टुन्नू के अध्यक्ष बनने से टाटा वर्कर्स यूनियन के सहायक सचिव फर्श से अर्श पर

चरणजीत सिंह.

         

बालीबुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन की एक मूवी है, मुकद्दर का सिकंदर। इसके मशहूर गीत के बोल हैं, रोते हुए आते है सब हंसता हुआ जो जाएगा, वो मुकद्दर का सिकंदर जाने मन कहलाएगा। टाटा स्टील से मान्यता प्राप्त मजदूर संगठन टाटा वर्कर्स यूनियन की बात करें तो दूसरी बार सहायक सचिव चुने गए अजय चौधरी भी मजदूरों की सियासत में मुकद्दर का सिकंदर बनकर उभरे हैं। जो चाहा, वो पाया।

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सिंगापुर में अजय चौधरी

स्वजातीय संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू के टाटा वर्कर्स यूनियन का अध्यक्ष बनने से अजय चौधरी फर्श से अर्श पर पहुंच चुके हैं। यूनियन का तनिक भी ज्ञान रखने वाला भली भांति जानता है कि टुन्नू चौधरी के प्रमुख सलाहकारों में अजय चौधरी हैं। यूनियन की सियासत में कदम रखने के बाद महज 12 सालों में अजय चौधरी ने लंबी छलांग लगाई है।

अजय और संजय की जुगल जोड़ी

पीएन सिंह टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष चुने गए थे, तो अजय चौधरी पहली बार सीआरएम बारा से कमेटी मेंबर बने थे। स्टील ग्रेड के कर्मचारी। सीधा सादा इंसान। यूनियन कार्यालय के प्रांगण में शाम में आ जाते, यूनियन के आफिस बेयरर के साथ सियासत से लेकर समझौते पर उनकी बात सुनते। संजय सिंह, संतोष सिंह, संतोष पांडेय जैसे कुछ युवा चेहरों के साथ गपशप लड़ाते। हंसते और हंसाते हुए घर चले जाते। आर रवि प्रसाद ने यूनियन का नेतृत्व संभाला तो संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू के साथ विरोधी खेमा का अहम चेहरा बनते गए। पूर्व कमेटी मेंबर बीबी सिंह के आवास पर टुन्नू, संजय और अजय की तिकड़ी बैठती।

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यूनियन नेतृत्व के कामकाज में नुश्ख निकालते और कर्मचारियों के बीच संदेश दे डालते। आर. रवि प्रसाद ने ग्रेड रिवीजन का समझौता करने में विलंब किया, तो टुन्नू के साथ संजय और अजय चौधरी अति सक्रिय हो गए। कमेटी मेंबर से लेकर कर्मचारियों को समझाने में कामयाब रहे कि ग्रेड रिवीजन समझौता में विलंब हुआ तो बहुत नुकसान होगा। जब ग्रेड रिवीजन होगा, तभी से एलाउंस यानी अलग-अलग भत्तों की नई दर प्रभावी होगी। दिक्कत यह है कि भत्तों की बढ़ोत्तरी उसी दिन से लागू होगी, जिस तारीख से ग्रेड समझौता होगा। उसका एरियर नहीं मिलेगा।

साथियों के साथ चौधरी 

पीएन सिंह ने यूनियन अध्यक्ष रहते शानदार वेज समझौता किया था, तो उस वक्त टुन्नू चौधरी डिप्टी प्रेसिडेंट थे। वे वेज रिवीजन पर समझा रहे थे तो लोग समझ भी रहे थे। टुन्नू के प्रमुख सारथी होने के नाते संजय और अजय भी यूनियन में प्रमुख चेहरा बनते गए। पहली बार टुन्नू चौधरी यूनियन अध्यक्ष चुने गए तो उनकी टीम से अजय चौधरी सहायक सचिव चुने गए। दोबारा फिर टुन्नू निर्विरोध यूनियन अध्यक्ष बन गए, तो अजय चौधरी ने कमेटी मेंबर का चुनाव निर्विरोध जीत लिया। सहायक सचिव के चुनाव में भी सर्वाधित मत हासिल किया। सियासत में शीर्ष पर जाना कठिन है। उससे ज्यादा कठिन है, वहां कायम रहना।

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जनवरी 2025 में टाटा स्टील के कर्मचारियों का ग्रेड समझौता लंबित हो जाएगा। कंपनी प्रबंधन को चार्टर आफ डिमांड तक नहीं दिया गया है। अजय चौधरी भले ही सहायक सचिव हैं, मगर यूनियन अध्यक्ष के सलाहकार होने के नाते ग्रेड समझौता की गुणवत्ता का असर उनकी भी सियासत पर अवश्य पड़ेगा। ग्रेड समझौता बढ़िया हुआ तो अजय चौधरी की सियासत की गाड़ी बुलेट ट्रेन की तरफ और स्पीड पकड़ेगी। ग्रेड समझौता से कर्मचारी संतुष्ट नहीं हुए तो उसका कुछ न कुछ नुकसान अजय चौधरी को भी होना तय है।

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अपने प्लांट के कर्मचारियों के साथ अजय

ऐसे दोनों हाथ घी और सर कड़ाई में

1. पूर्व यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने ग्रेड समझौता किया तो उसी वक्त 5 सौ निबंधित पुत्रों की बहाली करने का भी फैसला हुआ था। जब बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई तो आर रवि प्रसाद की विदाई हो गई थी। कोविड के कारण बहाली की प्रक्रिया में विलंब हुआ, जो 500 निबंधित पुत्र बहाल हुए, उनमें एक इंसान अजय चौधरी के भाई भी हैं। उनका प्रशिक्षण का कार्यक्रम पूरा हो चुका है। अब हॉट स्ट्रीप मिल में स्थाई कर्मचारी भी बन चुके हैं।

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2. टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए क्वार्टर अलाटमेंट कमेटी सर्वाधिक मायने रखती है। यूं तो क्वार्टर लेने की प्रक्रिया आनलाइन हो चुकी है। इसके बावजूद यूनियन नेतृत्व के पास अपने चहेतों को उपकृत करने की भरपूर गुंजाइश रहती है। टुन्नू के पहले कार्यकाल में भी अजय चौधरी क्वार्टर अलाटमेंट कमेटी में वाइस चेयरमैन थे। दूसरी बार भी उन्हें क्वार्टर अलाटमेंट कमेटी की ही जवाबदेही दी गई है। ऐसे में कर्मचारियों के बीच अजय चौधरी का कनेक्शन बढ़ना लाजिमी है।

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3. टाटा स्टील का न्यू बारी मैदान क्लब हाउस सबसे महंगा है। सबसे सुविधाजनक भी। यूनियन अध्यक्ष संजीव चौधरी ने बारी मैदान क्लब हाउस प्रबंधन समिति का अध्यक्ष अजय चौधरी को बनाया है। ऐसा क्लब हाउस है, जो सबसे अधिक बुक रहता है। वहां फायदे अनेक हैं, जो प्रत्यक्ष नहीं दिखते।

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4. कड़ी धूप हो या हल्की बारिश, अजय चौधरी कभी बाइक की सवारी में ही आनंदित होते थे। अब आम तौर पर ब्रेजा में दिखने वाले अजय चौधरी को यूनियन के पूर्व अध्यक्ष पीएन सिंह के आवास के ठीक बगल में क्वार्टर मिल चुका है। कंपनी ने क्वार्टर में ऐसा शानदार हाल बना दिया है, मानो टॉप थ्री के पदाधिकारी हो। टीआरएम के तहत हुआ या यूँ ही, पता करते रहिये।

कुर्सी मिली तो मिलती गई माला
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