आरोपित ठेकेदार आशुतोष पांडे फिर होने लगे सक्रिय
प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए मानगो के चहेते ठेकेदारों द्वारा मलाईदार कार्य को विधयाक फंड से करने की हो रही तैयारी
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के उप नगर आयुक्त कृष्ण कुमार को मानगो नगर निगम का भी अतिरिक्त प्रभार सरकार ने दिया है. मंगलवार को नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है. बताया जाता है कि वे सोमवार को मानगो का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे.

मालूम हो कि मानगो नगर निगम के उप नगर आयुक्त सुरेश यादव पिछले दिनों यहां से सिंचाई विभाग में वापस जा चुके हैं और वहीं से सेवनिवृत्त हो चुके हैं. सुरेश यादव का यहां का कार्यकाल काफी चर्चा वाला रहा था. उनके यहां से हटने से पूर्व फतेह लाइव ने एक 1.33 करोड़ की टेंडर योजना पर अनियमितता उजागर की थी, जो घोटाला राज्य भर में चर्चा हुआ था. डीसी ने इस मामले में जांच कमेटी बनाई थी. एन केन प्रकरण जांच पूरी हो गई है, लेकिन सार्वजनिक नहीं होने के कारण स्थानीय जनता के बीच रोष व्याप्त है. इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार जेई अभय भी पिछले दो माह से लंबी छुट्टी पर हैं.
अब कृष्ण कुमार को मानगो नगर निगम का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति में कृष्ण कुमार की भी अच्छी धाक है. जेएनएसी में इनका दूसरा टर्म्स है और अतिरिक्त प्रभार में एमएमसी दिया गया है. उनके आने के बाद नगर निगम मानगो में क्या होता है यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा.
कृष्ण कुमार से पहले आईटीडीए के परियोजना निदेशक दीपांकर चौधरी को यहां का चार्ज दिया गया था, जिसके बाद यहां के कर्मचारियों में एक डर सा बना हुआ था. कहा जाता है कि किसी भी काम पर कोई अधीनस्थ अधिकारी अपना सिग्नेचर नहीं कर रहे थे, केवल ड्यूटी बजा रहे थे.
1.33 करोड़ घोटाले से अब भी नहीं उठा राज, कार्रवाई के नाम पर थूक पालिश
मानगो नगर निगम में गत अक्टूबर माह को 1.33 करोड़ घोटाले की पोल फतेह लाइव ने खोली थी. खबर प्रकाशित होने के बाद पुरे झारखंड में यह मामला चर्चा में आया था. इसमें विभिन्न योजनाओं पर बिना कार्य किये हुए राशि की निकासी कर ली गई थी, क्यूंकि सुरेश यादव रिटायर्ड हो रहे थे और अपना कमिशन लेने के चक्कर मे बिना योजना कम्पलीट हुए 100% बिल का भुगतान उनके कार्यकाल में जेई, एई और डीएमसी के मिलीभगत से किया गया था.
इस मामले को डीसी अनन्या मित्तल ने गंभीरता से लिया था. उन्होंने जांच कमेटी का गठन किया था. तीन दिनों में जांच रिपोर्ट की मांग की गई थी, लेकिन तीन माह तक जांच नहीं हुई, जो सीधे तौर पर इशारा करता था कि आरोपियों को समय दिया जा रहा है. उन योजनाओं पर इस दौरान कार्य शुरू करने का कई बार प्रयास किया गया था. मौजूदा विधायक और उस समय के पूर्वी के विधायक सरयू राय तक भी मामला गया था.
इन योजनाओं में एक योजना बालीगुमा पुराना क़ृषि ऑफिस से विद्युत सब स्टेशन की है, जहां आज भी पेवर ब्लॉक रोड का का काम नहीं हुआ है, जबकि यहां विधायक निधी के कार्य को योजना में दर्शा कर खानापूर्ति की गई और विधायक निधि का बोर्ड भी तोड़कर हटा दिया गया था.
इधर, उस मामले में खलबली मचने के बाद रिटायरमेंट के दौर से गुजरने वाले डीएमसी सुरेश यादव यहां से विदा ले लिए, जबकि जेई अभय दो महीने से छुट्टी पर हैं. इसी बीच सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली है कि मामला ठंडा होता देख आरोपित ठेकेदार आशुतोष पांडे फिर से सांठगांठ कर पुनः टेंडर प्रक्रिया में जाने की तैयारी में लग गए हैं. इतने बड़े घोटाले में आरोपितों पर क्या कार्रवाई हुई है, बालीगुमा की जनता में इससे काफी रोष व्याप्त है. अब कुछ चेहते ठेकेदार प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए मलाईदार योजना को विधायक फंड में करने की जुगत बैठा रहे हैं. अब फिर से एक समूह बना कर अपने अनुसार योजना को भी बनाने का कार्य में लगे हैं.