक योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए.