स्थानीय लोगों की नाराजगी पर दो दिनों से 60-70 मजदूरों को लगाकर की जा रही थूक पालिस

बड़ा मामला – गलती छुपाने के लिए एक मई मजदूर दिवस के दिन भी डेढ़ सौ मजदूरों से कराया गया काम, श्रम नियमों की भी उड़ाई धज्जियां

कमीशनखोरी के खेल में जिम्मेदारों पर मेहरबान अधिकारी

1.33 करोड़ घोटाला उजागर होने और जांच बैठाने के बाद भी टीम ने जिले के वरीय अधिकारी को रखा अंधेरे में, अगर सख्ती से होती कार्रवाई तो आज यह नौबत नहीं आती

चरणजीत सिंह.

झारखंड के जमशेदपुर स्थित मानगो नगर निगम का गठन लोगों को सुख सुविधा देने के लिए किया गया था. सरकार ने सोचा था कि जनता को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन यहां सब-कुछ उल्टा चल रहा है. मानगो नगर निगम केवल और केवल घोटालेबाजों का अड्‌डा बन गया है. क्षेत्र के विकास के लिए आवंटित फंड का यहां कमीशनखोरी में खुलेआम बंदरबांट होता है. इसके चलते मानगो की जनता सुख सुविधा के लिए तरस रही है. फतेह लाइव ने 22 अक्टूबर 2024 को मानगो नगर निगम में 1.33 करोड़ घोटाले का पर्दाफाश किया था. बताया था कि बिना काम पूर्ण किये सौ फीसदी राशि की निकासी हो गई. पूर्व डीएमसी सुरेश यादव के कार्यकाल में हुए इस अनोखे घोटाले ने राज्य भर में सुर्खियां बटोरी. फतेह लाइव की खबर पर डीसी अनन्य मित्तल ने जांच बैठाई. इस बीच मानगो निगम में सन्नाटा पसर गया था.

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सुरेश यादव जिले के वरीय अधिकारियों और जांच दल को पटाने में सफल रहे और ऐन केन प्रकरण उनकी सेवानिवृत्ति का दौर आया और जनवरी में वह चल दिये. हां, उस घोटाले में आज भी मानगो नगर निगम का एक जूनियर इंजीनियर अभय कुमार सिंह अब तक सस्पेंड है. सूत्र बताते हैं कि वह जांच रिपोर्ट आज भी डीसी को सबमिट नहीं हुई है. डीसी ने जिस तरह मामले को गंभीरता से लिया था. उस तरह अगर सख्ती से दोषी अधिकारियों और ठेकेदार आशुतोष पांडे पर बनी कार्रवाई की जाती तो आज मानगो नगर निगम में यह घोटाला करने की शायद ही कोई हिम्मत जुटा पाता. यह मामला ईडी और इनकम टैक्स विभाग के पास पहुंचा है. मानगो नगर निगम से जवाब तलब किया जा रहा है. खैर आपको मानगो नगर निगम की नई खेला से रू-ब-रू कराते हैं.

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 बे-मौसम बरसात नहीं झेल पाई सड़क, गल गए घटिया पेवर ब्लॉक

फतेह लाइव को पाठकों से सूचना मिली कि मानगो शंकोसाई रोड नंबर एक में छह माह पहले करीब पेवर्स ब्लॉक सड़क का निर्माण एवं चौड़ीकरण हुआ था. नगर विकास एवं आवास विभाग के द्वारा प्रदत्त निधि से क्रियान्वित इस सड़क का निर्माण शंकोसाई रोड नंबर एक, वार्ड नंबर-10 में मेडिकल शॉप से होते हुए सुबोध पाल, मुन्ना झा इलेक्ट्रिकल शॉप तक पेवर्स ब्लॉक लगाकर सड़क बनाई गई थी. इस कार्य के लिए करीब 11 लाख 56 हजार 280 रुपये का टेंडर हुआ था, जिसे 23.99 (बिलो) में यानी 8 लाख 62 हजार 181 रुपये में काम लिया गया. इस सूचना पर बुधवार को फतेह लाइव टीम ने मौके पर जाकर मुआयना किया. स्थानीय लोगों से बातचीत की. छह माह पहले बनी सड़क के पेवर्स गले हुए दिखाई दिये. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बरसात के पूर्व हुई बेमौसम बारिश को भी यह पेवर्स झेल नहीं पाये. इस पूरे दृश्य को टीम ने जीपीएस कैमरे से तस्वीरों और वीडियो में कैद किया.

बालीगुमा की पुराना क़ृषि भवन की वह सड़क आज भी अधूरी

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लोगों ने बताया कि सड़क छह माह पहले ही नई बनाई गई थी. जब सड़क की हाल खस्ता हुई तो हमने इसका विरोध किया था, जिसके कारण मजदूरों को लगाकर दो दिनों से युद्ध स्तर पर काम जारी है. लोगों ने यह भी बताया कि यहां स्टीमेंट का 50 फीसदी ही काम किया गया है.  बहरहाल, यह तो जांच का विषय है कि किस क्वालिटी के पेवर्स यहां लगाये गए थे. मामले में कौन दोषी है, लेकिन अगर टेंडर शर्तों की मानें तो एक योजना के स्वीकृत होने के बाद करीब 5 सालों तक उस योजना के लिए दोबारा काम नहीं निकाला जा सकता. वैसे कार्ययोजना की गारंटी 10 से 15 साल होती है. लेकिन यहां तो छह माह में ही मानगो नगर निगम के मिलावटी कार्य की पोल खुल गई. यह सीधे तौर पर जनता के पैसों का दुरुपयोग है और मानगो नगर निगम में विराजमान जिम्मेदार सरकार को चूना लगाने का कार्य कर रहे हैं. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. अगर उक्त सड़क का दोबारा जीर्णोद्धार किया जा रहा है तो इसके दोषी लोगों पर मानगो नगर निगम के प्रभारी डीएमसी कृष्ण कुमार कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं. यह बड़ा सवाल भी मानगो की स्थानीय जनता के जेहन में रौंद रहा है.

 

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1.33 करोड़ घोटाले में इसी ठेकेदार आशुतोष पांडे ने की थी खेला

योजना चयन समिति की एक फाइल हुई मंजूर, दूसरी लाइन में

1.33 करोड़ घोटाले के उजागर होने के बाद मानगो नगर निगम में कोई भी इंजीनियर किसी फाइल को छूने की हिम्मत नहीं कर रहा था. सारे ठेकेदार इसके लिए हाथ पैर मार रहे थे. लेकिन इधर जनवरी माह में शहर के चर्चित जेएनएसी के डीएमसी कृष्ण कुमार ने मानगो नगर निगम का प्रभार भी संभाला. धीरे-धीरे सब कुछ पटरी पर लौटना शुरु हो गया. सूत्र बताते हैं कि अब मानगो नगर निगम से करीब 65 योजनाओं का टेंडर जल्द निकलने वाला है. इसे योजना चयन समिति की मंजूरी मिल गई है. डीसी ने भी अपने हस्ताक्षर कर दिये हैं. वहीं करीब 60 योजनाओं की दूसरी फाइल अभी वेटिंग लिस्ट में है. इन विभिन्न योजनाओं का टेंडर निकलते ही यह तय है कि मानगो नगर निगम में दबंग ठेकेदारों के द्वारा पूर्व की भांति फिर शिड्यूल में काम बांटने की खेला शुरु हो गई है. इसके लिए मानगो के सारे ठेकेदारों को बुलाकर एक मीटिंग भी की गई है. अधिकारी के चहेते ठेकेदार उन्हें पटाने में एड़ी चोटी लगाये हुए हैं. आनलाइन टेंडर को शिड्यूल में कराने के एवज में 10 प्रतिशत एडवांस राशि का प्रोवीजन दिया गया है.

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इन ठेकेदारों में 1.33 करोड़ घोटाले का कर्णधार ठेकेदार आशुतोष पांडे भी है. जो घोटाले से संबंधिक खबर छपने के बाद बिहार भाग गया था और अब मामला दबा देख वह मानगो नगर निगम और जेएनएसी में सक्रिय दिखने लगा है. खैर आपको बता दें कि मानगो नगर निगम से होने वाली एक-एक योजना के स्टीमेंट पर फतेह लाइव की पैनी नजर बनी हुई है. इसका उद्देश्य सरकार के राजस्व को चूना लगने से बचाना है. साथ ही जनता को घोटालेबाज जिम्मेदारों से ठगने से बचाना है.

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बाएं नीली शर्ट में एई संतोष कुमार और दाएं चेक शर्ट में जेई अभय कुमार सिंह (अभी सस्पेंड)

1.33 करोड़ घोटाले की जांच के लिए इन्हें दी गई थी जिम्मेदारी

मानगो नगर निगम में बिना काम पूर्ण किये 1.33 करोड़ की राशि की निकासी होने का मामला फतेह लाइव में उजागर होने के बाद 26 अक्टूबर को डीसी अनन्य मित्तल ने जांच टीम का गठन किया था. इसमें एडीसी भागीरथ प्रसाद के साथ जिला परिषद के मुख्य अभियंता नकुल ठाकुर को शीघ्र जांच करने का निर्देश था. इसी बीच चुनाव पड़ गए. जांच दल के पदाधिकारी उसमें व्यस्त हो गए. इस घोटाले को दबाने का मानगो नगर निगम में डीएमसी सुरेश यादव के नेतृत्व में पूरजोर प्रयास किया गया था. विधायक निधी के कार्य की नापी कराके मामला लीपापोती कर लिया गया. रातों रात सड़कों को पूरा करने का काम किया गया, लेकिन बालीगुमा स्थित पुराना कृषि भवन से पावर सबग्रिड स्टेशन तक आज भी स्थानीय लोग गड्‌ढों में चलने को विवश हैं. डीसी साहब उस जनता का क्या कसूर है. जांच रिपोर्ट को देखकर इस मामले में दोषी लोगों पर बनती कार्रवाई की जाए और सरकार के पैसों को वापस कराया जाये, जिससे कि कोई दोबारा आशुतोष पांडे जैसा ठेकेदार इस तरह की हरकत करने के लिए सौ बार सोचे. इतने बड़ा घोटाला उजागर होने के आज छह माह बाद भी मामला क्यों दब गया, इससे भलीभांति जनता अवगत है. सरकार की किरकिरी होने से रोका जाये?

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मजदूर दिवस के दिन खुलेआम डेढ़ सौ मजदूरों से कराया जा रहा है काम

गुरुवार को देश भर में मजदूर दिवस की धूम मची हुई थी. सरकारी छुट्‌टी का दिन था. उसके बावजूद मानगो नगर निगम के अधिकारियों और ठेकेदार ने अपनी चोरी छिपाने के लिए मानगो चौक से डेढ़ सौ मजदूरों को लगाकर धड़ल्ले से थूक पालिस का काम कराया गया. यह सीधे तौर पर श्रम कानून का उल्लंघन है. नियम के मुताबिक जिले के डीएलसी को इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की जानी चाहिए.

मजदूर दिवस के दिन कार्य करते मजदूर

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

मानगो नगर निगम के प्रभारी डीएमसी कृष्ण कुमार से इस मामले में पूछा गया तो उन्होंने सीधे तौर पर अपना हाथ उठा लिया. उन्होंने कहा कि यह टेक्नीकल मसला है. कई इंजीनियर इसके लिए तैनात किये गए हैं. उन्हें सरकार वेतन भी देती है. मुझे अगर स्थानीय लोग शिकायत करते हैं तो मैं भी इंजीनियर को ही उसे फारवार्ड कर दूंगा. इस मामले मयंक मिश्रा जो कि एई हैं और इंचार्ज भी. वह ज्यादा जानकारी दे सकते हैं.

एई मयंक मिश्रा

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वहीं दूसरी ओर, मयंक मिश्रा से बातचीत की गई. उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है. वार्ड नंबर 10 के इंचार्ज एई संतोष कुमार हैं. वैसे बिना काम पूर्ण किये 100 प्रतिशत राशि की निकासी नहीं हो सकती. मैं मामले की जांच अपने स्तर से करूंगा. वहीं, एई संतोष कुमार को इस मामले में जानकारी लेने के लिए फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.

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