- 41 साल बाद भारत से किसी ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी, शुभांशु ने कहा- ‘एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं’
फतेह लाइव, रिपोर्टर
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की ऐतिहासिक यात्रा पर 26 जून 2025 को शाम 4:01 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंच गए. वे ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं. शुभांशु स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में केनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुए थे. इस मिशन को कुल 6 बार तकनीकी कारणों और मौसम की वजह से टाला गया था, लेकिन 25 जून को आखिरकार यह ऐतिहासिक उड़ान सफलतापूर्वक शुरू हुई. शुभांशु के साथ एक्सियम मिशन 4 के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी ISS पर पहुंचे हैं.
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शुभांशु ने रचा इतिहास, अब ISS पर करेंगे रिसर्च और एक्सपेरिमेंट
शुभांशु शुक्ला ने ISS पर पहुंचने के बाद एक लाइव मैसेज में भावुक होकर कहा – ‘नमस्ते फ्रॉम स्पेस!’ उन्होंने बताया कि यह अनुभव बिल्कुल नया और अद्भुत है, जैसे कोई बच्चा हर चीज़ पहली बार सीख रहा हो – चलना, खाना, तैरना और खुद को नियंत्रित करना. शुभांशु ने बताया कि जब रॉकेट लॉन्च हुआ तो उन्हें अपनी सीट में पीछे धकेले जाने जैसा लगा, और जब स्पेस में पहुंचे तो सब कुछ शांत हो गया. उन्होंने इस अवसर पर अपने परिवार, दोस्तों और हर उस व्यक्ति का आभार प्रकट किया, जिसने इस मिशन को संभव बनाया.
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‘नमस्ते फ्रॉम स्पेस’: शुभांशु का भावुक संदेश, कहा – यह हम सबकी उपलब्धि है
शुभांशु ने अपने संदेश में हंस के प्रतीक का भी उल्लेख किया जिसे वे अपने साथ लेकर गए हैं. उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में हंस बुद्धिमत्ता और विवेक का प्रतीक है, और यह उनके लिए विशेष महत्व रखता है. उन्होंने कहा कि वे इस प्रतीक को पृथ्वी से लाए हैं ताकि भारतीय संस्कृति की उपस्थिति अंतरिक्ष में भी दर्ज की जा सके. शुभांशु ने कहा, “यह कोई संयोग नहीं है, यह एक उद्देश्यपूर्ण चयन है जो हमारी जड़ों से जुड़ा है.” उन्होंने यह भी बताया कि उनका शरीर स्पेस के वातावरण में तेजी से ढल रहा है और वे इसे अच्छे संकेत के रूप में देख रहे हैं.
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भारतीय संस्कृति का प्रतीक हंस साथ लाए शुभांशु, बताया क्यों है ये महत्वपूर्ण
41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष की यात्रा की है. इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी. शुभांशु का यह अनुभव भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा. गगनयान मिशन को 2027 में लॉन्च किए जाने की संभावना है. इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा और सुरक्षित वापस लाया जाएगा. शुभांशु के अनुभव से इस मिशन के संचालन और सुरक्षा पहलुओं में बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी.
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गगनयान मिशन को मिलेगी मजबूती, शुभांशु का अनुभव बनेगा भारत की अंतरिक्ष उड़ान की नींव
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पृथ्वी के चारों ओर घूमता एक विशाल अनुसंधान केंद्र है, जहां अंतरिक्ष यात्री माइक्रोग्रैविटी में विभिन्न प्रयोग करते हैं. इसकी रफ्तार करीब 28,000 किमी/घंटा होती है और यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है. यह स्टेशन अमेरिका (NASA), रूस (Roscosmos), जापान (JAXA), कनाडा (CSA) और यूरोप (ESA) की साझा परियोजना है. इसका पहला हिस्सा नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था और तब से यह अंतरिक्ष में मानव गतिविधि का एक स्थायी केंद्र बना हुआ है.