फतेह लाइव, रिपोर्टर

दो दशक पहले तक उद्यम और कारोबार में जिसका डंका बजता था, आज वह छोटे-छोटे व्यापारियों और सप्लायरों का पैसा मारने की बेइमानी पर उतर गया है. तकादा करने जाने पर पुलिस को झूठी सूचना देकर इन सप्लायरों और व्यापारियों को पुलिस केस में फंसाने का षड्य़ंत्र तक करता है. मामला बिहार स्पंज आयरन लि. चांडिल में साहू बंधु नामक दो सप्लायरों द्वारा लगभग 83 लाख रुपये के आयरन ओर की सप्लाई का है. बिहार स्पंज को आज लीज पर लेकर चलाने वाले मालिक ने इनसे 57 लाख और 26 लाख का कोयला लिया लेकिन आज तक पैसा नहीं चुकाया. सप्लाई में खराब क्लालिटी का बहाना बनाकर पूरा पैसा डकार जाने की भरसक कोशिश की. इन सप्लायरों द्वारा लगातार तकादा किया जाता रहा तो आज करेंगे, हिसाब करेंगे, जमशेदपुर आकर करेंगे, अपने मैनेजर को भेजकर मामले को सलटाएंगे, ऐसे बनावटी आश्वासन देकर टाल मटोल करती रही. इन सप्लायरों को आज पता चला कि उक्त सेठ जमशेदपुर आया हुआ है, जो बिष्टुपुर में शांति हरि टावर में एक फ्लैट में रहता है.

इसले भी पढ़ें : Jamshedpur : बालीगुमा में साढ़े 3 साल के मासूम से अप्राकृतिक यौनाचार का प्रयास

सप्लायर बंधू जब उसके घर पहुंचे तब हिसाब किताब और लेन देन की बात के बजाय सीधे बिष्टुपुर थाना को खबर कर दिया कि उसके घर गोली बम लेकर कुछ हमलावर आये हैं. पुलिस पहुंची और उसने कार्रवाई शुरु की. उन सप्लायरों को थाना लाई. छानबीन में पुलिस को सारी वस्तुस्थिति का पता चल गया. सेठ ने अपने जिस कर्मचारी- अधिकारी  को कहकर माल प्राप्त कराया था, उसे भी थाने में बुलाया गया. अधिकारी ने सारी सचाई बताई और स्वीकार किया कि इन सप्लायरों ने उसके कहने पर ही कोयला दिया जिसका बकाया अभी तक चल रहा है. उस अधिकारी ने भी सेठ के इस रवैये से तंग आकर पहले ही उसकी नौकरी छोड़ दी है. सेठ का ये पुराना रवैया है. जिसके चलते यह अधिकारी भी एकबार बिष्टुपुर थाने की चपेट में आ चुके थे जब उसे दिन भर थाने में बिठाकर रखा गया था. कंपनी ने कोयला ले लिया. उसका माल बना लिया. बाजार में बेच दिया और अब माल खराब है, पैसा नहीं है, बोलकर कीमत पचाने पर लगा हुआ है.

इसले भी पढ़ें : Jamshedpur : गुरु नानक सेवा दल के महान कीर्तन दरबार में हाजिरी भरेंगे ओड़िशा के राज्यपाल

उद्यमियों के हाथ नहीं मेनुपुलेटरों की मुट्ठी में छटपटा रही चांडिल स्थित बिहार स्पंज वनांचल स्टील लि. यह फैक्ट्री झारखण्ड वासियों, खासकर स्थानीय निवासियों के विकास में नहीं बल्कि कोयला और लोहा के धंधेबाज करोड़पतियों – अरबपतियों का हितसाधन के लिए बन कर रह गयी है, जबकि जमीन झारखण्ड के लोगों की है, उसमें पूंजी झारखण्ड सरकार की भी लगी है. आज उसका इस्तेमाल मोदी परिवार और उसके द्वारा अधिकृत वेंडर कंपनी अपनी कमाई में करती है, वह भी छोटे छोटे लोगों और कारोबारियों को सब्ज बाग दिखा कर. पहले उनसे औने पौने दाम पर कच्चा माल जैसे आयरन ओर और कोयला मंगाती है, फिर तरह-तरह के बहाना कर और कमी निकाल कर भुगतान भी नहीं करती. जैसे बाजार से कोई उधार सब्जी या गेंहू भरोसे में घर ले आए और पका या पिसवा कर खा-पी ली फिर सब्जी बेचने वाले खोमचे या ठेलेवाले को या गेंहू दुकानदार को यह कह कर पैसे न दें कि हरी सब्जी या गेंहू तो सड़ा गला था, वजन कम था तो सप्लाई में चोरी किया, आदि. फैक्ट्री में कच्चा माल लेते समय जाँच क्यों नहीं की और अगर वह माल स्टैण्डर्ड मानक के अनुरूप नहीं था तब ट्रक खाली क्यों किया, इन सवालों पर चुप्पी क्यों? सह समझा जा सकता है कि इस रवैया के पीछे बदनीयत होना ही होता है. ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें बिहार स्पॉन्ज को अभी चलाने वाली वेंडर- वनाँचल स्टील कंपनी अनेक सप्लायरों को पैसे देने में टाल मटोल कर रही है. ऐसे लोगों की पूंजी ही पचीस-पचास लाख की नहीं होती, लेकिन वहां फंसकर उनका  जीवन तबाह हो रहा है.

इसले भी पढ़ें : Jamshedpur : गोविंदपुर में ठेका एजेंसी ने पानी सप्लाई बंद किया, 60 हजार की आबादी पर छाया जल संकट

बिहार स्पॉन्ज चांडिल में रेलवे की साइडिंग भी है जहाँ आसपास की कंपनियों के लिए कोयला मंगा कर धंधा चलाया जा रहा, जबकि उसकी ढुलाई के क्रम में आसपास के गांव प्रदूषण और सडक़ जीर्ण शीर्ण का शिकार हो रहे हैं. जन प्रतिनिधियों के या तो मिलकर हिस्सा लेने या उनकी उपेक्षा के कारण ग्रामीणों की यह समस्या अनदेखी होती है. पहले भी लिखा जा चुका है कि बिहार स्पॉन्ज को दलालों के हाथ लूटने को छोड़ दिया गया है. जो मोदी की पेरेंट कंपनी है उसने प्रतिमाह एक मोटी रकम किराया लेने के टर्म पर वनाँचल स्टील को चलाने के लिए दिया हुआ है. वनाँचल के प्रमोटर या मालिक इस अवसर को अपनी कमाई का जरिया बनाकर इसकी टोपी उसके सर पहनाते- उतारते रहते हैं और इस क्रम में छोटे सप्लायरों को फंसा कर उनको भी ठगते हैं. ऐसे कुछ सप्लायर सामने आए हैं जिन्होंने कंपनी को कच्चा माल में कोयला और आयरन ओर दिया लेकिन उनको पैसा भुगतान नहीं किया गया. वनाँचल ने पिछले साल अपना काम चलाने के लिए शरद पोद्दार नामक ख्यात और चर्चित ग्रुप से साझेदारी की. इस ग्रुप ने महीनों बिहार स्पॉन्ज का दोहन किया. मन भर जाने के बाद अब वह हाथ खींच चुका है. वनाँचल अब किसे टोपी पहनाता है इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है. वनाँचल के प्रमोटर एक समय झारखण्ड, खासकर कोल्हान – जमशेदपुर के बादशाह व्यापारी के रूप में स्थापित थे, लेकिन संभवत: इस तरह इसकी टोपी उसका सर और कमिटमेंट के नाम पर झूठ फरोश बातों के चलते बाजार और कंपनियों से बाहर हो गए. नए रूप में फिर सामने आकर बुढा बाघ की तरह सोने का कँगन दिखा-दिखा कर अपना शिकार ढूंढते प्रतीत होते हैं. पैसे डूबने से परेशान व्यापारियों ने चुनाव उपरांत सत्ता रूढ जेएमएम और मुख्यमंत्री के खासमखास माने जाने वाले सोनारी निवासी एक व्यक्ति की शरण ली है.

Share.
© 2025 (ਫਤਿਹ ਲਾਈਵ) FatehLive.com. Designed by Forever Infotech.
Exit mobile version