• प्रतिभा पर भारी पड़ने लगी चमचागिरी,  एक आंख में सुरमा तो दूसरे में  काजल की कहावत चरितार्थ कर रहे संपादक  
  • तो क्या गणेश कुमार मेहता ने भी प्रभात खबर के संजय मिश्रा की तरह यहां खड़ा कर दिया मजीठिया का क्रांतिकारी !

फतेह लाइव, रिपोर्टर. 

   

जमशेदपुर के मीडिया जगत से एक और बड़ी खबर आ रही है. यहां दैनिक हिन्दुस्तान के प्रतिभाशाली और स्वच्छ छवि के रिपोर्टर माने जाने वाले चिकित्सा संवाददाता राकेश पुरोहितवार से जबरन इस्तीफा लिखवा लिया गया है. उन्हें बेटे से मिलने जाने के लिए अवकाश मांगने की सजा के रूप में पहले तो मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, इसके बाद दबाव बनकार जबरन इस्तीफा लिखवा लिया गया है. इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से राकेश पुरोहितवार को दो माह के नोटिस पीरियड पर भी भेज दिया गया है. यहां संपादकीय प्रभारी गणेश कुमार मेहता हैं.

पूरे मामलीे में दिलचस्प बात यह है कि हिन्दुस्तान जैसे राष्ट्रीय अखबार के एचआर हेड (मानव संसाधन विभाग) ने भी अवकाश के विवाद को कारण बताकर विराेध जताते हुए इस्तीफा दे रहे राकेश पुरोहितवार से यह जानने-समझने-पूछने की जहमत तक नहीं उठायी कि आखिर यह विवाद क्या है? वह संस्थान को क्यों छोड़ना चाह रहे हैं ? न ही उनकी काउंसेलिंग की गयी, बल्कि प्रभात खबर प्रबंधन की तर्ज पर चुपचाप संपादक के एजेंट की तरह भूमिका निभाते हुए इस्तीफा स्वीकार करते हुए अग्रसरित भी कर दिया.

यहां यह बताना लाजिमी है कि प्रसार में हिन्दुस्तान जमशेदपुर में चौथे नंबर पर है. अब सवाल उठता है कि क्या हिन्दुस्तान में भी जमशेदपुर प्रभात खबर की ही तर्ज पर प्रतिभाशाली और स्वच्छ छवि वाले रिपोर्टरों की प्रताड़ित करने का दौर शुरू हो चुका है? क्या यहां भी प्रतिभा पर चमचागिरी भारी पड़ रही है? क्या यहां के संपादक भी एक आंख में सुरमा तो दूसरे में काजल थाेपने वाले कहावत को चरितार्थ करते हुए रिपोर्टरों के साथ भेदभाव का व्यवहार कर रहे हैं ?

राकेश पुरोहितवार जैसे प्रतिभावान रिपोर्टर का अचानक दैनिक हिन्दुस्तान जैसे अखबार में प्रताड़ना का यह दौर आगे क्या रंग दिखायेगा, यह तो समय ही बतायेगा लेकिन यह माना जा रहा है कि गणेश कुमार मेहता ने प्रभात खबर के संजय मिश्रा की तरह ही अपने यहां भी मजीठिया के क्रांतिकारी पैदा कर दिया है. राकेश भी मजीठिया वेज के अनुसार बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की सलाह ले रहे हैं.

शहर के मीडिया जगत में इस बात की चर्चा तेज है कि राकेश पुरोहितवार के साथ यह खेल संपादकीय प्रभारी ने अपने कुछ चाहते रिपोर्टरों को खुश करने के लिए किया है. कहा जा रहा है कि गणेश कुमार मेहता के जमशेदपुर में आने के बाद अखबार की गुणवत्ता व प्रसार में कुछ अधिक सुधार तो नहीं हुआ, लेकिन संपादकीय के लोगों की प्रताड़ना का दौर जरूर शुरू हो गया है. कुछ माह पहले ही इनका टकराव प्रशासन देख रहे सीनियर साथी से भी हो चुका है. यह बात दिल्ली तक भी गयी है और यह भी माना जा रहा है कि अगर देर से ही सही राकेश की कहानी दिल्ली तक गयी तो सख्त प्रबंधन वाले हिन्दुस्तान में गणेश कुमार मेहता के लिए परेशानी भी खड़ी हो सकती है.

राकेश पुरोहितवार की घटना के बाद शहर के मीडिया जगत में इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि दैनिक हिन्दुस्तान को भी प्रभात खबर की ही बीमारी लग गयी है. यहां भी चहेतों को मनमर्जी करने की छूट दी जाती है तो कुछ चुनिंदा लोगों को काम के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है. अलग-अलग रिपोर्टर के लिए अलग-अलग नियम अपनाये जा रहे है. संपादकीय प्रभारी पिछले तीन महीने से लगातार पुरोहितवार पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर रहे थे. बताया यह भी जा रहा है कि इस्तीफा के लिए लिखवाये गए मेल में जो कारण बताया गया है. वह समाचार पत्र को कानूनी रूप से कटघरे में खड़ा कर सकता है.

स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करने का दावा करने वाली सरकार में स्थानीय रिपोर्ट के साथ ही भेदभाव

मजेदार तथ्य है कि एक तरफ झारखंड की मौजूदा सरकार झारखंडियों के हितों की रक्षा करने का दावा करती है. दूसरी तरफ झारखंड के अखबारों में स्थानीय रिपोर्टरों के साथ ही भेदभाव किया जा रहा है. राकेश पुरोहितवार मूल रूप से झारखंड के देवघर जिले के रहने वाले हैं. चर्चा है कि एक तरफ उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है. दूसरी तरफ दूसरे राज्य से आए हुए लोग बड़े-बड़े पदों पर बैठकर बिना काम की सैलरी उठा रहे हैं. अखबारों में हो रही झारखंडी लोगों की प्रताड़ना पर सरकार की चुप्पी बड़े और गंभीर सवाल खड़े करती है.

निर्विवाद रूप से लोकप्रिय और मिलनसार व्यक्तित्व के रिपोर्टर हैं राकेश पुरोहितवार

बताया जाता है कि जमशेदपुर की पत्रकारिता जगत में अगर कुछ रिपोर्टर निर्विवाद रूप से स्वच्छ छवि के हैं तो उसमें राकेश पुरोहितवार का नाम शामिल है. एक तरफ हिंदुस्तान में पिछले कई वर्षों से कई लोग एक ही बीट पर जमे हुए हैं. वहीं राकेश जैसे रिपोर्टर लगातार अलग-अलग बीट में बेहतर रिपोर्टिंग कर अपनी प्रतिभा का परचम फहराते रहे हैं. आश्चर्यजनक बात यह है कि दागदार छवि वाले लोगों पर कार्रवाई करने की बजाये अखबार में सीधे और सरल स्वभाव के रिपोर्टर को निशाना बनाया गया है. काफी कम समय में शहर में ईमानदार छवि बनाने वाले राकेश ने हाल में ही सम्पन्न हुए  प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर का चुनाव भी लड़ा था.

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