जमशेदपुर।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने विधान सभा में सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 और सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक 2023 जैसे बिल पारित करके धार्मिक मामलों में सीधे हस्तक्षेप किया है. सिख समुदाय ऐसी सीमाओं को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन के पूर्वी भारत अध्यक्ष सतनाम सिंह गंभीर ने कहा कि धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप केवल देश के भीतर भ्रम पैदा कर रहा है, जबकि केंद्र सरकार शिरोमणी कमेटी के दो-तिहाई सदस्यों की सहमति के बिना सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में संशोधन नहीं कर सकती है.
सतनाम सिंह गंभीर ने कहा कि शिरोमणि कमेटी के जनरल हाउस ने सरकार द्वारा लिए गए ऐसे फैसलों को खारिज कर दिया है और कमेटी के प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब के राज्यपाल को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने एक्ट से संबंधित फाइल राज्यपाल को भेजी है, तो राज्यपाल को भी कोई भी कदम उठाने से पहले उसका सही तरीके से मूल्यांकन करना चाहिए, क्योंकि सरकार इसे असंवैधानिक तरीके से गलत तरीके से पेश कर रही है, जिसे सिख समुदाय और खालसा पंथ कभी बर्दाश्त नहीं करेगा.

सतनाम सिंह गंभीर ने कहा कि सरकार मुफ्त गुरबानी प्रसारण के मुद्दे पर अनुचित स्थिति पैदा कर रही है. उन्होंने कहा कि माननीय सरकार द्वारा 1925 एक्ट में संशोधन कर 2023 जैसे एक्ट लाकर खालसा पंथ की आत्मा को छूने का अप्रिय प्रयास है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सतनाम सिंह गंभीर ने कहा कि हम आने वाली पीढ़ियों के प्रति जवाबदेह हैं और कर्तव्यों की रक्षा करने से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर फ़ेडरेशन एक पत्र गृहमंत्री को भेजकर स्थिति से अवगत कराएगा.

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