फतेह लाइव, रिपोर्टर.

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है, और ताजा घटनाक्रम ने एक बार फिर से राज्य की परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. हाल ही में झारखंड बोर्ड के साइंस पेपर का लीक होना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है, बल्कि यह राज्य सरकार की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की पोल भी खोलता है. उक्त बातें भाजयुमो के जिला अध्यक्ष एवं पूर्व छात्र नेता नीतीश कुशवाहा ने कही.

उन्होंने कहा कि हाल ही में जैक के अध्यक्ष की नियुक्ति की गई थी, लेकिन यह घटना यह सवाल खड़ा करती है कि आखिरकार क्यों हर परीक्षा में पेपर लीक हो जाते हैं, चाहे वह JPSC ,CGL हो या मैट्रिक की परीक्षा. आखिरकार सरकार क्यों कोई भी परीक्षा कदाचारमुक्त नहीं करवा पा रही है?

हर परीक्षा में गड़बड़ी क्यों सामने आती है? अब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई है? यह साफ संकेत है कि झारखंड सरकार और शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं और शिक्षा प्रणाली को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

शिक्षा मंत्री की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. क्या उनकी जिम्मेदारी केवल भाषण देने तक सीमित है? जब छात्र अपना भविष्य बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं, तो उनके सपनों के साथ इस तरह का खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?

राज्य सरकार को इस लापरवाही की जवाबदेही लेनी होगी. जब तक भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और इस गिरोह के सरगनाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक झारखंड की शिक्षा व्यवस्था यूं ही मजाक बनती रहेगी. अब समय आ गया है कि सरकार जवाब दे – आखिर कब तक छात्र और उनके अभिभावक इस लापरवाही की कीमत चुकाते रहेंगे?

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